गरज रहे है बादल,डरा रहे है मुझको

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गरज रहे है बादल,
डरा रहे है मुझको |
डर भगा दो तुम मेरा,
बस गले लगा लो मुझको ||

चमक रही है बिजली,
सता रही  है मुझको |
कलमुही के पास न जाना,
जलाकर राख कर देगी मुझको ||

बरस रहे है बादल,
तरसा रहे है मुझको |
कैसे अग्न बुझेगी मेरी ,
बस बता दो अब मुझको ||

पड रही है धीरे धीरे बूंदे,
कह रही है कुछ मुझको |
कैसे आयेगे तेरे साजन,
समझ रही है मुझको ||

झूले डल चुके है बागो में,
कैसे झुलाओगे तुम मुझको ?
सारी सखियाँ झूल चुकी है ,
अब झुलाने आ जाओ मुझको ||

कोयल कूक रही है बागो में,
मीठी तान सुना रही मुझको |
ऐसे में पास होते तुम मेरे,
संगीत का मजा मिलता मुझको ||

आर के रस्तोगी 
गुरुग्राम मो 9971006425

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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