सावन का महीना,अब्दुल्ला करे शोर

सावन का महीना,अब्दुल्ला करे शोर |
महबूबा ऐसे काँपे,जैसे कैद में काँपे चोर ||

मोदी शाह तुमने,ऐसा गजब है ढायो,
370 को पास कराने में जरा न वक्त लगायो |
हम तो पड़े चारो खाने चित्त,कुछ न कर पायो,
भागने के लिये अपना सामान भी बाँध न पायो |
पड़ी है बड़ी मुश्किल,घर में हो रहे है बोर,
सावन का महीना,उमर करे शोर |
महबूबा ऐस काँपे,जैसे कैद में काँपे चोर || 

छीन लिये है,कोठी बँगले भी हमारे,
दर दर की ठोकरे,खाते फिरते मारे मारे | 
पाक भी हमे आज,ठेंगा दिखा रहा,
वो भी अब,हमे नहीं है बुला रहा|
अब तो नहीं चल रहा,बस किसी ओर,
सावन का महीना,फारुख करे शोर |
महबूबा ऐसे नाचे,जैसे पुलिस के आगे चोर ||

अल्लाह ! ये कैसी मुसीबत है आई ,
मै तो चहेतों से,मिलने भी न पाई |
मीडिया के आगे भी न बोल पा रही,
अपनी व्यथा किसी को न सुना पा रही|
पता नहीं,मेरा मुकद्दर ले जायेगा किस ओर ?
सावन का महीना,फारुख करे शोर,
महबूबा ऐसे नाचे,जैसे पुलिस के आगे चोर || 


आर के रस्तोगी 
गुरुग्राम (हरियाणा)

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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