आदमी आज क्या क्या भूल गया।

आदमी आज क्या क्या भूल गया।
नई आने पर वह पुरानी भूल गया।।

जब से टूथ पेस्ट बाजार में आया है।
वह नीम की दातुन करना भूल गया है।।

जब से घर में पानी नल लगवाया है।
नदियों में स्नान करना वह भूल गया है।।

जब से पिसा पिसाया आटा घर आया है।
वह चक्की पर गेहूं पिसाना भूल गया है।।

जब से रंगीन टी वी घर में आया है।
वह अच्छी किताबे पढ़ना भूल गया है।।

जब से ए सी कूलर घर में आया है।
वह वृक्षों की शीतल छाया भूल गया है।

जब से फ्रिज हर घर में आया है।
वह ताजा खाना,खाना भूल गया है।।

जब से घर के दरवाज़े पर कार आई है।
वह पैदल चलना फिरना ही भूल गया है।।

जब से घर में नया कंप्यूटर आया है।
वह घर वालो से बाते करना भूल गया है।।

जब से लोगो के हाथ में मोबाइल आया है।
चिट्ठी पत्री लिखने भी वह भूल गया है।।

जब से वह अपने गांव से शहर आया है।
अपने गांव की मिट्टी की गंध को भूल गया है।

जब से परफ्यूम बदन में लगाने लगा है।
वह फूलो की सुगंध को ही भूल गया है।।

जब से फास्ट फूड और जंक फ़ूड आए है।
महिलाएं भी पारंपरिक व्यजन भूल गई है।

क्या कया याद कराऊं मैं तुमको भैया।
मैं तो इस जमाने के आगे सब भूल गया।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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