राजनीति विश्ववार्ता

चीन के सामने काँग्रेस सरकार का कमजोर नेतृत्व और भारत के हितों पर चोट

विदेश मंत्री कृष्णा का वक्तव्य कि कश्मीर हमारे लिए उसी तरह है जैसे कि चीन के लिए तिब्बत – एक कमजोर और नासमझ नेतृत्व की निशानी है।

चीन एक शक्तिशाली और गौरवशाली भारत से मिलने आया था परन्तु दिल्ली में उसे साष्टांग दंडवत करते कमजोर शासक मिले। चीन ने भारत की तीक्ष्ण मेधा, भारत के बेमिशाल कौशल, भारत की अपूर्व दूरदृष्टि के विषय में सुना था और माना भी था। चीन भारत के चढ़ते सूर्य की लालिमा और ऊष्मा से गले मिलकर देखना चाहता था। चीन अपने गुरु राष्ट्र से मिलने आया था। अहो भाग्य, चीन को भयभीत शासक वर्ग मिला जो किसी तरह बस अपने शासन को चलाते रहना चाहता है। चीन भारत के भाग्य विधाता की बजाय भारत के सुविधाभोगियों से मिला।

हिन्द के चाहने वाले जहाँ एक तरफ अपने प्राण न्यौछावर कर उसकी धरती की रक्षा करते हैं वहीं दूसरी ओर कमजोर नेतृत्व उन बलिदानों को पानी की तरह बहा देता है।

यह एक विषम परस्थिति है। ऐसा प्रतीत होता है कि देश का नेतृत्व पूर्णतया अकुशल लोगों के हाथों में चला गया है। इन्हें यह भी नहीं पता कि चीन ने तिब्बत पर कब्जा जमाया था जबकि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहा है। या फिर यह लोग चीन की शक्ति और चीन के हमारे बगल में ही बैठे होने से भयाक्रांत हैं। इन्हें डर है कि ज्यादा साफ बात की तो चीन हमला न कर दे। तब हमारा क्या होगा ?

कहाँ वह सुभाष था जो एक अकेला ही सीमाओं को साधनहीन होते हुए भी पार करता हुआ सेनाएँ सज़ा कर अंग्रेज़ों के विरुद्ध आ खड़ा हुआ था और कहाँ यह दुर्बल, हीनभाव से ग्रस्त शासक वर्ग। ओ भारत के भाग्य विधाता – जनता जनार्दन – जागो और उखाड़ फेंको यह भ्रष्ट और कमजोर शासक।