ये है दिल्ली मेरी जान

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लिमटी खरे

पीएम के त्यागपत्र पर बाबा की रहस्यमय चुप्पी!

भ्रष्टाचार और काले धन पर योग गुरू बाबा रामदेव की चिंघाड़ से केंद्र सरकार सकते में है। बाबा रामदेव के अनशन को विफल करने सरकार ने क्या क्या जतन नहीं किए। प्रणब मुखर्जी और कपिल सिब्बल ने बाबा को रोकने जमीन आसमान एक कर दिया। कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के जहर बुझे तीर भी बाबा के आवेग को नहीं रोक सके। फिजा में खबर फैल गई कि अन्ना हजारे के मानिंद कांग्रेस के प्रबंधकों ने बाबा रामदेव को भी मैनेज करने के लिए तरह तरह के स्वांग रचे। बाबा रामदेव से कई दौर की बातचीत भी हुई। मीडिया से चर्चा में बाबा ने सदा ही कहा कि बातचीत सकारात्मक रही, पर बातचीत का मसौदा बताने से वे सदा ही हिचके। 4 और 5 जून की दर्मयानी रात में बाबा रामदेव काफी व्यथित, घबराए दिखे। कारण साफ था, कांग्रेस ने बाबा की कोई कमजोर नस दबा दी थी। बाद में बाबा ने स्त्री का वेश धारण कर वहां से गमन करना चाहा पर सफल नहीं हो पाए। पुलिस गिरफ्त में आने के बाद बाबा ने अपने गेरूए वस्त्र अचानक ही त्याग दिए, फिर वे दिखाई दिए तो सफेद कुर्ते पायजामे में। राजनैतिक वीथिकाओं में बाबा रामदेव के श्वेत धवल वस्त्रों का राज और मायने खोजे जा रहे हैं, क्यांेकि बाबा संघर्ष के दिनों में सफेद धोती कुर्ता पहना करते थे। बहरहाल इतना सब होने के बाद भी प्रधानमंत्री डाॅ.मनमोहन सिंह के त्यागपत्र पर बाबा रामदेव की चुप्पी के अनेक मतलब लगाए जा रहे हैं।

अण्णा ने सोनिया को दिखाए दांत

भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता को एक जुट करने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे ने देश के वजीरे आजम डाॅक्टर मनमोहन सिंह को अण्णा हजारे ने स्वच्छ छवि वाला अच्छा इंसान बताया है। कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी का नाम लिए बिना अन्ना बहुत कुछ बोल गए। बकोल अण्णा समस्या रिमोट कंट्रोल में है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में वे लोग मुसीबत पैदा कर रहे हैं जिनके हाथ में मनमोहन का रिमोट कंट्रोल है। कम समय में अण्णा हजारे राजनीति का मर्म समझ गए और फिर उन्होंने असली जड़ को भी पहचान लिया। सोनिया गांधी भले ही अपने आप को त्यागी और बलिदानी बताकर देश विदेश की तमाम पत्र पत्रिकाओं के कव्हर पेज पर स्थान पा जाएं किन्तु देश की राजनीति का रिमोट अपने हाथ में वे ही रखती हैं इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। एक पत्रिका ने तो सोनिया पर आरोप जड़ा है कि वे सोवियत संघ के रास्ते कुछ माल को इधर से उधर भी कर रही हैं।

सिब्बल बने कांग्रेस के नए संकटमोचक

कांग्रेस में वर्तमान संकटमोचक अर्थात ट्रबल शूटर की भूमिका में मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ही नजर आ रहे हैं। जब भी कांग्रेसनीत संप्रग सरकार पर कोई संकट आ रहा है सिब्बल तारण हार की भूमिका में सामने दिख जाते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी ने अण्णा हजारे के बाद बाबा रामदेव को अनशन न करने के लिए मनाने के लिए भी कपिल सिब्बल को ही पाबंद किया गया था। कपिल सिब्बल की फितरत से वाकिफ लोगों का कहना है कि वे बहुत ही घाघ और मंझे राजनेता है। बाबा रामदेव की मांगों को मानने के साथ ही साथ बाबा का जो पत्र सिब्बल ने मीडिया के सामने बाबा के कथित तौर पर नेपाली मूल के विश्वस्त साथी आचार्य बाल कृष्ण के उस पत्र को भी दिखा दिया जिसमें अनशन आरंभ होने के पहले ही उन्होंने अनशन समाप्ति की घोषणा कर दी थी। इस बार सिब्बल का दांव उल्टा पड़ा और बाबा रामदेव के समर्थन में देश का एक बहुत बड़ा वर्ग आ गया है।

