अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त हुए ट्रम्प

राजेश कुमार पासी

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से पहले भारत में खुशी मनाई जा रही थी लेकिन उनकी प्रवासी नीति भारत में एक बड़े वर्ग को चिंतित कर रही है। ट्रंप को लेकर पूरी दुनिया में एक डर है कि वो कब क्या करेंगे, किसी को पता नहीं है । उनकी नीति अमेरिका प्रथम की है, इसलिए उन्हें जो अमेरिका के हित में लगता है, वो उस काम को बिना किसी झिझक के करते हैं । ट्रंप अवैध प्रवासियों को अमेरिका के लिए बड़ा खतरा मानते हैं क्योंकि उनका मानना है कि ये लोग न केवल अमेरिका वासियों की नौकरियां खा रहे हैं बल्कि ये लोग देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं । डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका से अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए कटिबद्ध दिखाई दे रहे हैं।

राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प जो पहला कानून लेकर आये हैं, उसका नाम लाकेन रिले एक्ट है । यह कानून अमेरिका के एक राज्य जॉर्जिया की एक 22 वर्षीय नर्सिंग स्टूडेंट लाकेन रिले  के नाम पर बनाया गया है जो 22 फरवरी, 2024 को एक अवैध प्रवासी के हमले में मारी गई थी। इस हत्या के बाद अमेरिकी जनता में बहुत गुस्सा पैदा हो गया था जिसके कारण अमेरिकी अदालत ने उसके हत्यारे को बिना पैरोल के उम्रकैद की सजा सुनाई है। अमेरिका में यह धारणा पैदा हो गई है कि अवैध प्रवासी गलत तरीके से उनके देश में प्रवेश करते हैं और फिर उनको मारते हैं। यही कारण है कि इस कानून का समर्थन विपक्ष के कई डेमोक्रेट सांसदों ने भी किया है। डोनाल्ड ट्रंप ने इस हत्या को अपना चुनावी मुद्दा भी बनाया हुआ था। वास्तव में हत्यारा अमेरिका में घुसपैठ के बाद पकड़ा गया था लेकिन अमेरिकी कानून के कारण उसे छोड़ दिया गया इसलिये यह कहा जा रहा है कि अगर उसे छोड़ा नहीं गया होता तो आज लाकेन रिले जिंदा होती । यह कानून कहता है कि अगर कोई अवैध प्रवासी किसी भी किस्म का जुर्म करता है तो उसे तत्काल गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया जाएगा । सिर्फ शिकायत के आधार पर ही अवैध प्रवासी को बिना मुकदमा चलाये जेल भेजने का अधिकार फेडरल पुलिस को दे दिया गया है। राज्य के कानून अधिकारी को यह अधिकार दिया गया है कि अगर फेडरल पुलिस आरोपी के खिलाफ कार्यवाही नहीं करती है तो वो उसकी शिकायत कर सकता है।

              जो अवैध प्रवासी उनसे संबंधित देशों को भेजे जा रहे हैं, ये कानून उनसे अलग है। अवैध प्रवासियों को उनके मूल देशों को भेजना तो कार्यकारी आदेशों से भी हो रहा था लेकिन ये कानून उन अवैध प्रवासियों के लिए लाया गया है जिन्हें ट्रम्प वापिस नहीं भेजना चाहते । डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि अगर ऐसे अपराधियों को वापिस भेजा गया तो वो दोबारा अमेरिका में घुसकर उसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं । ये कानून सामान्य अवैध प्रवासियों के लिए नहीं लाया गया है बल्कि ऐसे अवैध प्रवासियों के लिए लाया गया है जिनके खिलाफ गंभीर अपराधों में मामले दर्ज हैं । ऐसे प्रवासियों को उनके देश न भेजकर क्यूबा की ग्वांतानामो की बदनाम जेल में भेजा जाएगा । इस जेल को दुनिया की सबसे खतरनाक जेल माना जाता है। इस जेल में भेजे जाने वाले आरोपियों का जीवन नरक बनने वाला है क्योंकि ये जेल इसके लिए ही जानी जाती है । ऐसा लगता है कि अमेरिका इन लोगों को जीवन भर उसे नरक में सड़ने के लिए डालने वाला है ।

सवाल उठता है कि जो अमेरिका पूरी दुनिया में लोकतंत्र का झंडा उठाकर घूमता है, वो बिना अपराध साबित हुए और बिना मुकदमा चलाये लोगों को ऐसी भयानक जेल में क्यों डालना चाहता है । इससे साबित होता है कि अमेरिका अपने राष्ट्रीय हितों के लिए लोकतांत्रिक सिद्धांतों को ताक पर रखने वाला है । अब उसे न तो लोकतंत्र की चिंता है और न ही मानवाधिकारों की चिंता है ।  5 फरवरी को अमेरिकी वायुसेना का विमान 104 भारतीयों को लेकर अमृतसर में उतर चुका है, इसके अलावा 101 और भारतीय भी आने वाले हैं । अवैध प्रवासियों को कमर्शियल वायुसेवा की जगह हथकड़ियां लगाकर सैनिक विमान से भेजा गया है। ऐसा लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप यह संदेश देना चाहते हैं कि यह अवैध प्रवासी उनके देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं इसलिये वो पांच गुणा ज्यादा खर्च करके सैनिक विमानों का इस्तेमाल कर रहे हैं। अजीब बात है कि लोकतंत्र और मानवाधिकारों की बात करने वाला अमेरिका अवैध प्रवासियों के साथ यह तमाशा कर रहा है ।  

