कविता साहित्‍य

विश्वास- विश्वशान्ति का

हर दिशा से शान्ति की पुरवाइयाँ बहें ।
विश्व है परिवार सबका,यही जन जन कहें ।
प्रेम का जल द्वेष की ज्वाला बुझाए ।

विश्वप्रेम की प्रतिपल ज्योति जगाए।।

हिंसा तो बस प्रतिहिंसा को है बढ़ा रही ।

जग को है भयभीत और अशान्त कर रही ।।

है विश्वास यही मन में ,एक दिवस वह आएगा ।

आतंकी का भय न रहेगा,शान्ति का सुख छाएगा ।।

शान्ति सृजन के खोले द्वार ,

आतंक तो करता संहार ।।

आतंकमुक्त जग होगा निर्भय ,

सबका जीवन होगा सुखमय।।

विश्वशान्ति की होगी जय ,

सत्य की होगी विजय ।।