हार हो जाये ,तब इवीएम में है दोष
जीत जाये तो वह बिल्कुल है निर्दोष
बिल्कुल है निर्दोष किस पर ठीकरा फोड़े
मिला नहीं कोई तो इ वी एम पर ही फोड़े
कह रस्तोगी कविराय,लाओ फूलो का हार
हार गये तो क्या,तुम पहनाओ हार का हार
आर के रस्तोगी
हार हो जाये ,तब इवीएम में है दोष
जीत जाये तो वह बिल्कुल है निर्दोष
बिल्कुल है निर्दोष किस पर ठीकरा फोड़े
मिला नहीं कोई तो इ वी एम पर ही फोड़े
कह रस्तोगी कविराय,लाओ फूलो का हार
हार गये तो क्या,तुम पहनाओ हार का हार
आर के रस्तोगी
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।