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पत्रकारिता का अत्याधुनिक व क्रान्तिकारी रूवरूप – ‘ई जर्नलिज्म’

ejournalism‘जब भी बोलना वक्त पर बोलना, मुद्दतों सोचना मुख्तसर बोलना। ‘ वाचिक परम्परा की इस सीख के साथ पत्रकारिता के पहले संवाददाता नारद, आद्य संपादक वेद व्यास, सर्वप्रथम लाइव टेलीकास्ट करने वाले महाभारत के संजय आदि से प्रारंभ होकर अपने स्वरूप में क्रमशः काफी परिवर्तन का साक्षी बना है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र, मुगलकाल के वाक्यानवीस तथा प्रथम स्वातंत्र्य समर (1857) काल में रोटी व कमल प्रतीक के बाद राजकीय मुनादी और सुदूर देहाती क्षेत्रो में ठेठ हरकारे या संवदिया से गुजरते हुये पत्रकारिता अपने वर्तमान अत्याधुनिक व क्रांतिकारी स्वरूप ‘ई जर्नलिज्म’ तक आ पहुंचा है। पत्रकारिता की क्रांति करार दी जाने वाली यह ‘ई जर्नलिज्म’ क्या है? इसे ना केवल हम सबको जानने की आवश्यकता है बल्कि यह समय के साथ कदमताल करते हुये टिके रहने और आगे बढने की अनिवार्य शर्त भी है।

हम सबकी जीवनशैली ‘ई लाइफ’ की ओर अग्रसर है तो इस ‘ई युग’ में ‘ई जर्नलिज्म’ का महत्व बढना स्वाभाविक है। ऐसे भी सूचना व संचार के आधुनिकतम व तेज दौर का पर्याय बनता जा रहा है ‘ई जर्नलिज्म’। ई एजुकेशन, ई गवर्नेंस,ई कामर्स, ई बैंकिंग की तरह ही ‘ई जर्नलिज्म’ भी इन दिनों सर्वाधिक व्यवहार होनेवाले शब्दों में से एक है। ई मतलब ईलेक्ट्रॉनिकी। हमारे जीवन की सुख-सुविधा के लगभग प्रत्येक मौजूदा साधन के लिये इसकी मदद अपरिहार्य है।ईलेक्ट्रॉनिकी का अर्थ होता है पदार्थ के सूक्ष्मतम कण परमाणु के अंश ईलेक्ट्रॉन का व्यवहार या विद्युत परिपथ में इसके प्रवाह के कारण उत्पन्न विद्युतधारा। ईलेक्ट्रॉन ॠण आवेशित कण है और इसी से बना शब्द है ईलेक्ट्रॉनिक्स जिसका लघुस्वरूप है-‘ई’। भौतिकी विज्ञान के अनुसार ईलेक्ट्रॉनिक्स की मदद से कितने ही चमत्कारिक कार्य प्रतिदिन संपादित किये जा रहे हैं। रेक्टिफिकेशन, एम्प्लीफिकेशन, नियंत्रण, उत्पादन आदि के रूप में ईलेक्ट्रानिक्स संचार, मनोरंजन, प्रतिरक्षा,चिकित्सा, उद्योग, अंतरिक्ष इत्यादि जीवन के सभी क्षेत्रो में त्वरित प्रभाव के साथ उपयोगी बना है।दूसरी ओर पत्रकारिता तो अपनी त्वरा के लिये मशहूर है ही। जो माध्यम जितनी शीघ्रता से सूचना देगा वह उतना ही अधिक सफल होगा।इस प्रकार ईलेक्ट्रॉनिक्स आधारित अबतक के सबसे तेज और सर्वत्र उपलब्ध पत्रकारिता माध्यम का ही नाम है-‘ई जर्नलिज्म’।’ई जर्नलिज्म’ को सुविधानुसार बेब-मिडिया या सायबर मिडिया भी कहते हैं।

