
यही नहीं है जीवन ,
सर्दी में गर्मी,
गर्मी में सर्दी का प्रबंध।
गर्मियों में ,
झुलसना बदन,
मिचमिचाती आंखें,
भन्नाता दिमाग,
कभी चक्कर खा ,
जमीन पर गिरता,
गर्द से लथपथ हो,
लहुलुहान होता शरीर।
सर्दियों में ,
ठिठुरता शरीर ,
हड्डियों को चीरती ,
दांतों को किटकिटाती,
देह को कंपकंपाती ,
सर्दी की चुभन।
बरसात में,
नहीं ,सोंधी सोंधी मिट्टी की
खुशबू का अहसास ,
सर पर आसमान,
टपकती तिरपाल,
टीन की ही छत।
जीवन में सबके,
सर्दी,गरमी ,बरसात
नहीं लाते ,
नवजीवन का उल्लास,
बहुतों के जीवन को,
बना देते हैं,
और अधिक जटिल,
कठिन और विद्रूप।