दोहे साहित्‍य

नारी बिन सूना जगत

women2मँहगाई की क्या कहें, है प्रत्यक्ष प्रमाण।

दीन सभी मर जायेंगे, जारी है अभियान।।

 

नारी बिन सूना जगत, वह जीवन आधार।

भाव-सृजन, ममता लिए, नारी से संसार।।

 

भाव-हृदय जैसा रहे, वैसा लिखना फर्ज।

और आचरण हो वही, इसमें है क्या हर्ज।।

 

कट जायेंगे पेड़ जब, क्या तब होगा हाल।

अभी प्रदूषण इस कदर, जगत बहुत बेहाल।।

 

नदी कहें नाला कहें, पर यमुना को आस।

मुझे बचा ले देश में, बनने से इतिहास।।

 

सबकी चाहत है यही, पास रहे कुछ शेष।

जो पाते संघर्ष से, उसके अर्थ विशेष।।

 

जीवन तो बस प्यार है, प्यार भरा संसार।

सांसारिक इस प्यार में, करे लोग व्यापार।।

 

सतरंगी दुनिया सदा, अपना रंग पहचान।

और सादगी के बिना, नहीं सुमन इन्सान।।