जेल के कायदे सीख गए राजा

करोड़ों रूपयों के घोटाले के आरोपी पूर्व संचार मंत्री आदिमत्थू राजा पिछले कई दिनों से तिहाड़ जेल की रोटी खा रहे हैं। पहले जेल प्रशासन ने उनके नखरे सहे फिर आम कैदी की तरह ही व्यवहार करना आरंभ कर दिया। राजा के साथ के कैदी भी राजा के साथ उसी तरह का बर्ताव कर रहे हैं जैसा अन्य कैदियों के साथ करते हैं। जेल के अंदर ‘‘पैसा ही बोलता है‘‘ की बात राजा समझ चुके हैं। कैदियों को अपना मित्र बनाने के राजा ने घर से आने वाले खाने की तादाद में इजाफा करवा दिया है। शुरूआत में चिड़चिड़े और सदमा खाए ए.राजा अब खुश नजर आ रहे हैं। साथ के कैदियों को घर का खाना खिलाकर उनके साथ सुबह की सैर और शाम को खेलकूद कर अपना समय काट रहे हैं। 17 फरवरी को गिरफ्तार कर तिहाड़ पहुंचे राजा जेल के कायदे कानून पूरी तरह सीख चुके हैं। कैदियों को घर की इडली रसम खिलाकर वे सभी को प्रसन्न कर रहे हैं, और बदले में जेल के अंदर उन्हें उनके सेल के बाकी 14 कैदी उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।

इच्छा मृत्यु मांगी बिट्टा ने!

युवक कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एम.एस.बिट्टा अपनों से ही बेहद खफा हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले बिट्टा के इस काम को उनकी ‘दुकान‘ की संज्ञा भी अनेकों बार दी जा चुकी है, पर बिट्टा इससे डिगे नहीं। हाल ही में उन्होंने कांगे्रसनीत कंेद्र सरकार से पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। बिट्टा का आरोप है कि सरकार जानती है कि वे आतंकवाद के खिलाफ अदालत में लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्हें और उनके परिवार को लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। बावजूद इसके सरकार ने उनकी सुरक्षा में लगे राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड चार माह पहले हटा लिए हैं। बिट्टा को आशंका है कि राजनैतिक स्वार्थ के चलते आतंकियों के हाथांे उनकी हत्या की साजिश का ताना बाना बुना जा रहा है। अपनी ही सरकार से नाराज होकर किसी कांग्रेसी का यह कदम निश्चित तौर पर अन्य कांग्रेसियों के लिए क्या संदेश दे रहा है!

ममता की दरियादिली

ममता बनर्जी ने रेल मंत्री रहते हुए जो काम किया है वह लोग हमेशा याद रखेंगे। ममता के रेल मंत्री रहते भारतीय रेल की चाल इस कदर बिगड़ी कि उसे पटरी पर आने में कम से कम एक दशक तो लग ही जाएगा। रेल मंत्रालय में एक बार फिर अफरशाही और बाबू राज कायम हो गया है। ठेकेदारों की पौ बारह हैं। ऋषिकेश से जम्मू चलने वाली रेल जैसी अनेक रेल गाडियां हैं जिनमें रसोई यान नहीं है पर अवैध वेन्डर्स पेंट्री वालों की यूनिफार्म में लोगों को ठग रहे हैं। ममता का सपना बंगाल में रायटर बिल्डिंग पर कब्जे का था जो पूरा हो गया। भारतीय रेल भाड़ में जाती है तो जाती रहे। कांग्रेस को भी सत्ता की मलाई चखनी थी सो चख ली। पर ममता को मानना ही पड़ेगा। सीएम बनने के बाद रायटर बिल्डिंग का उन्होनंे अपने मन मुताबिक इंटीरियर करवाया। इस इंटीरियर मंे खर्च हुए दो लाख रूपए का बिल उन्होंने मुख्य सचिव समर घोष को चेक से चुका दिया है। ममता का कहना है कि जहां उन्हें दस से बारह घंटे बैठना हो वह जगह उनके मन के मुताबिक होना चाहिए, इसके लिए वे सरकार पर वित्तीय बोझ डालने के पक्ष में नहीं हैं।

