दो सदियों से सत्ता का केंद्र बना हुआ है व्हाईट हाउस

0
184

लिमटी खरे

दुनिया जिसे डरकर सलाम करती है वह है अमेरिका। अमेरिका को यूं ही दुनिया का चौधरी नहीं कहा जाता। अमेरिका जब चाहे जिस देश पर जाकर अपनी सेना से वहां दमन फैला सकता है। जी हां यह सच है। जिसने भी अमेरिका की तरफ आंख तरेरी है। अमेरिका ने उसे नेस्तनाबूत कर दिया है। दुनिया में किसी भी देश के अंदर इतना साहस नहीं है कि वह अमेरिका की जायज नाजायज ज्यादतियों का विरोध कर सके। अगर उसके फौजी दस्ते किसी देश में रूककर रसद या तेल आदि चाहते हैं तो वह सब देना उस देश की मजबूरी में शामिल है। देखा जाए तो गुलामों की मेहनत का नतीजा है विश्व के चौधरी का सरकारी आवास। इसे बड़े जतन से बनवाया था वाशिंगटन ने किन्तु वे इसमें रह नहीं पाए। दुनिया के चौधरी के इस आवास में चोरों ने कई मर्तबा सेंध भी लगाई है। तत्कालीन रसिया महामहिम राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कारण यह जमकर चर्चाओं में रहा है। इसकी नींव 1792 में रखी गई थी।

 

—————————

 

दुनिया के चौधरी अमेरिका के प्रथम पुरूष का सरकारी आवास व्हाईट हाउस में पहली बार अश्वेत राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कदम रखा। व्हाईट हाउस पिछले 200 सालों से विश्व की सत्ता और असीमित शक्ति का केंद्र बना हुआ है। इन दो शताब्दियों में इस सरकारी आवास ने न जाने कितने उतार चढाव देखे हैं। इसकी दीवारों में चुनी गई ईंटों में न जाने कितने राज दफन हैं। ये सब गवाह हैं डिप्लोमेसी, सियासी अच्छाईयों और बुराईयों के, दयालुता और क्रूरता के।

इसके निर्माण में एक दशक से कम का समय लगा। आठ साल में अस्तित्व में आए इस व्हाईट हाउस का नामकरण अलग अलग रूप से किया जाता रहा है, कभी इसे प्रेजिटेंड पेलेस, तो कभी प्रेजिडेंशियल मेंशन तो कभी प्रेजिटेंड हाउस के नाम से पुकारा जाता रहा है। सन 1811 में इसे पहली बार व्हाईट हाउस के नाम से जाना गया। इसके निर्माण में लगभग 600 कामगारों का उपयोग किया गया था। बताते हैं कि इनमें से दो तिहाई से अधिक कामगार गुलाम हुआ करते थे, जिन्हें साठ डालर प्रति साल के हिसाब से मेहनताना मिलता था।

इस इमारत की नींव 13 अक्टूबर 1792 में रखी गई थी। विडम्बना ही कही जाएगी कि जार्ज वाशिंग्टन की देखरेख में 1800 तक चले इसके निर्माण के उपरांत वे इसमें रहने का सुख नही पा सके थे। इस भवन में रहने वाले प्रथम राष्ट्रपति थे जॉन एडम्स। अमेरिका गणराज्य के पहले राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन ने पोटोमैक नदी के किनारे पेंसिलवेनिया एवेन्यू में एक जगह का चयन कर दिसंबर 1790 में एक कानून पारित करवाकर इसके निर्माण की बुनियाद रखी थी। इस विशाल भवन का आर्किटेक्ट भी कोई और नहीं वरन आयरिश नक्शेकार जेम्स हॉबन थे। कुल नौ प्रस्तावों के चयन के उपरांत हॉबन को बेहतरीन डिजाईन के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित भी किया गया था।

