पांच से 25 करोड़ की यात्रा

1
217

 

विजय कुमार, 

बचपन में एक कहानी पढ़ी थी। पुनर्जीवन पर शोध कर रहे जेम्स नामक एक वैज्ञानिक की मृत्यु हो गयी। मरने से पहले उसने वसीयत में लिख दिया कि उसका शव रासायनिक लेप लगाकर 25 साल तक रख दिया जाए। उसे विश्वास था कि इतने समय में वह दवा बन जाएगी। तब वह फिर जी उठेगा। उसने इसके लिए बैंक में पर्याप्त धन भी छोड़ दिया था। जेम्स के परिजन उसे पागल मानते थे और मरते ही उसकी सम्पदा हड़पना चाहते थे; पर उसने सारी प्रक्रिया कानूनी रूप से पूरी की थी। एक वकील को वह भरपूर धन अग्रिम दे गया था, जिससे जरूरत पड़ने पर वह कोर्ट में लड़ सके। अतः परिजनों ने उसका शव रसायन लगाकर रख दिया। लेकिन दस साल बाद एक डॉक्टर ने दावा किया कि उसने पुनर्जीवन की दवा खोज ली है। इसमें दस लाख रु. खर्च होंगे। उसने कोर्ट से कहा कि उसे जेम्स के खाते से दस लाख रु. तथा उसका शव दिलाया जाए।इस खबर से हड़कम्प मच गया। कई व्यापारी इसे भविष्य का कारोबार मान कर उस डॉक्टर से मिले और इसमें निवेश की बात कही। कुछ धर्मप्रेमियों ने उस डॉक्टर पर हमला कर दिया कि यह खुदा के काम में दखल है। कुछ ने कहा कि वह प्रसिद्धि के लिए ढोंग कर रहा है। कुछ लोग मामला गरम रखना चाहते थे। अतः जैसे ही बात शांत होती, वे मीडिया में बयान देकर फिर आग लगा देते थे।उधर जेम्स के परिजनों पर कुछ और ही बीत रही थी। उसकी पत्नी ने घरेलू तिजोरी साफ कर पहले उसके भाई और फिर उसके एक मित्र से शादी कर ली थी। इन दोनों शादियों से बच्चे भी हो गये थे। जेम्स के अन्य भाई और बच्चे भी परेशान थे। एक भाई ने उसका मकान कब्जा लिया था तो दूसरे ने लैब। वसीयत के कागज बेटे पर थे, तो गहने लेकर बेटी अपने दोस्त के साथ चंपत हो चुकी थी। यानि जिसके हाथ जो लगा, वह दबा कर बैठ गया।सब दुखी थे कि यदि जेम्स जिंदा हो गया, तो क्या होगा ? जो सम्पत्ति वे खा-पी चुके हैं, उसे वापस कहां से लाएंगे ? जिंदा जेम्स तो मुसीबत था ही; पर अब उसका मुरदा भी कम परेशान नहीं कर रहा था। अतः सबने मिलकर उस डॉक्टर को दस की बजाय 25 लाख रु. दे दिये, जिससे वह जेम्स को पुनर्जीवित न करे। इस प्रकार कहानी का पटाक्षेप हो गया।अगले कुछ दिन में भारत में भी यही कहानी दोहरायी जाने वाली है। सुना है कई घाट का पानी पी चुके एक अमर नेता ने अपनी जीवनी छापने के लिए एक प्रकाशक से पांच करोड़ रु. का अनुबंध किया है। जीवनी छपने के बाद उस पर फिल्म भी बनेगी। उसके राजनेता, अभिनेता और अभिनेत्रियों से लेकर देशी-विदेशी व्यापारियों तक से मधुर संबंध हैं। सबके पेट के अंदर की बातें उसे मालूम हैं। उसके अलीगढ़ी ताले में सैकड़ों कच्चे और पक्के राज बंद हैं। उनके ‘ना-राज’ होते ही तूफान आ जाएगा।

 

सुना है ये सारे लोग अब परेशान हैं। इनमें से हरेक की हैसियत पांच करोड़ से बहुत ज्यादा है। इस हरफनमौला नेता के दिल और दिमाग में क्या है, ये कोई नहीं जानता। हो सकता है स्मरणशक्ति का धनी वह नेता राज खोलने की बजाय उन्हें दबाए रखने की ही कीमत वसूल ले। यानि पांच से 25 करोड़ रु. की अमर यात्रा प्रारम्भ होने की पूरी संभावना है। किसी ने ठीक ही लिखा है –

 

इब्दता ए इश्क है रोता है क्या

आगे-आगे देखिये होता है क्या ?

 

 

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress