समाज

आतंकवाद का खतरा अभी समाप्त नही हुआ

नए जन विध्वंसक रूप में सामने आया आतंकवाद
मृत्युंजय दीक्षित
देश की राजधानी दिल्ली 10 नवंबर 2025 के दिन कार बम धमाके से दहल उठी। इस धमाके में एक दर्जन निर्दोष लोगो की मृत्यु हो गई तथा तीस से अधिक घायल हो गए। सुरक्षा एजेंसियां बम धमाके के सभी पहलुओ की व्यापक गहराई से जांच करने में जुटी हैं और हर घंटे नए खुलासे हो रहे हैं। गृहमंत्री ने इस आतंकी घटना और इसके षड्यंत्र में शामिल प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचने और उनको कठोरतम दंड देने कि बात कही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान की धरती से अत्यंत कड़ा संदेश देते हुए कहा कि इस घटना के षड्यंत्रकारियों को बख्शा नहीं जाएगा, सभी जिम्मेदार लोगों को न्याय के कठघरे मे लाया जायगा।
यह ऐसी पहली आतंकी घटना है जिसकी जिम्मेदारी अभी तक किसी आतंकी संगठन ने नहीं ली है। इसके पीछे उनकी रणनीति यह हो सकती है कि अगर कोई भी आतंकी संगठन इस घटना की जिममेदारी ले लेगा तो फिर उनका संरक्षणदाता पाकिस्तान भारत के सीधे निशाने पर आ जाएगा। भले ही अभी तक किसी बड़े आतंकी संगठन ने इस घटना की जिम्मेदारी न ली हो लेकिन अब जितने भी लोग पकड़े गए हैं उन सभी के तार जम्मू कश्मीर के पुलवामा से लेकर शोपियां जिले तक और फिर जैश -ए -मोहम्मद और अंसार गजावत -उल- हिंद से जुड़े होने की बात कही जा रही है। अभी तक कहा जा रहा है कि दिल्ली में लाल किले के पास हुआ धमाका आतंकियो ने सुरक्षा एजंसियो द्वारा लगातार की जा रही छापामारी, धर-पकड़ और भारी मात्रा में विस्फोटक व हथियार पकड़े जाने के भय से किया है। इसका सीधा तात्पर्य है कि आतंकी एक बड़े हमले को अंजाम देने कि तयारी में थे ।
अभी तक एक विमर्श खड़ा करने का प्रयास किया जाता था कि कट्टरपंथी अशिक्षित मुसलमनो को भड़काकर उन्हे आतंकवाद के रास्ते पर ढकेल देते हैं किंतु इस बार पकड़े जा रहे आतंकियों की पूरी जमात पढ़ी लिखी है और अल -फलाह -यूनिवसिर्टी ही ब्रेनवाश का केंद्र थी। दिल्ली बम धमाके में अब तक 18 किरदार सामने आए हैं जिसमें से 10 की गिरफ्तारी हो चुकी है और 8 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ हो रही है । पूछताछ में मिल रही जानकारी के आधार पर जांच एजेसियां लगातार छापामारी कर रही हैं। यह छापामारी लखनऊ से लेकर जम्मू कश्मीर और गुजरात तक चल रही है। पांच गिरफ्तारियां जम्मू कश्मीर से हुई हैं, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से आदिल अहमद, फरीदाबाद से मुजम्मिल, शकील अहमद और शाहीन शाहिद की गिरफ्तारी हुई है। लखनऊ से शाहीन के भाई परवेज की गिरफ्तारी हुई है। ये सब पेशे से डॉक्टर हैं।
मुस्लिम तुष्टिकरण मे संलिप्त रहने वाले राजनैतिक तत्व भले ही दिल्ली बम धमाके को सुरक्षा एजेंसियो की नाकामी बता रहे हों किंतु यह भी ध्यान रखना होगा कि अगर समय रहते फरीदाबाद से 3000 किलो विस्फोटक न पकड़ा गया होता और संदिग्धों को हिरसत मे न लिया गया होता तो स्थिति कितनी भयानक हो सकती थी। अभी तक जांच एजेंसियां घटना को लेकर जो तार आपस में जोड़ रही है उससे इस आतंकी डॉक्टर माडयूल के तार तुर्किंए तक जा रहे हैं। माना जा रहा है कि यह आतंकी पुलवामा आतंकी हमले जिसमें जैश आतंकियो ने एक कार को जवानो के वाहन से टकरा दिया था और 45 जवान शहीद हो गए थे जैसी वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। सुरक्षा एजंसियो ने उनकी यह साजिश नाकाम कर दी है। अगर फरीदाबाद का विस्फोटक न पकड़ा गया होता तो आज लखनऊ से लेकर अयोध्या सहित कई धार्मिक शहर बारूद के ढेर में समा सकते थे और लाखों नागरिको की जान जा सकती थी।
आज जब भारत कई कूटनीतिक और सामरिक चुनौतियों से लड़ते हुए भी तेजी से आगे बढ़ रहा है, तब दिल्ली कि आतंकी घटना संकेत देती है कि आतंकवद अभी भी हमारी आतंरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है। इसमें भी बड़ा खतरा यह है कि अब आतंकी उच्च शिक्षित, डॉक्टर, इंजीनियर, शोधछात्र आदि बनकर हैं हमारे आसपास ही रह रहे हैं और हम इन्हें पहचान नहीं पा रहे हैं। अब आतंकी सभ्य समाज के मुखौटे में छुप गए हैं।
जैश -ए मोहम्मद के समर्थन वाले पोस्टर लगाने के मामले में सहारपर से जम्मू कश्मीर निवासी आदिल अहमद की गिरफ्तारी के बाद फरीदाबाद में जम्मू कश्मीर के निवासी मुजम्मिल व लखनऊ निवासी शाहीन का पकड़ा जाना फिर कैराना निवासी आजाद सुलेमान शेख व लखीमपुर खीरी निवासी मुहमद सुहेल की गिरफ्तारी से पता चलता है पाकिस्तान में बैठे आईएसआई हैंडलर उत्तर प्रदेश को प्रमुख केंद्र के रूप में इस्तेमाल करने की दिशा में बढ़ रहे है। अक्टूबर 2023 में दिल्ली पुलिस ने लखनऊ से आतंकी संगठन आईएस से जुड़े बीटेक पास युवक मोहमद रिजवान को पकड़ा था।
दिल्ली धमाके के बाद सबसे पाकिस्तान पैनिक मोड में है,उसे लग रहा है कि अब ऑपरेशन सिंदूर पार्ट टू कभी भी हो सकता है क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की कार्यशैली से परिचित हो चुका है। किंतु इस समय भारत की समस्या पाकिस्तान के साथ साथ देश के अन्दर छुप कर रह रहे आतंकवादियों से निपटने की भी है।
प्रेषक – मृत्युंजय दीक्षित