कविता साहित्य
July 3, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a comment
मैं, मैं हूँ
तुम, तुम हो
वह भी, वह ही है
यह सत्य है
जानते हैं हम सब
यह सब .
पर,
इतना ही
जानना -समझना
क्या
जीवन का लक्ष्य है ?
या
यह भी
जानना-समझना-मानना
कि
कहीं-न-कहीं
एक दूसरे में हैं हम
अन्यथा
वाकई अधूरे हैं हम !