तीसरे विश्व युद्ध की आहट – तृतीय विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा – ग्रह यही कहते है

 ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव

पाकिस्तान और भारत, सऊदी अरब और ईरान, अमेरिका, चीन, रूस, इजराइल इत्यादि इत्यादि।। वर्त्तमान में सभी देशों के एक दूसरे से संबंध किसी न किसी विषय को लेकर खराब चल रहे है। हर कोई विवादों को तूल दे रहा है। विवादित विषयों का संभव है की बातचीत से समाधान निकल भी जाए परन्तु अहम् की लड़ाई के चलते कोई भी बातचीत नहीं करना चाह रहा है। कुछ शक्तिशाली, विकसित देश सम्पूर्ण विश्व पर तानाशाही करते है। उनकी तानाशाही किसी से छुपी नहीं है। सभी जानते है की कुछ राष्ट्र अध्यक्षों के भाषण और नीतियां विश्व अशांति की आग में घी का काम कर रही है। जहाँ एक और भारत पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों से परेशान है वहीं चीन भारत के खिलाफ अपने छुपे हुए मंसूबों के लिए को पाकिस्तान को सहयोग कर पूरा कर रहा है।  वर्त्तमान में भारत और पाकिस्तान के रिश्ते युद्ध का संभावनाएं तलाश रहे है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री प्रतिदिन भारत को परमाणु बम युक्त युद्ध की धमकी दे रहे हैं।  

कभी नार्थ कोरिया का मिसाईल प्रशिक्षण करना, कभी अमेरिका के द्वारा दूसरे देश का ड्रोन मार गिरना, विश्व शान्ति के भंग होने का कारण बन रहा है। तीसरा विश्व युद्ध मानवता के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। हर रोज एक नई बात को लेकर बढ़ता तनाव, आखिरकार एक दिन तृतीय विश्व  युद्ध का रूप ले ही लगा। स्थिति और हालात तो यही कहते हैं।

अनुभव में पाया गया है की चीन भारत के शत्रु देशों को यथासंभव अपने लाभ के लिए सहयोग करता है। ठीक इसी तरह  सऊदी अरब में तेल के ठिकानों में अमेरिका की बढ़ती रूचि के चलते अमेरिका हर बात में सऊदी अरब का साथ देता रहा है। वर्तमान में ईरान और सऊदी अरब के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण बने हुए है। सऊदी अरब अकेले ईरान से युद्ध में जीत नहीं सकता।  ईरान की तुलना में सऊदी अरब हथियारों की होड़ में बहुत पीछे है। ऐसे में यदि ईरान और सऊदी  अरब के मध्य युद्ध होता है तो संभावना बनती रहती है की अमेरिका ही सऊदी अरब की लड़ाई लड़ेगा।

इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता की ईरान का साथ भी कुछ देश अवश्य देंगे। चीन सदैव उन देशों का साथ अमेरिका के विरोधी होते है। रूस और चीन के आपसी रिश्ते भी किसी से छुप्पे नहीं है,  सीरिया, और इजराइल भी  इस युद्ध में कूद सकते है और भी अन्य देश तटस्थ नहीं रह सकते। हालात और परिस्थितियां कुछ यही इशारा करती है। भविष्यवाणियों को और हालिया राजनैतिक दबाव को देखें तो ये कहना मुश्किल नहीं होगा कि युद्ध के हालात बनते जा रहे हैं। वर्तमान में यदि तृतीय विश्व युद्ध शुरू होता है तो यह होने वाला युद्ध विषयों, समस्याओं और समस्याओं या नीतियों जैसे कारणों पर आधारित न होने की जगह यह नाक, अहंकार और वर्चस्व की लड़ाई होगा। सब एक-दूसरे को नीचा दिखाने और स्वयं को शक्तिशाली सिद्ध करने के लिए यह युद्ध मुख्य रूप से कर सकते है। इस बार का युद्ध ज्यादा खतरनाक होगा। कारण ये है कि अब कई देशों के पास न्यूक्लियर हथियार हैं। तृतीय विश्व युद्ध शुरू होने के कारण नहीं हो सकते हैं- 

·         अपने को क्षेष्ठ साबित करना।

·         आतंकबाद का बढ़ता प्रकोप।

·         समुद्री सीमा का विस्तार।

·         जंगल में एक ही शेर की दावेदारी बढ़ना।

·         जल और कच्चे तेल के लिए।

जैसे अनगिनत कारण हो सकते है…

आज 15000 से अधिक परमाणु बम दुनिया के देशों के पास है जो दुनिया को 300 बार से अधिक नष्ट करने की क्षमता रखते है।  इसलिए ये कहना थोड़ा मुश्किल हो जाता है कि तृतीय विश्व युद्ध के बाद कोई देश अपने आप को सुरक्षित रख पायेगा। शीत युद्ध के समय तो गुटनिरपेक्ष की नीति तो भारत जैसे देशों को सुरक्षित रखने में एक हद तक कारगर रहा लेकिन तृतीय विश्व मे कोई देश अपने आप को अलग नही रख सकता कोई आज पूरी दुनिया के देशो का हित एक-दूसरे से दूसरे-तीसरे से जुड़ा है।

