दमा और तपेदिक की चिकित्सा

डा. राजेश कपूर

दमा और टी.बी. के इलाज के लिए अभी तक स्वदेशी चिकित्सकों की ओर से कोई दावे या पेश नहीं किये गए और या फिर उन पर ध्यान नहीं दिया गया. सही बात तो यह है कि दमा और तपेदिक की चिकित्सा के लिए एक नहीं अनेक स्वदेशी औषधियां उपलब्ध हैं जिनसे इन रोगों पर आसानी से काबू पाया जा सकता है. एक और अच्छी बात यह है कि इन दवाओं के कोई दुष्प्रभाव भी नहीं हैं, मूल्य भी बहुत कम है. अतः इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए.

# सोलन के एक आयुर्वेद चिकित्सक डा. दिनेश गुप्ता ने अपनी पत्नी को हल्दी, बांसा और पुष्करमुल का चूर्ण दिन में दो बार खिलाया तो उनका अनेक वर्ष पुराना एलर्जिक दमा केवल एक वर्ष में ठीक हो गया. उनकी पत्नी भी आयुर्वेदिक चिकित्सक है और उन्ही के साथ हिमाचल आयुर्वेद विभाग में सेवारत है.

# हमने अपनी एक घरेलू औषधि पिछले २० वर्षों में जितने भी श्वास रोग के रोगियों को दी वे सभी कुछ मास में ठीक हो गए. पूर्णमाशी के दिन खीर और के विधिवत प्रयोग से हज़ारों दमा रोगी ठीक हुए हैं. अमलतास का काढा पिला कर भी हमने अनेकों श्वास, दमा और एलर्जी रोगियों की जीवन रक्षा की है. 6 मास तकरोज़ रात को अमलतास का काढा पीना होता है जिससे लगभग सभी प्रकार के दमा रोगी ठीक हो जाते हैं. चार-छे इंच का अमलतास की फली का टुकड़ा मोटा-मोटा कूट कर १५० मी.ली.दूध और १५०मि.ली. पानी में पकाकर रोज़ रात को सोते समय पीने से असाध्य दमा भी ठीक होता है. केवल संग्रहणी वाले दमा रोगियों के लिए शायद यह प्रयोग अनुकूल न रहे.

#तपेदिक या टी.बी. में भी स्वदेशी चिकित्सा कमाल का काम कराती है. सोने के टुकडे / सिक्के को १०० बार गर्म कर के स्वदेशी गो के शुद्ध घी में बुझाने से एक अमोघ औषध बन जाति है. रोगी को यह घी प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा खिलाने से तपेदिक रोग ठीक हो जाता है.

# कहते हैं कि चीड के वृक्ष की कोंपलों के गुदे को अल्प मात्रा में खाने से भी तपेदिक ठीक हो सकती है पर अभी तक इस पर कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं मिली है.

# प्रमाणिक जानकारी यह है कि जिस भूमि में मरे सांप को दबाया गया हो वहाँ पर उगाये गए गन्ने को खाने से केवल एक बार में तपेदिक रोग चला जाता है.

# मध्यप्रदेश में पैदा होने वाले रुदंती वृक्ष के फल से बने चूर्ण से कैसा भी असाध्य तपेदिक रोगी सरलता से ठीक हो जाता है. अलीगढ की धन्वन्तरी फार्मेसी रुदंती के कैप्सूल बनाती है. हज़ारों रोगी इनसे स्वस्थ हुए हैं. बलगमी दमा में भी ये कैप्सूल अछा काम करते हैं.

#हमारी बनी घरलू औषध ”यक्ष्मारी” से टी.बी.के अनेक असाध्य (MDR) रोगी भी ठीक हुए हैं.

इनके इलावा भी अनेकों अद्भुत योग आयुर्वेद में हैं जिनसे दमा और तपेदिक की चिकित्सा की जा सकती है. पर यह तभी संभव है जब विदेशी ड्रग कंपनियों का बंधक बना स्वास्थ्य विभाग और भारत सरकार उनके चुंगल से मुक्त होकर स्वदेशी चिकित्सा को काम करने का अवसर दे. अभीतक तो आयुर्वेद और स्वदेशी चिकित्सकों को दबाने, मिटाने के परोक्ष व प्रत्यक्ष प्रयास ही चल रहे हैं. पर हालात कह रहे हैं कि यह सब अब सही होने को है.

2 COMMENTS

  1. साहब बहुत बहुत धन्यबाद आप से सलाह लुगा जैबिक खेती करने के लिय्

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,809 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress