ईद का चांद तो तुम्हे दिखाना ही पड़ेगा।

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ईद का चांद तो तुम्हे दिखाना ही पड़ेगा।
आस्मां को ज़मीं पर तो झुकाना पड़ेगा।।

कब तक रखोगे तुम दो दिलो को अलग।
कभी न कभी तो उनको मिलाना पड़ेगा।।

कब तक रखोगे खूबसूरत चेहरा छिपाकर।
कभी न कभी तो उसको दिखाना पड़ेगा।।

ईद आई है तो उसे गले लगाना ही होगा।
कुछ न कुछ तो उसे हमे दिलाना पड़ेगा।।

जुदा कर दिया है इस कोरोना ने हमको।
एक दिन तो उसको हमे मिलाना पड़ेगा।।

बहुत देख ली हमने तुम्हारी हरकतों को।
कभी न कभी तुम्हे सबक सिखाना पड़ेगा।।

उम्मीद रखो सुबह को उजाला तो होगा।
रस्तोगी कहता है अंधेरे को जाना पड़ेगा।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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