यह है हृदय प्रदेश की सुरक्षा का हाल सखे

देश के हृदय प्रदेश में शिव का राज है। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह के नेतृत्व में भाजपा सरकार किस तरह काम कर रही है, इस बात का प्रमाण अनेक घटनाओं से मिल रहा है। मध्य प्रदेश में कानून और व्यवस्था नाम की चीज बची नहीं दिख रही है। हाल ही में केद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया के इंदौर स्थित आवास पर हुई चोरी से दिल्ली में सियासत गर्मा रही है। कहा जा रहा है कि एमपी कांग्रेस के निजाम सदा से ही भाजपा के ‘पे रोल‘ पर काम करते आए हैं, यही कारण है कि 2003 के बाद प्रदेश में कांग्रेस का जनाधार तेजी से गिरा ही है। अनेक मुद्दे हाथ लगने के बाद भी कांग्रेस उन्हें नहीं भुना पाई। हाल ही में निजाम बदला और उसके आवास पर चोरी हो गई। चोर आए बाकायदा घर में रखी बियर पी, काजू खाए और चोरी कर हो गए फरार। भूरिया इस मामले में खामोशी ओढ़े हैं। सियासी हल्कों में कहा जाने लगा है कि लगता है भूरिया भी भाजपा से मैनेज ही हो गए हैं।

बेवड़ों की आयु निर्धारण पर बिग बी को आपत्ति!

महाराष्ट्र सरकार द्वारा शराब का सेवन करने वालों की न्यूनतम आयु 25 बरस करने पर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन हैरान हैं। अमिताभ का कहना है कि 21 साल में आप वोट डाल सकते हैं, सेना में नौकरी पाकर देश की सेवा कर सकते हैं, पर शराब के सेवन के लिए आप अभी बच्चे हैं तो कीजिए 25 बरस तक इंतजार। सालों पहले शराब और सिगरेट से तौबा करने वाले अमिताभ बच्चन ने फिल्म शराबी में जो अभिनय किया था उसकी तारीफ आज भी लोग मुक्त कंठ से ही किया करते हैं। इतना ही नहीं अमिताभ के जनक हरिवंश राय बच्चन जिन्होंने मदिरा को हाथ नहीं लगाया उनकी लिखी मधुशाला आज भी प्रासंगिक हैं। प्रश्न तो यह है कि अगर महाराष्ट्र की सरकार चाह रही है कि लोग शराब जैसी सामाजिक बुराई से कम से कम 25 बरस की उमर तक दूर रहें तो इसमें भला किसी को क्या आपत्ति होना चाहिए! बिग बी को तो चाहिए था कि वे इस उमर को 25 के बजाए 35 करने की वकालत करते।

अरबपति मंत्री के राजसी ठाठबाट

देश में जनसेवक कौन है, वो जो अपनी शानो शौकत दिखाने के लिए समाज में स्थान पाने लाल बत्ती चमकाए या वो जो वाकई जरूरत मंद लोगों के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करे! आजादी के वक्त जरूर जनसेवक इस तरह के काम किया करते थे, अब हालात बदल गए हैं। आज के जनसेवक करोड़पति हैं और जनसेवा के माध्यम से वे ज्यादा से ज्यादा पैसा जुगाड़ने में लगे हुए हैं। भाजपा की कर्नाटक में किरकिरी करवाने वाले रेड्डी बंधुओं के ठाठ बाट देखते ही बन रहे हैं। पहले राजा महाराजाओं के लिए यह कहा जाता था कि वे सोने के सिंहासन पर बैठा करते थे, और सोने चांदी के बर्तनों में खाना खाते थे। 153 करोड़ 49 लाख रूपए की संपत्ति वाले सूबे के पर्यटन मंत्री जी.जनार्दन रेड्डी सवा दो करोड़ रूपए मूल्य की सोने की कुर्सी पर बैठते हैं और उनके घर की कटलरी भी सोने चांदी की ही है। रेड्डी को 31 करोड़ 54 लाख रूपए सालाना पगार भी मिलती है अपने व्यापार से। अब बताईए क्या इस तरह के जनसेवकों से कुछ जनसेवा की उम्मीद की जाए।

