हिंद स्‍वराज

अखंड भारत दिवस

अनिल गुप्ता

indiaआज १४ अगस्त है.आज ही के दिन १४ अगस्त १९४७ को देश का विभाजन हुआ था और पाकिस्तान नाम से एक अलग देश का निर्माण हुआ था.पाकिस्तान आज के दिन अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है.१५ अगस्त १९४७ को भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है.इसी दिन महँ क्रन्तिकारी ,देशभक्त योगिराज मह्रिषी अरविन्द का जन्मदिन भी है.१५ अगस्त १९४७ को मह्रिषी अरविन्द ने कहा था की नियति ने इस भारत भूखंड को एक राष्ट्र के रूप में बनाया है. और ये विभाजन अस्थायी है.देश के लोगों को संकल्प लेना चाहिए की चाहे जैसे भी हो और चाहे कोई भी रास्ता अपनाना पड़े विभाजन समाप्त होंकर पुनः अखंड भारत का निर्माण होना चाहिए.इसीलिए देश में रा.स्व.स.द्वारा प्रति वर्ष १४ अगस्त को अखंड भारत दिवस मनाया जाता है.और देश को पुनः अखंड और सम्पूर्ण बनाने का संकल्प करोड़ों स्वयंसेवकों द्वारा देश भर में मनाया जाता है.
कुछ लोगों को अखंड भारत शब्द प्रयोग समझ नहीं आता है.लेकिन ये एक सर्व सामान्य जानकारी की बात है की पिछले लगभग बारह सौ वर्षों में भारतवर्ष या हिंदुस्तान की सीमायें लगातार सिकुड़ती गयी हैं.और जहाँ भी हिन्दुओं की आबादी घटी है वही भाग भारत से अलग हो गया है.राजनीतिक रूप से इस ”जम्बुद्वीप” क्षेत्र में अनेकों राज्य थे लेकिन उन सब में सांस्कृतिक रूप से एक ही राष्ट्र तत्व मौजूद था.लेकिन जिसेआज म्यांमार कहते हैं वो ब्रह्मदेश,बांग्लादेश,पाकिस्तान १९३७ से १९४७ के मध्य ही भारत से अलग हुए थे.और आज ये तीनों देश ही अस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं.और जब तक नियति द्वारा निर्धारित अखंडता को पुनः स्थापित नहीं किया जायेगा तब तक ये अशांति समाप्त नहीं होगी.इसके लिए जैसा की कुछ राजनीतिक नेता कहते हैं पहले भारत पाकिस्तान बांग्लादेश का एक महासंघ बनाने की दिशा में प्रयास होना चाहिए.उसके बाद अपने इतिहास का सबको बोध कराया जाना चाहिए.ताकि एक दुसरे के प्रति असहिष्णुता का जो वर्तमान स्वरुप है वो दूर हो सके.
अखंड भारत का संकल्प प्रति वर्ष दोहराना इसलिए भी आवश्यक है ताकि हमें ये याद रहे की हमें पुनः जुड़कर एक होना है.हमारे सामने यहूदी राष्ट्र इजराईल का उदहारण है.लगभग दो हज़ार वर्षों तक दुनिया के सत्तर देशों में विस्थापित जीवन बिताते हुए और हर प्रकार के अत्याचार और भेदभाव का शिकार बनने (भारत को छोड़कर) के बाद बीसवीं सदी के प्रारंभ में कुछ यहूदी नेताओं ने प्रतिवर्ष एक स्थान पर मिलने का क्रम प्रारंभ किया और अपने यहूदी राष्ट्र को पुनः स्थापित करने का संकल्प दोहराने का क्रम बनाया.उनका ये संकल्प लगभग आधी सदी से भी कम समय में पूरा हो गया और नवम्बर १९४७ में यहूदी राष्ट्र इजराईल का उदय हुआ.
अतः हम सब को आज १४ अगस्त को इस बात का संकल्प लेना होगा की इस प्राचीन राष्ट्र को पुनः अपना खोया हुआ गौरव प्राप्त कराने और एक संगठित,समृद्ध, शक्तिशाली सामर्थ्यवान राष्ट्र का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ाना ही हमारी नियति है.जिसे अपने पुरुषार्थ से हमें प्राप्त करना है.