राजनीति

क्या सत्तालोलुप कांग्रेस भारत को एक और विभाजन की ओर ले जाना चाहती है?

डॉ. सुरेन्‍द्र जैन

विकीलीक ने कांग्रेस के साम्प्रदायिक चेहरे पर से एक बार और पर्दा उठा दिया। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने अमेरिकी राजदूत को कहा है कि” भारत को जेहादी आतंकियों से ज्यादा खतरा हिंदू संगठनों से है।” इससे पहले इन्हीं महाशय ने संघ की तुलना सिमी से करने की नादानी की थी। विकीलीक ने कुछ दिन पहले यह रहस्योदघाट्न किया था कि कांग्रेस भारत में साम्प्रदायिक राजनीति करती है। इसी राजनीति के कारण कांग्रेस ने अंतुले से आरोप लगवाये थे कि करकरे की हत्या में हिन्दू संगठनों का हाथ है। अब एक और कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने करकरे के साथ तथाकथित रूप से हुइ बात का हवाला देते हुए कहा था कि करकरे को हिन्दू संगठनों से खतरा है । महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि करकरे की दिग्विजय से बात के कोई रिकार्ड नहीं हैं। इससे पहले करकरे की पत्नी तथा मुम्बई हत्याकांड के जांच अधिकारी ने इस तरह की किसी बात से इंकार किया था। इन सबके बावजूद कोई न कोई कान्ग्रेसी इस प्रकार के अनर्गल दुष्प्रचार में लगा रहता है। उन्हें न इस बात की चिंता है कि उनकी इस बचकाना और घिनोनी हरकतों से आतंकियों की कितनी हिम्मत बढती है, पाकिस्तान के हौंसले कितने बुलंद होते हैं ,जांच एजेंसियां कितनी प्रभवित होती हैं तथा दुनिया में भारत की कितनी जगहंसाई होती है। अभी तक ऍसा लगता था कि इन हरकतों से ये अनजाने में आतंकियों की सहायता कर रहे हैं परन्तु अब लगता है कि ये नेता जानबूझ कर आतंकियों की मदद करते हैं। गद्दी के लालच में ही इन्होंने भारत का विभाजन किया था, आज भी ये सत्तालोलुप चंद मुस्लिम वोटों के लिये देश को एक और विभाजन की ओर ले जा रहे हैं।

बार- बार हिंदू संगठनों का डर दिखा कर वे मुस्लिम समाज को आतंकित करना चाहते हैं। वे इस नापाक हरकत से कई पाप कर रहे हैं। वे अपने इस दुष्प्रचार से आतंकी संगठनों की भाषा बोलकर उनके प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। दूसरे, उनकी इन हरकतों से मुस्लिम समाज का एक वर्ग भ्रमित होकर देश की मुख्य धारा से अलग हो सकता है। क्या इनके इन पापों की भरपाई की जा सकती है? हिन्दू संगठनों से लडना है तो हम उन्हें चुनौती देते हैं कि वे वैचारिक आधार पर सभ्य समाज की तरह लडें। वे किसी भी मंच पर हमें गलत सिद्ध करें, हम सत्य सामने लायेंगे। इसके बाद समाज को सही गलत का निर्णय करने दें। इस लडाई में वे देश के हितॉ का बलिदान न दें। यदि कांग्रेस में कोई सद बुद्धि वाला नेता बचा है तो वह इन लोगों को समझाये। देश को वे इस मोड की ओर न ले जायें जहां से वापस आना उनके लिये मुश्किल हो जाये।

जहां तक राहुल गांधी का सवाल है , वे बचकाना बुद्धि के नासमझ युवक हैं। उन्हें न देश के इतिहास की समझ है और न देश की समस्याओं की। देश की जडों तक उनकी पहुंच नहीं है। वे इस देश की सत्ता को केवल अपनी जागीर समझकर अपने प्रबंधकों के हाथ की कठपुतली बन कर बेहूदी हरकते करते रहते हैं। उन्हें यह भी नहीं मालूम की विदेशी राजनयिकों से देश की आंतरिक राजनीति पर कितनी चर्चा करनी चाहिये। उन्हें नहीं मालूम वे देश का कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं। शायद देश के नुकसान की उनको परवाह भी नहीं है।