जन-जागरण

व्हॅलन्टाईन कहाँ ले जाएगा?

डॉ. मधुसूदन

सूचना: समयाभाव हो, तो, सीधे (सात)पर जाएँ।

(एक) प्रवेश व्हॅलन्टाईन।

व्हॅलन्टाईन दिवस जिस देश में दृढ परम्परा बन चुका है; उस (यु एस ए ) अमरिका में, विवाह संस्था और कुटुम्ब संस्था की क्या अवस्था है? जानने के लिए इस लेखक के विचार पढें।
निरीक्षण, सांख्यिकी और संदर्भित सत्य सामग्री इन तीनों अंगों पर आधारित आलेख प्रस्तुत है।

जान ले, कि, परम्परा दृढ होने के पश्चात उसे बदलना असंभव होता है। उसे अंकुरित होते समय ही जड से उखाडा जा सकता है।

लेख पढने पर, आप सहमत होंगे, कि, इसे उखाडना विवाह संस्था, कुटुम्ब, समाज, राष्ट्र एवं विश्व की उच्चमेव संस्कृति को, बचाने जैसा है।

प्रबुद्ध पाठक विचार करें। सम्मत हो तो अपने मित्रों के साथ, वार्तालाप में फैलाए। देश के प्रहरी जागे। अभी किया हुआ काम दूरगामी फल दे सकता है। आज का एक टाँका भविष्य के नौ टाँकों को बचाएगा।

(दो)वासना और प्रेम में अंतर।
वास्तवमें प्रेम और वासना-पूर्ति में बहुत अंतर है। यह उत्सव शतकों पहले, विशुद्ध प्रेम के आधार पर प्रस्थापित हुआ होगा। पर, मैं इसके इतिहास में जाना नहीं चाहता। इस विशुद्ध प्रेम का जो वासना पूर्ति में बहुतेरा रूपान्तर हो चुका है; उस ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। पश्चिम में प्रेम शब्द से शारीरिक (लैंगिक) वासना युक्त प्रेम समझा जाता है, जब भारतीय परम्परा प्रेम को आदर्श के रूप में देखती है। शब्द एक ही पर अलग अर्थ में प्रयुक्त होता है, इस कारण से भी भ्रांत अर्थ लगाया जाता है।

एक विशेष बात बल पूर्वक कहना चाहता हूँ, कि,
***”युवक-युवति के शरीर सम्बंध में युवति ही अधिक घाटे में होती है।वही, अधिक हानि भी सहती है। युवक एक मुक्त पंछी की भाँति उड जा सकता है।”***

(तीन) समाज नष्ट-प्रायः है।
ऐसी परम्परा का आरम्भ कर पश्चिम आज ऐसे सांस्कृतिक पडाव पर पहुंचा है, जिसके फल स्वरूप समाज नष्ट हो चुका है। जहां से परिवर्तन कर फिर से विशुद्ध सामाजिक व्यवस्था निर्माण करना समुंदर को उलीच कर शुद्ध करने जैसा ही कठिन ही नहीं पर असंभव अग्निदिव्य प्रमाणित हो चुका है। खाई में कूदा तो जा सकता है, बाहर निकला नहीं जा सकता। पश्चिम फिसलते फिसलते गत अर्ध-शताब्दी में, खाई में गिर चुका है।
अभी भी, भारत को इससे निश्चित बचाया जा सकता है।

(चार)भारतीय व्हॅलंटाईन डे
मानता हूँ, कि इस व्हॅलंटाईन डे के, भारतीय पुरस्कर्ता शुद्ध प्रेम से प्रेरित हो सकते हैं; उन्हें इस परम्परा की परिणती किस अंत में हो सकती है, इस की जानकारी शायद नहीं है। इस लेख के माध्यम से, विशेष में युवतियों को और उनके माता-पिताओं को, भी, गम्भीर चेतावनी देना चाहता हूं। किन्तु मेरे कहने पर नहीं, सांख्यिकी आंकडों के आधारपर। जो सर्व स्वीकृत होने में कठिनाइ कम होगी। जिस अमरिका में यह दिन बिना-हिचक खुल्लम खुल्ला मनाया जाता है, वहां का सामाजिक ढांचा कहां पहुंच चुका है, यह देखना लाभप्रद होगा।

(पाँच) चौंकानेवाला सत्य।
वैसे पश्चिम के पास भारत जैसी विवाह को संस्कार मानने की परम्परा नहीं है। यहां विवाह अधिकांश में, भोग आधारित संविदा (contract) माने जाते हैं। इसलिए यहां अन्ततोगत्वा जब किसी वैयक्तिक स्वार्थ की पूर्ति नहीं होती, तो उसका परिणाम विवाह विच्छेद में हो जाता है।
उनकी ऐसी मान्यता के कारण ऐसे विच्छेद में कुछ गलत नहीं समझा जाता। यह सत्य आपको अवश्य चौंकाएगा।

