क्यों कौटिल्य चाणक्य विष्णुगुप्त काल्पनिक लगता?

—विनय कुमार विनायक
क्यों कौटिल्य, चाणक्य, विष्णुगुप्त काल्पनिक लगता?
क्योंकि चाणक्य का कोई एक निश्चित नाम नहीं था,
कौटिल्य, चाणक्य,विष्णुगुप्त,वात्स्यायन के अतिरिक्त
मल्लिनाग, कुटल, आंगुल, द्रामिल,वारानक, पक्षिलस्वामी,
चणक, चण्कात्मज, निषादपुत्र भी संज्ञा थी चाणक्य की!

चाणक्य ने अलग-अलग नाम से अलग-अलग पुस्तकें लिखी,
कौटिल्य नाम से अर्थशास्त्र, चाणक्य नाम से चाणक्य नीति,
विष्णुगुप्त ने विष्णुगुप्त सिद्धांत, कामसूत्र वात्स्यायन कृति,
चाणक्य एक साथ कूटनीतिज्ञ,अर्थशास्त्री,ज्योतिषी,कामशास्त्री
और ना जाने क्या-क्या,चाणक्य एक व्यक्तित्व विरोधाभासी!

चाणक्य की जन्मतिथि और जीवन काल भी सुनिश्चित नहीं,
कहीं उल्लेख तीन सौ पचास से दो सौ तिरासी ईसा पूर्व तक,
कहीं तीन सौ पचहत्तर ईसा पूर्व से चाणक्य जिए वेरानबे वर्ष
पिता चंद्रगुप्त,पुत्र बिन्दुसार, पौत्र अशोक के महामंत्री बने रहे?

इसके अतिरिक्त चाणक्य ने तक्षशिला में शिक्षा पाई थी,
तक्षशिला विश्वविद्यालय में व्याख्याता की सेवा दी थी,
यानि पच्चीस वर्ष अध्ययन, पच्चीस वर्ष की अध्यापकी,
फिर सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य का चौबीस वर्ष तक महामंत्री,
तीन सौ इक्कीस से दो सौ सत्तानवे ईसा पूर्व की अवधि!

फिर चंद्रगुप्त पुत्र बिन्दुसार का शासन काल चौबीस वर्ष
दो सौ सत्तानवे ईसा पूर्व से दो सौ तिहत्तर ईसा पूर्व तक
क्या कोई एक व्यक्ति इतना कुछ एकसाथ कर सकता?

क्यों कौटिल्य चाणक्य विष्णुगुप्त अस्तित्वहीन लगता?
क्योंकि चाणक्य राजतंत्र के अनुकूल वीर योद्धा नहीं था,
चाणक्य का कोई एक निश्चित जन्मस्थान भी नहीं था,
कोई कहता चाणक्य मागधी ब्राह्मण,कोई तक्षशिला का!

कोई कहता चाणक्य ब्राह्मण नहीं, बल्कि केरल का निषाद
कुतुल्लूर नामपुत्री वंशज काला कलूटा कुरूप कुटिल वक्रद्रंता,
जबकि ईसा पूर्व हिंद ईरानी याजक गौरवर्ण हुआ करता था,
कोई कांचीपुरम का द्रविड ब्राह्मण, सच्चाई कोई न जानता?

कौटिल्य चाणक्य विष्णुगुप्त क्यों उग्र ब्राह्मणवादी लगता?
क्योंकि चाणक्य ने सर्वप्रथम चोटी जनेऊ की राजनीति की,
मुंडित सिर शिखा को प्रथमतः ब्राह्मण की आन बान बनाई,
चाणक्य पूर्व ऋषि महर्षि की पहचान जटाजूट दाढ़ी मूँछ थी,
मुंडित सिर बौद्ध परंपरा, जिसपर ब्राह्मणों ने शिखा उगाई!

क्यों कौटिल्य चाणक्य विष्णुगुप्त प्रायोजित पात्र लगता?
क्योंकि चाणक्य ने जैन शासकों की परंपरा में जन्मे हुए
महापद्मनन्द पुत्र धनानन्द को सीधे शूद्र संबोधित किया,
सम्राट धनानन्द व मुरा पुत्र जैन धर्मावलम्बी अपने शिष्य
चंद्रगुप्त मौर्य को मुद्राराक्षस नाटक में वृषल कहके पुकारा!

क्यों कौटिल्य चाणक्य विष्णुगुप्त ‘कुटिल मति’ कहा गया?
क्योंकि चाणक्य ने वर्णाश्रम धर्म स्थापना का प्रयास किया,
जबकि चाणक्य पूर्व शासकों का जिन बुद्ध में विश्वास था,
चाणक्य के आने से जैन बौद्ध शासक शूद्र कहलाने लगा!

क्यों चाणक्य कौटिल्य विष्णुगुप्त लगता जातिवादी पाखण्डी?
क्योंकि चाणक्य के उद्भव से ही सभी शासकों और प्रजा की
मनगढ़ंत घृणित वर्णसंकर शूद्र जातियां खोज की जाने लगी,
जातिविहीन बौद्ध जैन प्रजा ऊंच-नीच जातियां कहलाने लगी!

चाणक्य के पहले राम कृष्ण बुद्ध और चौबीस जैन तीर्थंकर
प्रथम स्वायंभुव मन्वन्तर से वर्तमान वैवस्वत मन्वन्तर तक
क्षत्रिय धर्मा, कृषि कर्मा प्रजा सहित अहिंसक धर्मयुद्धकर्ता थे,
आदि तीर्थंकर ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम से मनुर्भरती वे!

स्वयं प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव पुत्र भरत और बाहुबली ने
क्षत्रियों के हार-जीत के लिए व्यापक खूनी सैन्ययुद्ध के पूर्व
मल्लयुद्ध जलयुद्ध सा अहिंसक सांकेतिक युद्ध विधान किए
जो तीर्थंकर अरिष्ट नेमिनाथ के अनुयाई रणछोड़ श्रीकृष्ण ने
अत्याचारी कंश, जरासंध, शिशुपाल वध हेतु इस्तेमाल किए थे!

हर्यक,शिशुनाग, नंद, मौर्य वंश के मगध शासक जैन बौद्ध थे,
मौर्य वंश की स्थापना के पूर्व किसी ब्राह्मण का हस्तक्षेप नहीं,
चंद्रगुप्त मौर्य भी नंद शासक वंश में जन्मे धनानन्द के पुत्र थे,
धनानंद के बाद चंद्रगुप्त नंदवंश के स्वाभाविक उतराधिकारी थे!

धनानन्द के पिता महापद्मनन्द स्थापित मगध सत्ता विशाल थी,
महापद्मनंद सर्वक्षत्रांतक एकराट्,उपाधि थी द्वितीय परशुराम की,
महापद्मनंद आठ पुत्रों के साथ शासन करनेवाले नवनन्द कहलाए,
धनानंद की प्रचंड सेना के भय से विश्वविजेता सिकंदर भाग गए!

धनानंद पुत्र चंद्रगुप्त का राज तिलक महामंत्री शकटार ने किए,
ऐसे में चाणक्य ब्राह्मण इतिहासकारों के द्वारा प्रायोजित लगते,
चाणक्य नीति के अधिकांश श्लोक ब्राह्मण जातीय वर्चस्व गीत,
मनु स्मृति सहित सारी स्मृतियों से आयातित किए गए लगते!
—विनय कुमार विनायक

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