इं. दिवस दिनेश गौर
मित्रों, यह तो सर्वविदित ही है की उत्तर प्रदेश के आठ जिलों में मायावती सरकार द्वारा केंद्र सरकार की स्वीकृति से दस यांत्रिक पशु वधशालाएँ खोली गयी हैं| जहाँ पर दस से पंद्रह हज़ार निर्दोष पशुओं को प्रतिदिन एक वधशाला में ही काट दिया जाएगा| कुल मिलाकर इन दस वधशालाओं में प्रतिदिन एक से डेढ़ लाख निर्दोष पशु दर्दनाक मौत मारे जाएंगे|
इसके विरोध में जैन मुनि श्री मैत्री प्रभु सागर २६ अप्रेल से बडौत में आमरण अनशन पर बैठे हैं| इस अभियान में उन्हें भारी जनसमर्थन मिल रहा है| केवल बडौत या उत्तर प्रदेश से ही नहीं अपितु देश भर से लोग उन्हें समर्थन दे रहे हैं| सरकार पूरी कोशिश में लगी है कि किसी भी प्रकार इस अनशन को तोडा जाए| इसीलिए १२ मई की अर्ध रात्री में उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस ने जबरन गिरफ्तार कर लिया और उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया जहां जबरदस्ती उन्हें ग्लूकोज़ दे दिया गया| इससे महाराज श्री का क्रोध और बढ़ गया और उन्होंने कहा की मेरा अनशन अभी टूटा नहीं है, मैंने मूंह से अभी तक कुछ नहीं खाया है अत: मेरा अनशन जारी रहेगा|
महाराज श्री के समर्थकों ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया तो पुलिस ने उन्हें बर्बरता से पीटा| उन पर लाठी चार्ज व फायरिंग की गयी| बहुत से लोग घायल हो गए| कर्नाटक के संत स्वामी दयानंद भी जैन मुनि का समर्थन कर रहे थे| उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया किन्तु उनकी गिरफ्तारी नहीं दिखाई गयी|
इसी बीच छपरौली कस्बे के एक युवक एवं वंचित जमात पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तर सलमानी ने महाराज श्री का समर्थन किया व उनकी गिरफ्तारी के विरोध में यह चेतावनी दी कि यदि ३६ घंटों के भीतर महाराज श्री की मांगों को स्वीकार नहीं किया गया तो वे १५ मई को पुलिस थाने के सामने आत्मदाह कर लेंगे| उनका कहना है कि महाराज श्री को इस प्रकार जबरन अनशन से उठाकर प्रदेश सरकार ने जन भावनाओं को आहत किया है|
अस्पताल से महाराज श्री को सीधे दिल्ली के दिलशान गार्डन ले जाया गया| महाराज श्री ने चेतावनी दी है कि जब तक सरकार इन पशु वधशालाओं को बंद नहीं कर देती तब तक हमारा आन्दोलन जारी रहेगा|
१९ मई को राजघाट से जंतर-मंतर तक महाराज श्री के नेतृत्व में अहिंसा रैली निकाली जाएगी|
इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश में पशुओं पर होने वाली क्रूरता एवं इसके परिणाम स्वरुप होने वाले नुक्सान का एक और उदाहरण देखिये|
मेरठ में हापुड़ रोड पर एक कमेला है जहाँ पशु वधशालाओं में प्रतिदिन ६००० हज़ार पशुओं को काटा जाता है| वहां हड्डी व चमड़ा गोदाम हैं| जानवारों के अवशेषों व हड्डियों से चर्बी निकालने के लिए भट्टियां लगी हुई हैं, जिनसे निकलने वाले धुएं की बदबू से वहां के निवासीयों का जीना दूभर हो गया है| इस कमेले के प्रदूषित जल को काली नदी में बहा दिया जाता है, जिससे नदी पूरी तरह प्रदूषित हो गयी है| इसके अ तिरिक्त धरती में बोरिंग करके ३०० फुट नीचे तक इस प्रदूषित जल को भूगर्भ में भी डाला जा रहा है| जिससे नगर निगम की २५ कॉलोनियों का जल पीने लायक नहीं रहा| इस इकाई में चार वधशालाएँ हैं| ६०० भट्टियां व १० हड्डी व चमड़ा गोदाम हैं| प्रतिदिन ६००० हज़ार पशुओं की हड्डियों को पकाने के लिए ८८० टन लकड़ियों को भी जलाया जाता है| इस पूरे कारोबार में ९२० टन पानी का उपयोग होता है, जिसके लिए पानी का कोई क�¤ �ेक्शन नहीं लिया गया है यह सारा पानी बोरिंग के द्वारा भूगर्भ से निकाला जा रहा है| इससे प्रतिदिन १०१२ लीटर प्रदूषित जल (जिसमे १२० किलो पशुओं का रक्त भी शामिल है) की निकासी के लिए इसे काली नदी व भूगर्भ में छोड़ दिया जाता है| इसके परिणाम स्वरुप शहर में प्रतिदिन सवा लाख किलोग्राम मांस की खपत शहर में हो रही है|
मेरठ की सबसे बड़ी समस्या यह कमेला है| जहाँ प्रतिदिन हज़ारों निर्दोष पशुओं को बड़ी बेदर्दी से मारा जा रहा है| इसके द्वारा शहर का पर्यावरण व जल प्रदुषण भी हो रहा है| इस कमेले के आसपास बांग्लादेशी बसे हुए हैं जो इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं| ये बांग्लादेशी देश के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं| यह कमेला कमाई का मोटा साधन होने के कारण राजनीति को प्रभावित करता है जिसके कारण कई बार शहर का वातावरण खराब हो चूका है| और सबसे बड़ी बात यह कमेला नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्ज़ा कर के बनाया हुआ है| फिर सरकार इसे बंद क्यों नहीं करती है?
इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के नरक बन जाने का एक और प्रमुख कारण इन दिनों चर्चा में है| हमारे भारत देश का अन्न दाता किसान किस प्रकार यहाँ ठगा जा रहा है यह अब किसी से छिपा नहीं है| यमुना एक्सप्रेस हाइवे के नाम पर किसानों से उनकी ज़मीनों को छीना जा रहा है| अब यमुना एक्सप्रेस हाइवे का किसानों के लिए क्या उपयोग होगा? वे तो बेचारे इस सड़क पर चलने के लिए टोल टैक्स भी नहीं दे सकते| इसके अतिरिà ��्त किसानों से उनकी जमीन कौड़ियों के भावों में सरकार द्वारा हडपी जा रही है और महंगे दामों पर बड़ेबड़े उद्योगपतियों को सौंपी जा रही है| और यह सब कुछ अंग्रेजों के बनाए क़ानून के अंतर्गत हो रहा है जिसे आज तक बदला नहीं गया| यह भूमि अधिग्रहण विधेयक १८९४ में अंग्रेज़ सरकार द्वारा किसानों की भूमि हड़प कर ईस्ट इण्डिया कंपनी को सौंपने के लिए बनाया गया था, जिसका आज तक उसी प्रकार उपयोग हो रहा है| अंतर है तो केवल इतना की पहले अंग्रेजों द्वारा किसानों की ज़मीन को हड़प कर ईस्ट इण्डिया कंपनी के नाम किया जाता था किन्तु आज इन काले अंग्रेजों द्वारा किसानों से उसी प्रकार उनकी भूमि छीन कर बड़े बड़े उद्योग पतियों को बेचा जा रहा है| और विरोध करने पर सरकार पुलिस के द्वारा लाठियां बरसा रही है एवं निर्दोष किसानों पर गोलियां चलवा रही है|
अब आप ही सोचें कि भगवान् श्री राम व श्री कृष्ण की जन्मभूमि उत्तर प्रदेश को इस मोह ”माया” ने कैसा नरक बना डाला???