सूचना प्राद्यौगिकी, तकनीकि खोज व आविष्कार तथा इसके रोज बढते प्रयोग और इंटरनेट केविस्तार ने ‘ई जर्नलिज्म’ के फलक को और फैलाया है। ग्लोबलाईजेशन के दौर में ज्ञान, दर्शन, अध्यात्म और रचनात्मक सृजन के मानदंडो के साथ अत्याधुनिक तकनीकों के तालमेल से पत्रकारिता का फैलाव क्रांतिकारी स्तर तक हो गया है।पलक झपकते ही समूचे संसार से रूबरू होने का सहज साधन बनकर उभरा है’ई जर्नलिज्म’। सार्वकालिक सत्य है कि सूचना में शक्ति हैं। आज इंटरनेट के विस्तार के साथ ही यह शक्ति नित बडी संख्या में न्यूज पोर्टल, बेबसाईट, ब्लॉग, कियॉस्क, सोशल नेटवर्किंग साईट आदि के अस्तित्व में आने से बढती जा रही है। यही नहीं आज सारे अखबार और चैनलों में भी अपने ईटरनेट संस्करण लांच करने को लेकर होड मची है। प्राप्त हो रहे तमाम समाचारो के बाद में ईमेल आईडी या बेबसाइट का पता मौजूद रहता है। हर छोटे बडे कार्यालयो में इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध है। डाउनलोड करने या फिर नागरिक पत्रकारिता के नाम पर समाचार अपलोड कर सकने की सुविधा ने ‘ई जर्नलिज्म’ को और आगे बढाया है।

पत्रकारिता जगत में हो रहे विकास और बदलाव की इन गतिविधियो से अपना देश भारत भी अछूता नहीं है बल्कि इस क्षेत्र में अपनी ओर से काफी सार्थक और सक्रिय भागीदारी कर रहा है। इस क्षेत्र में काफी बदलाव आने अभी शेष हैं। इसके फलक व्यापक और बहुआयामी होने से सूचना संग्रह, उसकी साज सज्जा और आर्कषक प्रस्तुतीकरण के काम में काफी संख्या में प्रशिक्षित और अनुभवी मिडियाकर्मियो की आवश्यकता बढेगी। इस दृष्टि से पत्रकारिता प्रशिक्षण के अकादमिक स्वरूप में भी तीव्र बदलाव किया जाना प्रारंभ हो चुका है। अब तो नेट पत्रकार शब्द व्यवहार में सुलभ हो गया है। समाचार के कलेवर विस्तार से संक्षिप्त व वस्तुनिष्ठ होते हुये अब बाईट्स पर आ गये हैं। पत्रकारो के डिजीटल होते जाने से कलम व कागज रोमांचक तरीके से तलाकशुदा होते जा रहे हैं।सूचना को त्वरित गति से रिसीवर तक पहुंचाने में संदर्भ ढूंढने में और विश्लेषण करने के समय की कटौती भी होने लगी है। साफ्टवेयर से चुनिंदा विषयो पर लेख लिखे जाने लगे हैं तो ‘मानवीय भूल’ शब्द को भूला देना पडेगा।

ऐसी सब बातो के बावजूद पत्रकारिता के अन्य माध्यमो को कमजोर किये बिना ‘ई जर्नलिज्म’ अपने तय सीमा क्षेत्र में अपना रोल निभाने को प्रवृत्त है। हां यह क्षेत्र अपने कामगारो से खास तरह के प्रशिक्षण और एकाग्रता की मांग जरूर करता है। ईधर ऐसी सूचनाएं भी मिलने लगी है कि ‘ई जर्नलिज्म’ की पढाई के लिये ‘ई यूनिवर्सिटी’ भी खोली जाने लगी है। इस प्रकार की कई बेबसाईटें तो पहले से ही मुहैया थी।ऐसे दौर में ‘माध्यम ही संदेश है’ नामक अपनी पुस्तक में प्रसिध्द मिडिया विशेषज्ञ मार्शल मैक्लूहन की लिखी उक्ति ”सूचना से अधिक महत्वपूर्ण सूचना तंत्र है”अपनी प्रासंगिकता और समसामयिकता साबित कर रहा है।

– केशव कुमार