                अवैध प्रवासियों पर काम करने वाली अमेरिकी एजेंसी ने 15 लाख अवैध प्रवासियों की एक लिस्ट बनाई है जिसमें 18000 भारतीय शामिल हैं । अमेरिका इन सभी अवैध प्रवासियों को भारत भेजने वाला है । अन्य देशों के अवैध प्रवासियों को भी भेजा जा रहा है । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत अवैध प्रवासियों को वापिस लेने को तैयार है । उन्होंने इस मुद्दे पर भारत का रुख स्थिर और सैद्धांतिक बताया है । उनका कहना है कि भारत अवैध प्रवासन का कड़ा विरोध करता है, यह देशों की छवि के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इससे  अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है । अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में अवैध प्रवासियों में भारतीयों की संख्या 7 लाख से ज्यादा है ।  इसमें दो तरह के अवैध प्रवासी शामिल हैं, पहले वो जो बिना किसी दस्तावेज गलत तरीके से अमेरिका गए हैं, दूसरे वो हैं, जो वैध दस्तावेजों के साथ अमेरिका गए थे लेकिन वीजा अवधि समाप्त होने के बावजूद नागरिकता न मिलने पर अवैध प्रवासी बन चुके हैं ।

जो भारतीय वैध दस्तावेजों के तहत अमेरिका गये थे, उनको रियायत देने के लिए भारत सरकार अमेरिका से बात कर सकती है लेकिन जो गलत तरीके से गये हैं, उन्हें वापिस लेना भारत की मजबूरी होगी । जब भारत खुद सैद्धांतिक रूप से अवैध प्रवासियों के खिलाफ है तो वो ऐसे प्रवासियों को वापिस लेने से मना नहीं कर सकता । भारत अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की समस्या से जूझ रहा है । इसमें भारत के लिए भी संदेश छिपा है कि  वो अपने राष्ट्र हितों को देखते हुए बिना किसी के दबाव में आये भारत में घुसपैठ करके आये हुए बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को देश से बाहर निकाले । देखा जाये तो ऐसी कार्यवाहियों पर शोर मचाने वाला अमेरिका खुद भारत को रास्ता दिखा रहा है । वैध या अवैध तरीके से गये प्रवासी भारतीय अमेरिका की जरूरत भी हैं लेकिन भारत को बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की कोई जरूरत नहीं है ।  

                 वैसे देखा जाये तो डोनाल्ड ट्रंप कोई नया काम नहीं कर रहे हैं बल्कि हर साल लगभग दो लाख अवैध प्रवासियों को अमेरिका उनके देश वापिस भेजता है । डोनाल्ड ट्रंप का अभियान बड़ा दिखाई दे रहा है क्योकि वो इस समस्या से पूरी तरह छुटकारा पा लेना चाहते हैं । बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के दौरान हर साल दो लाख से ज्यादा अवैध प्रवासियों को स्वदेश भेजा था और डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने पिछले कार्यकाल में लगभग इतने ही लोगों को वापिस भेजा है । जो बाइडेन के कार्यकाल में लगभग एक लाख लोगों को हर साल वापिस भेजा गया है । डोनाल्ड ट्रंप की मुहिम से लगता है कि वो भारी संख्या में अवैध प्रवासियों को स्वदेश भेजने वाले हैं और इसमें लाखों की संख्या में भारतीय शामिल हो सकते हैं । भारत के लिए यह एक बड़ी समस्या बनने वाली है क्योंकि वैध या अवैध तरीके से गये युवा अमेरिका जाने के लिए 30-40 लाख रुपये खर्च करते हैं । कई युवाओं के परिवारों ने कर्ज लेकर उन्हें अमेरिका भेजा हुआ है । भारत सरकार इसके खिलाफ लगातार काम करती रही है लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं है । डंकी रूट से जाने पर कई लोग रास्ते में ही मर जाते हैं लेकिन अमेरिका जाने का फितूर इस कदर सवार है कि कई लाख भारतीय अवैध तरीकों से विदेश जा रहे हैं । अब लगता है कि ट्रंप की मुहिम के कारण ऐसे लोगों को समझ आयेगी और वो वैध तरीके से विदेश जाने की कोशिश करेंगे ।
 ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को काम देने वाली कंपनियों को सख्त चेतावनी दी है कि वो ऐसे लोगों को काम पर न रखें । इस चेतावनी के बाद अवैध प्रवासियों के लिए अमेरिका में रहना मुश्किल होने वाला है । अमेरिका वापिस भेजे या न भेजे, इन लोगों को अपने देश वापिस आना ही होगा अन्यथा उनके लिए वहां जीना मुश्किल हो जाएगा । विदेशों में काम करने के लिए जाना कोई गलत नहीं है लेकिन इसके लिए गलत तरीके अपनाना बेशक गलत है । आज डोनाल्ड ट्रंप अवैध प्रवासियों को अपने देश से निकाल रहे हैं, कल दूसरे देश भी ऐसा कर सकते हैं, इसलिए विदेश जाने वाले युवाओं को सोच समझ कर कदम उठाने की जरूरत है ।

राजेश कुमार पासी

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