कविता

आज हर कोई छोटे से कारण से रूठ जाता

—विनय कुमार विनायक

आज का समय है छल-छंद का

आज का समय है घृणा द्वेष जलन का

आज का समय है बेगानापन का  

आज का समय नहीं है अपनापन का

आज का रिश्ता झटके में टूट जाता

आज हर कोई छोटे से कारण से रूठ जाता

एक वाट्सएप मैसेज छूने नहीं छूने पर

डबल टीक निशान ग्रीन होने नहीं होने पर

हमारा आगे का सम्बन्ध निर्भर करता

आज का रिश्ता बहुत जल्द मर जाता

आज बहुत कम हो गया है आदमियत

आज बहुत जल्द मर जाता है इंसानियत

छोटी-मोटी बातों से खराब हो जाती नीयत

आज अगर उठाया नहीं किसी का फोन

और बजते हुए छोड़ दिया फूल रिंगटोन

तो संवेदना सहानुभूति हो जाती है मौन

अगर किसी ने किया आपको मोबाइल

और आपने पूछ लिया कि आप हैं कौन

तो भांड में गई दोस्ती यारी रिश्तेदारी

आज आदमी हो गया बड़ा तुनुकमिजाजी

अगर आपने कुछ दिनों तक बात नहीं की

तो शीघ्र बदल जाएंगे आपके सगे संबंधी

आज भाई बहन के बीच हो गई है हदबंदी

आज का हर आदमी हो गया है खुशामदी

आज फोन पर फेसबुक वाट्सएप के चैट से

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लभ अफेयर सेट हो जाता

माता-पिता देश-धर्म अंधे प्यार की भेंट चढ़ जाती

बेटा बाप से लड़ जाता बेटी माँ से अड़ जाती

पत्नी छोड़ देती पति को,पति छोड़ देता है पत्नी

जिंदगी जबतक खराब नहीं हो जाती है दोनों की

तबतक ऐसे अंधे प्यार का कशीदा पढ़ा जाता

जब से ईजाद हुई टेलीफोन मोबाइल टेक्नोलॉजी

तब से कुछ और बिगड़ने गई आदमी की नियति!

—विनय कुमार विनायक