गजल

जो ख़बर अच्छी बहुत है आसमानों के लिए

जो ख़बर अच्छी बहुत है आसमानों के लिए
वो ख़बर अच्छी नहीं है आशियानों के लिए

इस नए बाज़ार में हर चीज़ महंगी हो गई
बीज से सस्ता ज़हर है पर किसानों के लिए

भूख से चिल्लाए जो वो, खिड़कियाँ तू बंद कर
शोर ये अच्छा नहीं है तेरे कानों के लिए

हक़ की बातें करने वालों के लिए पाबंदियाँ
और सुविधाएं लिखी हैं बेज़ुबानों के लिए

अब नए युग की कहानी में नहीं होगी फ़सल
खेत सारे बिक गए हैं अब मकानों के लिए

पेट भरने के लिए मिलती नहीं हैं रोटियाँ
ख़ूब ताले मिल रहे हैं कारख़ानों के लिए