तीसरे विश्व युद्ध की आहटें आ रही हैं। चीन की अर्थव्यवस्था विशाल से विशालकाय होती चली जा रही हैं। हिंद महासागर में चीन अपने पैर फैलता जा रहा है। चीन की इस नीति पर कई देशों ने सवालिया निशान उठाये है। चीनी सेना जो कि दूसरी बड़ी सेना है। अमेरिका और जापान इसके खिलाफ भी है। एक संभावना बन रही है की अगले विश्व युद्ध का अखाड़ा हिंद महासागर हो सकता है। अमेरिकी विरोध स्वरूप रूस और ईरान भी उसका साथ दे सकते हैं। यूरोपियन यूनियन और सारा विश्व करीब-करीब अमेरिका के साथ खड़ा है।

तीसरा विश्व युद्ध होता है तो क्या हो सकता है?

ऐसे में वैश्विक हालात कुछ ठीक नहीं लग रहे। लोग तो यह मानकर चल रहे हैं कि हालात अगर ऐसे ही रहे, तो तीसरा विश्वयुद्ध दूर नहीं है। अगर सच में तीसरा विश्वयुद्ध होता है, तो यह सबसे भयानक साबित होगा। इसमें कुछ देशों का तो नामोनिशान मिट सकता है।  इस विषय में ज्योतिष शास्त्र क्या कहता है आइये जाने। यह सर्वविदित है की किसी भी घटना के होने या ना होने की जानकारी ज्योतिष विद्या के द्वारा सटीक रूप में प्राप्त की जा सकती है। आइये जाने की इस विषय में ज्योतिष विद्या क्या कहती है : –

28 जुलाई 1914 को प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ

युद्ध शुरू होने के दिन गुरु मकर  राशि, राहु कुम्भ राशि,  शनि मिथुन राशि और मंगल -केतु की युति सिंह राशि में हो रही थी। गुरु शनि का षडाष्टक योग, मंगल गुरु का षडाष्टक योग, शनि की तीसरी दृष्टि मंगल पर, मंगल की दृष्टि राहु पर और राहु की पांचवी दृष्टि  शनि पर थी। चंद्र राशि कन्या का  द्वादश भाव केतु, मंगल, राहु, शनि प्रभाव होने से बहुत अधिक पीड़ित था।

द्वितीय विश्व युद्ध 1 सितम्बर 1939 को शुरू हुआ है। इस दिन शनि-केतु की युति मेष राशि, राहु -शनि का एक दूसरे से समसप्तक होना, मंगल की चतुर्थ दृष्टि शनि पर, और शनि की दशम दृष्टि मंगल पर थी। यहाँ द्वितीय भाव पीड़ित था। 

तृतीय युद्ध की संभावनाएं

वर्ष 2020 में शनि मकर राशि में गोचर करेंगे और 2022 तक इसी राशि में रहेंगे। 2020 में भारत के अपने पड़ोसी देशों से रिश्ते अत्यंत तनावपूर्ण होने के योग बन रहे है। 2021 में नवम्बर माह में ग्रह स्थिति एक बार फिर से सम्पूर्ण विश्व के लिए कष्टकारी बनी हुई है। नवम्बर 2021 में गुरु-शनि एक साथ मकर राशि में। इसमें गुरु नीचस्थ, शनि स्वरास्थ, मंगल की चतुर्थ दृष्टि शनि पर, शनि की दशम दृष्टि मंगल पर, वृषभ राशिस्थ स्थित राहु की नवम दृष्टि शनि पर, नीचस्थ गुरु की पंचम दृष्टि राहु पर, मंगल की अष्टम दृष्टि राहु पर है। इस प्रकार सभी विशेष ग्रह एक दूसरे पर दृष्टि सम्बन्ध बना रहे है। यह ग्रह स्थिति यह कहती है की एक बड़े विश्व युद्ध का आगाज इस समय में हो सकता है। जिसमें सभी बड़े देश शामिल हो सकते है। शनि 2022, अप्रैल तक मकर राशि में रहेंगे, तब तक विश्व पर युद्ध के बादल विशेष रूप से मंडराने के योग बन रहे है। 

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