हज़ार कोशिशों से बेबसी अच्छी !
आबरू पर आंच आने लगे तो –
हज़ार जवाबों से खामुशी अच्छी !
रौशनी ग़र आँख में चुभने लगे –
उजालों से फिर तीरगी अच्छी !
ताजमहल देख कर गुमां होता है –
है प्यार की मिसाल कितनी अच्छी !
क्या जज्बा था मुहब्बत का शाज़हाँ में
या मजदूर की थी कारीगरी अच्छी !
हम कायल हैं आपकी सादगी के
हमे लगती है मुखलिसी अच्छी