(छः)घटती विवाह संख्या
आज यहां विवाह करने वालों की संख्या भी घट रही है। कारण जो विवाह पश्चात प्राप्त होता है, वह बिना विवाह ही प्राप्त होने लगे, तो कौन युवा विवाहित जीवन के झंझट मोल लेगा? युवतियां विवाहोत्सुक होती है, पर युवा उत्तर-दायित्व लेने में हिचकिचाता है। और विवाह हो भी जाता है, तो शारीरिक वासना पर ही आधारित होने से ऐसा विवाह अधिक दिन चल नहीं सकता। दूसरा, माता-पिता के और अन्य परिचितों के घटित अनुभवों से, मनुष्य सीख लेकर बडा होता है, जाने अनजाने वही उस का जीवन जीने का प्रतिमान बन जाता है।इसके कारण विवाह विच्छेद यहां एक संभावना ही नहीं, पर जीवन की सच्चाई के रूपमें स्वीकार्य हो गया है। ऐसे विवाह विच्छेद से प्रभावित बालकों के जीवन देखना शिक्षाप्रद होगा:

(सात)विवाह विच्छेद से प्रभावित बालक :एक सांख्यिकीय समीक्षा।
(क) लगभग आधे अमरिकी बालक माता पिता के विवाह विच्छेद के साक्षी होंगे। इनमें से आधे (कुल विवाह संख्याके चौथा भाग, २५%) पालकों के दूसरे विवाह के विच्छेद के भी साक्षी होंगे।( Furstenberg, Peterson, Nord, and Zill, “Life Course”)

(ख) करोडों बालको में से जिन्हों ने अपने माता पिता का विवाह विच्छेद देखा है, वैसे हर दस बालकों में से १ बालक ३ या ३ से अधिक विवाह विच्छेद के अनुभव से प्रभावित होकर निकलेगा।(The Abolition of Marriage, Gallagher)

(ग) आज (१९९७ के आँकडे ) ,४० % प्रतिशत बडे हो रहे अमरिकी बालक, अपने पिता की (छत्र छाया ) बिना ही बडे हो रहे हैं। (Wade, Horn and Busy, “Fathers, Marriage and Welfare Reform” Hudson Institute Executive Briefing, 1997)

(घ) इस वर्ष विवाहित माता पिता के घर जन्मे, बालकों में से ५० % बालक अपनी १८ वर्ष की आयु तक पहुंचने के, पहले ही, अपने माता पिता के विवाह विच्छेद का अनुभव करेंगे।(Fagan, Fitzgerald, Rector, “The Effects of Divorce On America)

(आँठ)मानसिकता पर विवाह विच्छेद का दुष्परिणाम।
(च) १९८० के दशकमें हुए अध्ययनों ने दर्शाया था, कि पुनः पुनः विवाह विच्छेद के अनुभवों से प्रभावित बालक शालाओं में निम्न श्रेणी प्राप्त करते हैं। उनके सहपाठी भी, उनका संग कम आनन्द देने वाला अनुभव करते हैं।(Andrew J. Cherlin, Marriage, Divorce, Remarriage –Harvard University Press 1981)

(छ) एक ही पालक वाले कुटुम्ब में, या मिश्र-कुटुम्ब में बडे होते किशोरों एवं नव युवकों को मनो चिकित्सक  (Psychiatrist)के  परामर्ष की आवश्यकता किसी एक वर्ष में , तीन गुना होती है। (Peter Hill “Recent Advances in Selected Aspects of Adolescent Development” Journal of Child Psychology and Psychiatry 1993)

(ज) मृत्यु से दुष्प्रभावित घरों के बालकों की अपेक्षा विच्छेदित घरों के बालक मनोवैज्ञानिक समस्याओं से अधिक पीडित पाए गए हैं।. (Robert E. Emery, Marriage, Divorce and Children’s Adjustment” Sage Publications, 1988)


(नौ) अन्य अध्ययनों से संकलित जानकारी

बालकों पर विवाह विच्छेद के दुष्परिणामों के निम्न सांख्यिकी आंकडे आपको धक्का देने वाले प्रतीत होंगे।

(ट)पिता या माता की मृत्यु भी, बालकों पर, विवाह विच्छेद के जीवन उजाड देने वाले परिणामों से कम विनाशकारी होती है। ( बिना सांख्यिकी आंकडे देखे, इस पर, मैं भी विश्वास ना करता, )

(ठ)शारीरिक पीडाकी सांख्यिकी।
इसके अतिरिक्त चेतावनी रूप है दमा, शारीरिक क्षति, शिरोवेदना, और तुतलाने की, समस्याएं विवाह विच्छेदित कुटुम्ब के बालकों में पायी जाती है।

(ड) उनकी आरोग्य विषयक समस्याओं की संभावना भी ५०% अधिक होती है।

(ढ) अकेली माँ की देखभाल वाले कुटुम्ब में , बडे होते बालक की हत्या की संभावना १० गुना होती है।

(दस)दूरगामी परिणाम।

(ण) अकेलापन, दुखी, असुरक्षा अनुभव करने वाले, और चिन्तित बच्चे।

(त)७० % लम्बी सजा भुगतने वाले, जैल वासी खण्डित कुटुम्बों से पाए गए हैं।

(थ) खण्डित कुटुम्बों के लडके अधिक आक्रामक पाए गए हैं।

(द) आत्म हत्त्याका प्रमाण भी अधिक पाया गया है।

(ध) शाला की पढाइ बीचमें छोडने वाले बच्चे भी विच्छेदित परिवारों से ही बहुत ज्यादा होते हैं।

अंत: खाई में कूदा तो जा सकता है, बाहर नहीं निकला जाता।

इस व्हॅलंटाईन की खाई से बचना ही चाहिए।