कविता

विश्व जनसंख्या दिवस


बढ़ेगी जब आबादी,अच्छे दिन कैसे आएंगे।
होगे जब दस बच्चे,फिर बुरे दिन तो आएंगे।।

बढ़ती जा रही है जनसंख्या कैसे नियंत्रण कर पाएंगे।
करा नहीं नियंत्रण तुमने फिर तुम कहां हम जाएंगे।।

पड़ी है बेड़ियां जनसंख्या की भारत मां के पैरों में।
चलता रहा देश में ऐसा,रोड़ी चुभेगी मां के पैरों में।।

बढ़ेगी जनसंख्या देश की,विकास रुक जाएगा।
रोकी नहीं आबादी,देश गडढ़े मै गिर जाएगा।।

बच्चे होगे ज्यादा तो जरुरते कैसे होगी पूरी।
कम बच्चो वालो की भी जरुरते न होती पूरी।

बहती थी दूध की नदियां,पानी के लिए देश तरस रहा।
एक बोतल साफ पानी के लिए देश अब तरस रहा।

आर के रस्तोगी