समाज

क्या हुआ बाद में गुवाहाटी के उस लड़की के साथ !

राजीव पाठक

गुवाहाटी में एक लड़की के साथ जो कुछ हुआ,उसके बारे में हमें मिडिया ने अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ सभी जानकारियां दी | महिला आयोग ने भी अपनी सक्रियता दिखाई | और अंततः जैसा अन्य मामलों में होता है वैसे ही समाज जाग खड़ा हुआ | लगा की अब इसके दोषियों को ऐसी सजा मिलेगी कि देश में इस प्रकार के अपराध को रोकने हेतु एक नजीर होगा | लेकिन मजे की बात देखिये कि इस केस में जिस पुलिस प्रशासन को सबसे गुनाहगार बता दिया गया था, जब उसी ने तहकीकात शुरू की और जब हकीकत सामने आने लगी तो एक ऐसी चुप्पी साधी गई है जिस चुप्पी का मतलब है ‘केस की छानबीन चल रही है’ ऐसा मानकर जगे हुए समाज को पूर्व कि भांति फिर बेवकूफ बना दिया गया | लेकिन हकीकत कुछ और है |

दरअसल टीम अन्न के सदस्य और कृषक मुक्ति संग्राम के अग्रदूत अखिल गोगोई ने इस घटना के प्रकाश में आते हीं यह बयान दिया कि इसके पीछे सरकारी तंत्र से पल रहे गुंडों का ही हाथ है | इस बयान को मौका पर चौका मरने वाला समझ कर लोगों ने भी ज्यादा तबज्जो नहीं दिया और सरकार ने तो पलटवार में इसे गैर जिम्मेदाराना करार दिया | लेकिन संयोग हो या सही जानकारी, अखिल गोगोई की बात अगले ही दिन सच साबित हुआ | जब विडिओ में चेहरे को पहचाना गया उसमें एक स्थानीय न्यूज चैनल का पत्रकार भी था जो उसी पब में दारू पीने आया था |इसी पत्रकार ने सबसे पहले लड़की के साथ छेड़छाड़ शुरू किया |यह कोई और नहीं ‘न्‍यूज लाइव’ चैनल के रिपोर्टर

 

गौरव ज्‍योति हैं, जिन्होंने ही यह दरिंदगी शुरू की ।न्‍यूज लाइव के मालिक हेमंत विश्‍व शर्मा हैं। हेमंत विश्व शर्मा असम के शिक्षा व

 

चिकित्‍सा मंत्री भी हैं। गुवाहाटी के विधायक हैं और काफी दबंग माने जाते हैं | साथ ही पता चला है कि विडिओ में दिख रहा लाल शर्ट

 

वाला कलिता यूथ कांग्रेस

 

से जुड़ा रहा है, नौकरी मिलने के बाद सेवा शर्तों की वजह से उसने यूथ कांग्रेस छोड़ दी थी | लेकिन कलिता का अभी भी कांग्रेस से

 

नजदीकी रिश्ता बताया जाता है |ज्ञात हो कि कलिता ने कांग्रेस नेता हेमंत विश्व शर्मा के लिए चुनाव प्रचार और तमाम तरह के चुनावी

 

प्रबंधन को भी अंजाम दिया है | ये सभी बातें अखिल गोगोई ने मिडिया के सामने भी रखी,और फिर जो लीपा-पोती का खेल शुरू हुआ,

 

उस पर अब राजनीतिक रंग चढ़ गया है | साहब ! राजनीति का रंग तो काला होता है जिसपर यह रंग चढ़ जाय,फिर उसकी पारदर्शिता

 

का अंत हो जाता है | वही हो रहा है इस घटना में उस लड़की को न्याय दिलाने के नाम पर |

 

असम प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को जब यह हकीकत पाता लगा कि उस लड़की को नोचने वाले भीड़ में अधिकांश असम

 

यूथ कांग्रेस के मनचले थे,तो आनन-फानन में महिला आयोग के नाम पर दिल्ली से कुछ होशियार औरतों का एक दल फ़ौरन गुवाहाटी

 

भेज दिया गया | महिला आयोग की सदस्या अल्का लाम्बा को यह जिम्मेदारी दी गई कि इस मामले में कांग्रेस,हेमंत विश्व शर्मा और

 

उनके चैनल का नाम न आये ऐसा सफाई वाला काम किया जाय | महिला आयोग के सदस्याओं का गुवाहाटी के हवाई अड्डे पर राज्य

 

महिला आयोग के सदस्याओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया जिसका कोई औचित्य नहीं था |लेकिन इसके पीछे गजब की चालाकी थी |

 

स्थानीय मिडिया को क्या बताया जाय और क्या न बताया जाय ये बातें स्वागत के बहाने असम राज्य महिला आयोग के सदस्याओं ने

 

अल्का लाम्बा को बता दिया | योजना तरीके से बनाई गई अतः मामला को गंभीर बताते हुए मिडिया से ज्यादा बात-चीत नहीं की गई |

 

महिला आयोग और राज्य महिला आयोग के सदस्याओं का पीड़ित लड़की से मिलना हुआ | इधर असम कांग्रेस ने एक नया नाटक रचा |

 

अखिल गोगोई के ग्रुप से किसी एक लड़के को समझा-बुझाकर मिडिया के सामने एक बयान में कहलवाया गया कि अखिल गोगोई कृषक

 

मुक्ति संग्राम के नाम पर युवाओं को उग्रवादी संगठनों से जोड़ने का काम करते है | फिर क्या

 

था स्थानीय मिडिया का ध्यान योजना पूर्वक लड़की वाले घटना से हटा दिया गया और नया मुद्दा ये बना कि अखिल गोगोई की

 

सी.बी.आई. जाँच होनी चाहिए | महिला आयोग कांग्रेस आलाकमान के मुताबिक अपना कार्य कर दिल्ली वापस आ गई | लड़की के घर

 

वालों को कांग्रेस का संरक्षण मिलेगा ऐसा आश्वासन दिया गया | केस चलता रहेगा, लड़की को कोर्ट में जाते रहना है | ‘उसने किसी को

 

नहीं पहचाना’ ऐसा बयान देना है | ये सब बातें तय की जा चुकी है | लेकिन एक उम्मीद न्यायलय से है जो पीड़ित के साथ हुए राजनीति

 

को भी समझ सकता है और गुनाहगारों को जल्द से जल्द और सख्त सजा सुना सकता है ताकि फिर से कोई ऐसी हरकत न करे और

 

हरकत करने वाले को राजनीतिक संरक्षण न मिले |

 

अब इस पूरे मामले पर गंभीरता से विचार करिए | दर्जन भर सवाल आपके माथे में भी उपज रहा होगा | लेकिन यकीन मानिये

यही राजनीति का असली रंग है | जिसके चढ़ने पर पारदर्शिता का अंत हो जाता है | राजनीति का रंग मेरे समझ से काला है