अपने अनुभवों से सीखा, तो क्या सीखा

डॉ. शंकर सुवन सिंह

अपने अनुभवों से सीखा,
तो क्या सीखा।
दूसरों के अनुभवों से सीखा,
तो बहुत कुछ सीखा।
सीख तो अपनों ने भी दी,
पर अपनों में अनुभव कम था।
अनुभवों के खिलाड़ी थे हम,
भाव गैरों को दिया नहीं।
गैरों ने ठुकराया नहीं।
हमने किसी को अपनाया नहीं।
हम मिले हमनवां मिला,
मिलकर हुए पूरे।
पाया अपनों को वहाँ,
अपनों के भाव में ह्रदय की रसधार जहाँ।
अपने अनुभवों से सीखा,
तो क्या सीखा————-

रचनाकार एवं शिक्षाविद
डॉ. शंकर सुवन सिंह

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