सच्चा मित्रः कविता

सच्चा मित्र‌ poem
    झगड़ू बंदर ने रगड़ू,
    भालू से हाथ मिलाया|
    बोला तुमसे मिलकर तो,
    प्रिय बहुत मज़ा है आया|

                                   रगड़ू बोला हाथ मिले,
     तो मन भी तो मिल जाते|
     अच्छे मित्र वही होते,
      जो काम समय पर आते|

      कठिन समय पर काम नहीं,
      जो कभी मित्र के आता|
      मित्र कहां ? अवसर वादी,
      वह तो गद्दार कहाता|

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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