विश्व भर में सबसे ताकतवर मानी जाने वाली शक्सियत के इस सरकारी आवास के स्वरूप में भी समय समय पर परिवर्तन किया जाता रहा है। 1805 में तत्कालीन राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन ने इसमें कुछ अतिरिक्त कक्षों का निर्माण करवाया था। 1814 में ब्रिटिश सेना ने इसके कुछ हिस्सों को आग के हवाले भी कर दिया था। इसके बाद 1817 में तत्कालीन महामहिम जम्स मुनरो ने इसकी मरम्मत का काम करवाया था। इतना ही नहीं 1929 में भी आग के चलते इसके पश्चिमी भाग को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

व्हाईट हाउस को समय समय पर महामहिमों की इच्छा के अनुरूप जनता के लिए भी खोला जाता रहा है। सबसे पहले थामस जेफरसन ने 1805 में पदभार ग्रहण करते समय यहां रियाया को आमंत्रित किया गया था। यह क्रम 1885 तक बदस्तूर जारी रहा। इसके बाद ग्रोवर क्लीवलैड ने इस प्रथा पर विराम लगा दिया। इसके बाद विवादित महामहिम बिल क्लिंटन ने नए साल के मौके पर जनता के लिए कुछ समय हेतु इसे खोलने की परंपरा का आगाज किया।

व्हाईट हाउस सबसे अधिक चर्चाओं में बिल क्लिंटन के कार्यकाल में ही आया। मोनिका लेविंस्की और क्लिंटन के अवैध संबंधें के चलते दुनिया भर की नजरें व्हाईट हाउस पर आ टिकीं थीं। इन दोनों के प्रेम प्रसंगों पर न जाने कितने लेखकोें ने मनगढंत कहानियां गढ़कर खासी कमाई भी कर ली थी। जिन किताबों में क्लिंटन मोनिका के प्रेम प्रसंग हैं, उनमें व्हाईट हाउस के अंदर का वर्णन भी किया गया है, जो लोगों के मन में कोतुहल बढ़ा देता है।

18 एकड़ क्षेत्र में बने अमेरिका के प्रथम नागरिक का सरकारी आवास कुल 168 फिट लंबा और 137 फिट चौड़ा है। यह दक्षिण दिशा में 70 फिट तथा उत्तर दिशा में साठ फिट उंचा है। इसकी बाहरी दीवारों को सफेद रंग से रंगने के लिए 300 गेलन पेंट का उपयोग किया जाता है। इस भवन में कुल 132 कमरे हैं, जिनमें 16 बेडरूम, एक मुख्य रसोई, एक आहार रसोई, 35 गुसलखानों का शुमार है। भूतल मंे एक प्रमुख गलियारे के अलावा अनेकानेक विश्राम कक्ष, मीटिंग हाल, गुसल आदि मिलाकर इसका कुल कारपेट एरिया 55 हजार वर्ग फुट है।

विश्व के सबसे शक्तिशाली महानायक के इस सरकारी आवास में अनेकानेक बार सेंध भी लग चुकी है। 1974 में अमेरिकन आर्मी का एक चोरी गया हेलीकाप्टर इस परिसर में उतरा गया था, इसके अलावा 20 मई 1994 में उल्का विमान भी इस भवन की सैर कर चुका है। 1995 की आतंकवादी घटना और 11 सितम्बर (9/11) की घटना के बाद इस इमारत की चौकसी बढ़ा दी गई है। अमेरिका के इस भवन में होने वाले घटनाएं अंदर ही दफन कर दी जाती हैं। मोनिका प्रकरण के अलावा और कोई भी राज बाहर नहीं आ सका है। पिछले दिनों बराक ओबामा की ‘बियर डिप्लोमेसी‘ के कुछ फोटो व्हाईट हाउस ने जारी किए थे जिसमें ओबामा अपने मित्रों के साथ लान में बैठकर बियर पी रहे थे, ने लोगों के मन में इस भवन के प्रति उत्सुक्ता और बढ़ा दी थी।

 

Previous articleअमर सिंह निर्दोष और अन्ना भ्रष्टाचारी हैं ।
Next articleआर्थिक सहभागिता में ग्रामीण महिलाओं का योगदान
लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here