आतंकी शरणगाह बना शांति का टापू

मध्य प्रदेश को शांति का टापू कहा जाता रहा है। पिछले कुछ सालों से मध्य प्रदेश में आतंकवादियों की आवाजाही को देखकर लगने लगा है कि आतंकवादियों ने इस सूबे को अपना आरामगाह बना लिया है। मध्य प्रदेश में मालवा, निमाड़ और महाकौशल में आतंकवादियों और कट्टरपंथियों ने अपना शरणगाह बना लिया है। मालवा के प्रमुख शहर रतलाम में सिमी के गुर्गों और एटीएस के बीच हुई मुटभेड़ में एक कांस्टेबल शहीद हो गया। दिल्ली स्थित केंद्रीय गृह मंत्रालय में इसके बाद भी हलचल न दिखाई देना आश्चर्य का ही विषय माना जा सकता है। इसके पहले एमपी के ही जिला मुख्यालय सिवनी के रिहाईशी इलाके में में बारूद से डेटोनेटर बनाते एक अधेड़ के परखच्चे उड़ गए थे, इसके बाद भी खुफिया एजंेसियों की नींद नहीं टूटी। मालवा और निमाड़ में अफीम की तस्करी से मिलने वाली रकम इनके बड़े काम आती है।

हाई सिक्यूरिटी जोन में हत्या

दिल्ली के जनपथ को हाई सिक्योरिटी जोन माना जाता है। जनपथ पर पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल के सरकारी आवास के पीछे तीन युवकों ने अपने साथी को बेरहमी के साथ पीट पीट कर मार डाला। दिल्ली पुलिस आपके लिए, सदैव का नारा अब फीका सा पड़ता दिख रहा है। दिल्ली में जब पुलिस की नाक के नीचे ही इस तरह की वारदात हो रही हो तो फिर बाकी अंचलों की कौन कहे। वैसे भी सांसदों के सरकारी आवास के बारे मंे आम धारणा यही है कि साठ फीसदी सांसद कभी कभार ही दिल्ली आते हैं, इसलिए उनके केयर टेकर नौकरों द्वारा उनके आवास और आवास के साथ बने सर्वेंट क्वार्टर को तीन से चार हजार रूपए महीने में ही किराए से दे दिया जाता है। दिल्ली में किराएदारों का पुलिस वेरीफिकेशन करवाने की बात कागजों पर बार बार हो जाती है, किन्तु हकीकत में एसा कुछ होता नहीं दिखता।

ममता की राह पर मुकुल

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की दूसरी पारी में देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ही माना जाएगा कि देश का रेल मंत्रालय पश्चिम बंगाल से ही चल रहा है। पहले ममता बनर्जी ने रायटर बिल्डिंग पर कब्जा जमाने के लिए बंगाल से ही रेल मंत्रालय चलाया, और फिर काबिज हो ही गईं बंगाल की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर। इसके बाद अब राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार मुकुल राय भी ममता बनर्जी की राह पर ही चलते हुए बंगाल से ही रेल मंत्रालय चला रहे हैं। मुकुल राय पर आरोप है कि उनके पास मंत्रालय जाने के लिए समय नहीं है, पर वे पश्चिम बंगाल को लेकर बहुत ही ज्यादा सजग नजर आते हैं। रेल मंत्री बनते ही मुकुल राय ने बंगाल की रेल परियोजनाओं की जानकारी मांगी है। रेल मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि मुकुल राय ने साफ इशारा कर दिया है कि ममता बनर्जी की प्राथमिकताओं को पहले पूरा किया जाए फिर किसी अन्य काम को हाथ लगाया जाए।

पुच्छल तारा

बाजार में हाथ की रेखाओं, अंक ज्योतिष और कुंडली आदि देखकर भविष्य बताने की न जाने कितनी दुकाने खुल गईं हैं। समाचार चेनल्स ने भी भगवा वस्त्र पहने तिलक धारियों को बिठाकर अपनी दुकाने चमकाना आरंभ कर दिया है। मनुष्य को कर्म पर विश्वास करना चाहिए न कि राशियों पर। इस बात को लिखा है भोपाल मध्य प्रदेश से संदीप गुप्ता ने। संदीप लिखते हैं कि कर्म से बड़ी चीज कोई नहीं होती। राम और रावण, कृष्ण और कंस, गांधी और गोडसे, ओबामा और ओसामा के अलावा न जाने कितने उदहारण हैं जिनमें राशियां एक सी हैं, पर कर्म! कर्म एकदम अलग अलग सो विश्वास करे सिर्फ कर्म पर गांधी बनने की कोशिश करें गोडसे बनने की नहीं।

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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