
जाते जाते कुछ कह गए सुशांत,
सुशांत होकर करा अपने को शान्त।
था तनाव में करी क्यो खुदकशी ?
मन में नहीं थी शायद कोई खुशी।।
दुख है हमे तुम अपने शौक पूरे न कर पाए।
अपनी आखरी मंजिल तक न पहुंच पाए।।
सूना सूना सा लगता है ये सारा फिल्मी संसार।
रो रहे सभी आज तुम्हारे फिल्मी नाते रिश्तेदार ।।
अल्प अवस्था में क्यो तुमने मृत्यु से नाता जोड़ा ?
अभी तो बहुत करना था क्यो फिल्मों से नाता तोड़ा ?
एक चमकता सितारा क्यो गगन से लुप्त हो गया ।
फिल्मी जीवन से इतनी जल्दी क्यों मुक्त हो गया।।
तुम थे पक्के राजपूत और मां के सच्चे सपूत।
करनी पड़ी क्यो तुमको ऐसी कच्ची करतूत ?
लगाया क्यो मौत को गले ऐसे तुमने ?
बहुत कार्य करने थे फिल्म जगत में तुमने।।
प्रश्नों पर प्रश्न उलझते अब जा रहे
कोई भी प्रश्न न सुलझते जा रहे।
जानना चाहता यह सब कुछ ये जमाना,
शायद आधी हकीकत है आधा फ़साना।
आर के रस्तोगी