देशभक्ति की भावना जगाने की जरूरतः विजयवर्गीय

कारगिल विजय दिवस का आयोजन

भोपाल 26 जुलाई। देशवासियों में राष्ट्र की सेवा के जज्बे की कमी नहीं है लेकिन मौजूदा माहौल में नकारात्मकता हावी हो गई है। इसने देशभक्ति की भावना को गौण कर दिया है। मीडिया ही इस माहौल को एक सकारत्मक दिशा दे सकता है। यह बात मप्र के उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में आयोजित कारगिल विजय दिवस समारोह में कही। वे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे। इस अवसर पर श्री विजयवर्गीय ने देश भक्ति गीत के माध्यम से विद्यार्थियों से देश की रक्षा की अपील की

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार एवं सांसद तरूण विजय ने कहा कि दिल्ली में बैठी सरकार को कारगिल विजय दिवस मानने की फुर्सत ही नहीं है। वह सिर्फ पैसे के पीछे भागती है। कांग्रेस शासन की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि देश ने आजादी के बाद जो जमीन खोई है, उसके लिए तत्कालीन केंद्र सरकारें जिम्मेदार है। सैनिकों की उपेक्षा से व्यथित तरूण विजय ने कहा कि देश का युवा आऊटसोर्सिंग द्वारा लाया जा रहे दूसरे देशों का काम करना पसंद कर रहा है, पर वह सेना में नहीं जाना चाहता। लोग सैनिकों के काम को पुण्य मानते हैं किंतु सैनिकों का सम्मान न तो सरकार कर रही है और न ही समाज। उन्होंने कहा कि कारगिल दिवस को गौरव-गाथा के रूप में याद किया जाना चाहिए न कि सैनिक सुविधा की माँग करते हुए उनके अभिभावकों की बेचारगी के रूप में। उन्होंने विद्यार्थियों को सेना और सैनिकों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कर्नल आजाद कृष्ण चतुर्वेदी ने अपने सेना के अनुभव के माध्यम से कारगिल युद्ध की संवेदनशीलता को महसूस कराने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि मई के करीब कारगिल युद्ध को होना संयोग नहीं था, बल्कि यह पाकिस्तान की एक सोची-समझी रणनीति थी। लेकिन कारगिल युद्ध की हार के बाद पाकिस्तान यह समझ गया कि वह किसी भी हालात में भारत से नहीं जीत सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि ऐसा महसूस हो रहा है कि देशवासियों की राष्ट्रप्रेम की भावना में कमी आई है। उन्होंने कहा कि देश के नागरिकों को देश की रक्षा को बोध स्वयं में होना चाहिए, रक्षा करने का काम केवल सैनिकों का ही नहीं समझना चाहिए, यह हर नागरिक का कर्तव्य है।

कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ । अतिथियों को पुष्प गुच्छ,प्रतीक चिन्ह एवं पुस्तकें देकर स्वागत किया गया। संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी एवं आभार प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष अमिताभ भटनागर ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा, विजयमनोहर तिवारी, रामभुवन सिंह कुशवाह, सुरेश शर्मा, अंजनी कुमार झा, पीएन साकल्ले, दीपक शर्मा, विकास बोंद्रिया, जीके छिब्बर, डा. श्रीकांत सिंह, डा. पवित्र श्रीवास्तव, पुष्पेंद्रपाल सिंह, पी.शशिकला, रजिस्ट्रार चंदर सोनाने , डा. अविनाश वाजपेयी, ,सौरभ मालवीय, डा. मोनिका वर्मा, लालबहादुर ओझा, डा. संजीव गुप्ता, डा. राखी तिवारी, अभिजीत वाजपेयी, मनीष माहेश्वरी सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे।

विजयवर्गीय के सुरों पर झूमे विद्यार्थी

इस अवसर पर उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विद्यार्थियों की मांग पर “कर चले हम फिदा जानोतन साथियों…अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों।” गीत गाकर माहौल को भावुक बना दिया। उनकी सुर-लहरियों पर उनके सुर में सुर मिलाकर विद्यार्थी भी गीत के बोलों पर झूम उठे। इससे पूरा माहौल सरस हो गया।

1 COMMENT

  1. श्रीकृष्ण जोशी ‘नक़्शे नवीस’ की १९२७ की रचना ‘ऐसे नर धीर ही नागरिक कहाते हैं’ कविता में देश की वर्त्तमान अवस्था और व्यवस्था के बारे में तथा उसमें सुधार लाने के तरीके का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया गया है | ऐसे मौकों पर उनकी कविता, लगता है इसी दिन के लिए रची गई थी |
    कविता को निम्न लिंक पर पढ़ा जा सकता है :
    ईंट कहीं की मांगे रोड़ा कहूं को लगाय,
    भानमती सा न ज्ञान देश में सिखाते हैं |
    विद्या से विनय पाय सुदृढ़ सुशक्ति धारि,
    अपनी मरालता न बक में मिलाते हैं |
    सत्य गुण गर्भितों की गुरुता का गान करें,
    झूठे गुण गर्वितों के गर्व को गिराते हैं |
    “कृष्ण” की कृपालु कला से कुतंत्र क्लेश हरें,
    ऐसे नरधीर ही नागरिक कहाते हैं ||
    https://shreekrishnajoshi.blogspot.in/2012/01/blog-post_25.html

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