यक्ष-प्रश्न – दूसरी कड़ी

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      यक्ष (६) – देवतर्पण करनेवालों के लिए कौन वस्तु श्रेष्ठ है? पितरों का तर्पण करनेवालों के लिए क्या श्रेष्ठ है? प्रतिष्ठा चाहनेवालों के लिए कौन वस्तु श्रेष्ठ है? तथा सन्तान चाहनेवालों के लिए क्या श्रेष्ठ है?

युधिष्ठिर – देवतर्पण करनेवालों के लिए वर्षा श्रेष्ठ फल है। पितरों का तर्पण करनेवालों के लिए बीज श्रेष्ठ है। प्रतिष्ठा चाहनेवालों के लिए गौ श्रेष्ठ है और सन्तान चाहनेवालों के लिए पुत्र श्रेष्ठ है।

यक्ष (७) – ऐसा कौन पुरुष है जो इन्द्रियों के विषयों को अनुभव करते हुए, श्वास लेते हुए तथा बुद्धिमान, लोक में सम्मानित और सब प्राणियों का माननीय होकर भी वास्तव में जीवित नहीं है?

युधिष्ठिर – जो देवता, अतिथि, सेवक, माता-पिता और आत्मा – इन पांचों का पोषण नहीं करता, वह श्वास लेने पर भी जीवित नहीं है।

यक्ष (८) – पृथ्वी से भी भारी क्या है? आकाश से भी ऊंचा क्या है ? वायु से भी तेज चलनेवाला क्या है? और तिनकों से भी अधिक संख्या में क्या है?

युधिष्ठिर – माता भूमि से भी भारी (अधिक महत्त्वपूर्ण) है। पिता आकाश से भी ऊंचा है। मन वायु से भी तेज चलनेवाला है और चिन्ता तिनकों से भी बढ़कर है।

यक्ष (९) – सो जाने पर पलक कौन नहीं मूंदता? उत्पन्न होने पर चेष्टा कौन नहीं करता? हृदय किसमें नहीं है? और वेग से कौन बढ़ता है?

युधिष्ठिर – मछली सोने पर भी पलक नहीं मूंदती। अण्डा उत्पन्न होने पर भी चेष्टा नहीं करता। पत्थर में हृदय नहीं होता और नदी वेग से बढ़ती है।

यक्ष (१०) – विदेश में जानेवाले का मित्र कौन है? घर में रहनेवाले का मित्र कौन है? रोगी का मित्र कौन है? और मृत्यु के पास पहुंचे हुए मानव का मित्र कौन है?

युधिष्ठिर – साथ में जानेवाले यात्री विदेश जानेवाले के मित्र हैं। स्त्री घर में रहनेवाले की मित्र है। वैद्य रोगी का मित्र है और दान मुमूर्षु (मृत्यु के समीप पहुंचा हुआ) का मित्र है।

यक्ष (११) – समस्त प्राणियों का अतिथि कौन है? अमृत क्या है? सनातन धर्म क्या है?  और यह सारा जगत क्या है?

युधिष्ठिर – अग्नि समस्त प्राणियों का अतिथि है। गौ का दूध अमृत है। अविनाशी नित्यधर्म ही सनातन धर्म है और वायु यह सारा जगत है।

यक्ष (१२) – अकेला कौन विचरता है? एक बार उत्पन्न होकर पुनः कौन उत्पन्न होता है? शीत की औषधि क्या है? और महान देवतर्पण क्षेत्र क्या है?

युधिष्ठिर – सूर्य अकेला विचरता है। चन्द्रमा एक बार जन्म लेकर पुनः जन्म लेता है। अग्नि शीत की औषधि है और पृथ्वी सबसे महान देवतर्पण क्षेत्र है।

यक्ष (१२) – धर्म का मुख्य स्थान क्या है? यश का मुख्य स्थान क्या है? स्वर्ग का मुख्य स्थान क्या है? और सुख का मुख्य स्थान क्या है?

युधिष्ठिर – धर्म का मुख्य स्थान दक्षता है। यश का मुख्य स्थान दान है। स्वर्ग का मुख्य स्थान सत्य है और सुख का मुख्य स्थान शील है।

यक्ष (१३) – मनुष्य की आत्मा क्या है? उसका दैवकृत सखा कौन है? उपजीवन (जीने का सहारा) क्या है? और उसका परम आश्रय क्या है?

युधिष्ठिर – पुत्र मनुष्य की आत्मा है। स्त्री इसकी दैवकृत सखा है। मेघ उपजीवन है और दान परम आश्रय है।

यक्ष (१४) – धन्यवाद के योग्य पुरुषों में उत्तम गुण क्या है? धनों में उत्तम धन क्या है? लाभों में प्रधान लाभ क्या है? और सुखों में श्रेष्ठ सुख क्या है?

युधिष्ठिर – धन्य पुरुषों में दक्षता ही उत्तम गुण है। धनों में शास्त्रज्ञान प्रधान है। लाभों में आरोग्य प्रधान है और सुखों में संतोष श्रेष्ठ सुख है।

यक्ष (१५) – लोक में श्रेष्ठ धर्म क्या है? नित्य फलवाला धर्म क्या है? किसको वश में रखने से शोक नहीं होता? और किसके साथ की हुई संधि नष्ट नहीं होती?

युधिष्ठिर – लोक में दया श्रेष्ठ धर्म है। वेदोक्त धर्म नित्य फलवाला है। मन को वश में रखने से शोक नहीं होता और सत्पुरुषों के साथ की हुई संधि कभी नष्ट नहीं होती।

शेष प्रश्न और उत्तर अगली कड़ी में।

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