दोहे साहित्‍य

मच्छड़ का फिर क्या करें

mausमैंने पूछा साँप से दोस्त बनेंगे आप।

नहीं महाशय ज़हर में आप हमारे बाप।।

 

कुत्ता रोया फूटकर यह कैसा जंजाल।

सेवा नमकहराम की करता नमकहलाल।।

 

जीव मारना पाप है कहते हैं सब लोग।

मच्छड़ का फिर क्या करें फैलाता जो रोग।।

 

दुखित गधे ने एक दिन छोड़ दिया सब काम।

गलती करता आदमी लेता मेरा नाम।।

 

बीन बजाये नेवला साँप भला क्यों आय।

जगी न अब तक चेतना भैंस लगी पगुराय।।

 

नहीं मिलेगी चाकरी नहीं मिलेगा काम।

न पंछी बन पाओगे होगा अजगर नाम।।

 

गया रेल में बैठकर शौचालय के पास।

जनसाधारण के लिये यही व्यवस्था खास।।

 

रचना छपने के लिये भेजे पत्र अनेक।

सम्पादक ने फाड़कर दिखला दिया विवेक।।