—विनय कुमार विनायक
किसी की समस्या को अपना समझना ही अपनापन है,
किसी को मुश्किल में अकेला छोड़ देना ही बेगानापन है!
सब आते अकेला इस जहाँ में,पर यहाँ साथी मिलता है,
पहले माता पिता भाई बहन रिश्ते, कि दुनिया बेरहम है!
हर कोई किसी का माँ बाप भाई बहन औ सनम होता है,
रिश्ते को जिम्मेदारी से निभाने वाला ही हमदम होता है!
भूमि में बिखरी बहुत चीजें जिसे धन सोना चांदी कहते हैं,
पर आसपास के जीवंत जीव से बड़ा नहीं कोई धन होता है!
हर शख्स का दूसरे के साथ कुछ कर्तव्य और धर्म होता है,
पर सभी धरा का कचरा इकट्ठा करने में ही मगन होता है!
धरा में जमा किया बेशुमार कचरा धरा का धरा रह जाता है,
कुछ छोड़ दो जरूरतमंद के लिए, जिससे जीवनयापन होता है!
जो सुविधा मिली है प्राणियों से, उसे प्राणी को लौटाना होता है,
कर्मफल का सिद्धांत यही इसलिए बार-बार जन्म लेना होता है!
चाहे जिससे मिली अकूत संपदा, उसे अपनी समझना विपदा है,
धन वैभव रब ने सबके लिए दिए, पाप अति धनोपार्जन होता है!
जान लो कर्मफल से मुक्ति के लिए मिलता मानव जीवन है,
सगे संबंधी कर्मफल भोगने आते उसकी उपेक्षा ही कर्मबंधन है!