अब चोरी भी बिजनिस हो गया है

हरिया ने जब सुना कि देश में घोटालों को लेकर सब तरफ उगली उठ रही है । लेकिन असली घोटाले बाज कौन है ं किसके जिम्मे है यह देश ,और इसकी जनता । किसे इसकी रक्षा करनी चाहिये थी । जिसे देखों इसे लुटने में लगा है ।
खैर हरिया की सठियायी हुई बुद्धि में समाधान के अलावा तनाव की स्थिति अधिक बनने लगी तो हरिया हडबडा कर उठा और रसोई घर की और देखने लगा कि गृह स्वामिनी कुछ खाने को दे तो ,बुद्धि और पेट का आपस में तारतम्य बैठे । तभी चितवन ने घर का दरवाजा खटखटाया । चितवन के आते ही हरिया बोला ’’चचा कैसे हो’’ ।
चितवन बोला ’’बस ठीक हूॅ । चोर चोर का खेल खेल कर आया हॅू। हरिया बोला इस उमर में चोर चोर का खेल ,समझा नही ? चितवन बोला हां असली का चोर चोर का खेल तो इसी उम्र में आकर ही तो खेला जाता है । हरिया बोला चचा तुम्हारी ये राजनीति भरी सांप सी जैसी बातें मेरी समझ में कम ही आती है और उस समय तो बिलकुल ही नही जब पेट खाली हो । चितवन हो हो करके हंसा । चितवन हंसते समय किसी घाघ राजनेता की तरह लग रहा था । जिसका प्रत्येक भाव द्विअर्थी हो ।
हरिया को कुछ बोलता नही देख कर चितवन बोला ’’हरिया हमारे यहां पर सभी चोर चोर का ही तो खेल खेल रहे है। जो बाहर होते है वे अन्दर वालों को चोर बताते है और जब मोका मिलते ही बाहर वाले अन्दर आ जाते है तो वे बाहर होने वाले अन्दर वालों को चोर बताने लग जाते है । यह क्रम वर्षो से चल रहा है । इनमें कौन साहुकार है और कौन चोर है इसका आज तक तो किसी को पता नही चला और आगे भी ायद ही किसी को कुछ पता चले ।
हरिया हमारे यहां पर प्रजातन्त्र चुनाव के दिन सिर्फ वोट के डालने तक ही होता है उसके बाद प्रजा दूर खडी ताकती रहती है ओर तन्त्र के महीन तन्तु जनता के खून की शिराओं में इस कदर प्रवेश कर जाते है कि उसे मालूम ही नही चलता कि उसका कितना कुछ लुटा जा रहा या लूट लिया गया है । हमारे यहां जो भी घोटाले हुए या भ्रष्टाचार की वारदाते हुई है । वे सब सत्ता में बैठे लोगों द्वारा हुई है और उसका विरोध सत्ता से बाहर के लोगों ने किया है । इसलिये नही कि घोटाले बाज या भ्रष्टाचार करने वाला व्यक्ति पकडा जावे । इसलिये कि उसके चिल्लाने से सत्ता का सुख भोग रहा व्यक्ति किसी भी प्रकार से स्थान या कुर्सी छोड कर बाहर आ जावे और उसे अन्दर जाने का मौका मिल जावे ,ताकि वह भी सत्ता सुख भोग का लाभ उठा कर अपनी आने वाली पीडियों के लिये कुछ कर सके । इसके अलावा ओर कुछ भी नही है ।
जिसे जनता की नजरों में गलत बताया जाता है उस पर आयोग बैठा दिया जाता है ताकि जनता को लगे चोर को पकडने के लिये कमर कस ली गई है  हकिकत में यह आयोग चलते कम सरकते ज्यादा है । सरकते भी इस प्रकार है कि सरकारें आ कर चली जाती है । हरिया ये आयोग जब तक मंजिल पकडते है तब तक स्थिति बदल चुकि होती है । जनता के लिये कुछ हो ना हो पर कई प्रकार के मुझ जैसे निठल्ले लोगों को काम मिल जाता है । तभी बाहर चोर चोर के नारों की आवाज आई ,तो चितवन उठ कर चलते हुए बोले हरिया विपक्ष वाले सत्ता पक्ष वालों के खिलाफ रैली निकाल रहे है । तुम भी आओं तुम्हें भी कुछ प्रसाद स्वरूप मिल जावेगा । यह कहते हुए चचा चितवन बाहर चले गये । हरिया की पेट की भूख ने चितवन की वैचारिक सोच को आगे नही बने दिया और वह यह विचार करता हुआ रसोई की ओर ताकने लगा कि पहले सब मिल कर चोर को हडकाते थे और उसके पकडे जाने तक एक रहते थे। अब सब चोर मिल कर साहुकार को हडकाते नजर आ रहे है । चोरी भी एक बिजनिस हो गया है । जो इस काम में जितना ज्यादा लगा हुआ है वह उतना ही बडा कहलाता है, सम्मान पाता है। जो इस काम को गलत बताते है वे नालायकों की श्रेणी में खडे नजर आ रहे है । कहा भी जाता है प्रजातन्त्र में बहुमत का राज होता है आज सब तरफ इन्ही का बहुमत नजर आता है । अब फकीर भी फकीरी को छोड कर अमीरी का राग अलापने लगे है ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress