कविता

कोरोना की दूसरी दस्तक…!!*

कोरोना की गति
फिर से तेज है
बुलेट ट्रेन की स्पीड लिए है।।

बिना मास्क के पहने लोग
इसे हरी झंडी दिखाए
कोरोना दिन पे दिन
बढ़ता जाए।।

कोरोना की दूसरी लहर का
खौफ बढ़ता जाए
दिन दोगुनी उन्नति करता जाए।।

रक्त बीज की तरह
मुंह फैलाए,
काल का ग्रास बनाए।।

वैक्सिंग,मास्क ,
शोशल डीस्टेंसिंग है असरदारी
अव्यवस्था है इन पर भारी।।

बढ़ती जाए अस्पतालों में भीड़ भारी
मिले न बर्थ खाली।।

कोरोना का इस बार
रूप बदला है
सुरसा जैसे मुंह खोल रखा है।।

कोरोना की रफ़्तार बढ़ती जाए
इसमें लापरवाही ही
मुख्य नहर आए।।

मौसम का भी बदला रुख
जैसे पीछे पड़ा हो भूत ।।

बदला मौसम इसका
रास्ता साफ करता है
कोरोना की दूसरी लहर का
कहर बढ़ता जाए
बूढ़ों , बच्चो सबको डराए ।।

सर्दी , जुखाम , बुखार हो तो
तुरन्त अस्पताल को जाए।।

कोरोना की लहर को
पहले भी हराया है
इस बार भी मिलजुल कर
कोरोना को हराना है।।

संध्या शर्मा