पेप्सी बाटलिंग प्लांट के बाद अब कैंपा कोला, भूगर्भ जल का दोहन

कुमार कृष्णन 

बिहार के बेगूसराय की बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डवलपमेंट आथोरिटी (बियाडा ) क्षेत्र के  आठ दस किलोमीटर के दायरे में पिछले तीन वर्षों के दौरान भूगर्भ जल का स्तर 20 से 30 फीट तक गिर गया है। ऐसा पेप्सी कंपनी के बाटलिंग प्लांट के कारण हो रहा है। भूगर्भ शास्त्री और स्थानीय नागरिकों का भी यही मानना है। यहां हर दिन 12 लाख लीटर पानी निकाला जा रहा है। इस कारण इस इलाके का जलस्तर लगातार गिर रहा है। कहते हैं प्लांट में मोटे मोटे आठ बोरिंग हुए थे जिसमें दो ने पिछले साल से ही काम करना बंद दिया है। भूजल के लगातार दोहन से जल स्तर लगातार गिर रहा है। तीन साल पहले 15 से 20 फीट पर जल स्तर था, अब यह 40 से  50 फीट है। बोरिंग ने काम करना बंद कर दिया है और चापानल से भी कम पानी आ रहा है। आस पास के एक दर्जन गांवों के तीस से चालीस हजार लोग इस फैक्टरी का विरोध कर रहे हैं। अब तो जल भी दूषित हो गया है और पानी बदबू में भी आ रहा है। लोग चाहते हैं कि प्लांट बंद हो जाए या प्लांट अपने लिए दूसरी व्यवस्था करे। लोगों का कहना है कि पानी से बदबू भी आने लगा है।

इसी बीच यह खबर है कि बेगूसराय में कैम्पा कोला की यूनिट बेगूसराय जिले के ग्रोथ सेंटर में स्थापित की जाएगी। इस परियोजना में कंपनी 1200 करोड़ रुपये का निवेश करेगी और यहां सॉफ्ट ड्रिंक्स का उत्पादन किया जाएगा। दावा यह किया जा रहा है कि बिहार में रिलायंस ग्रुप की पहली औद्योगिक यूनिट होगी जो राज्य के औद्योगीकरण में एक नई दिशा तय करेगी। लोगों का कहना है कि पेप्सी प्लांट का सोशल ऑडिट होना चाहिए कि बेगूसराय के भू जल का करोड़ो लीटर उपयोग करने के बाद इस प्लांट से बेगूसराय के कितने बच्चों को रोजगार मिल रहा है l उसमें बेगूसराय की भागीदारी निश्चित होनी चाहिए, उसके बाद ही केम्पा कोला को प्लांट लगाने की अनुमानित मिलनी चाहिए l जमीन जाए बेगूसराय की , प्रदूषण झेले बेगूसराय, रोजगार पाए सिर्फ बाहरी l

गांव वाले लगातार गिरते भू-जल स्तर की शिकायत लेकर स्थानीय सांसद गिरिराज सिंह के पास पहुंच रहे हैं । इसके बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ‘देखिए यहां के जनमानस, यहां के किसान, यहां के निवासी, चार साल हुआ है, पेप्सी का प्लांट जब से खुला है, अभी यहां गांव के किसान लोग हस्ताक्षर अभियान करा रहे हैं। पेप्सी के प्लांट के कारण जो भूजल स्तर गिरा है इससे सभी को कठिनाई हो रही है। पानी पीने में कठिनाई हो रही है, साथ ही किसान को भी पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी पेप्सी के प्लांट को लेकर अपना विरोध जताया है, उनका कहना है कि ‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस प्लांट का उद्घाटन करने आए थे तो उन्होंने कहा था कि पेप्सी गंगा से जल लेकर अपना उत्पादन करेगा और पानी हार्वेस्ट किया जाएगा लेकिन न तो वो गंगा से जल ले रहे हैं और न ही हार्वेस्ट कर रहे हैं। प्लांट बंद करना होगा।’ ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार ने 15 अप्रैल 2022 को इस प्लांट का उद्घाटन किया था। लोगों को लगा था कि बेगूसराय का विकास होगा लेकिन उद्घाटन के 3 साल बाद ही लोग चाह रहे कि प्लांट बंद हो जाए। जल स्तर में यह कमी सिर्फ पेप्सी के बॉटलिंग प्लांट वरुण बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड के आसपास ही नहीं, बल्कि असुरारी, बथौली, मालती, पपरौर, हवासपुर, बीहट से लेकर पकठौल तक के गांव में हो गई है।

लोग परेशान हैं, लेकिन इनकी कोई सुन नहीं रहा है। पिछले डेढ़ साल से आंदोलन जारी है। जब स्थानीय लोगों की बात किसी ने नहीं सुनी तो व्यापक पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया है। बेगूसराय स्थित बियाडा बरौनी की 55 एकड़ की जमीन पर है यह प्लांट।

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे प्रियम रंजन ने बताया कि 2022 में यहां पेप्सी प्लांट लगा। जब से प्लांट लगा है, जल संकट शुरू हो गया है। सिंचाई तक आफत हो गई है। जिस प्लांट को दक्षिण भारत, यूपी के हरदोई, बिहार के हाजीपुर से भगाया गया, हाजीपुर में अभी भी पानी की समस्या बरकरार है, उस प्लांट को हमारे माथे पर थोप दिया गया। हम लोग ऐसे ही पानी से जूझ रहे हैं।

बेगूसराय वाले पहले ही दुनिया के  प्रदूषित शहरों में है। एक पानी बचा था, उसकी भी स्थिति गड़बड़ा रही है। पानी में आयरन सहित ऐसे कई केमिकल मिल रहे हैं जो शरीर, त्वचा और जीवन के लिए हानिकारक हैं।  पेप्सी से रोजगार तो मिला नहीं, ऊपर से हम लोग जल संकट झेल रहे हैं। तालाब सूखा है, हमारा पानी ही निकाल कर पूरी दुनिया को पहुंचाया जा रहा है। यह उत्तर भारत का सबसे अधिक क्षमता का बॉटलिंग प्लांट है। 

बीहट निवासी रंजना सिंह का कहना है  कि पहले जलस्तर अच्छा था। हम लोग पानी से धनी थे, लेकिन जब से पेप्सी प्लांट लगा है, तब से पानी का दोहन हो रहा है। 10 फीट तक अगल-अलग इलाके में लेवल नीचे जा रहा है। हमारी आने वाली पीढ़ी को काफी परेशानी होगी।

ये समस्या बहुत आगे तक जाएगी। पेप्सी तो प्लांट बंदकर चला जाएगा, लेकिन हमारा परिवार-समाज पानी की समस्या से जूझता रहेगा। पेप्सी को भूगर्भीय जल नहीं निकालना चाहिए। बगल में गंगा जी हैं. वहां से पानी ले ले या फिर कोई अन्य व्यवस्था करे। भूगर्भीय जल हम गरीब लोगों के लिए है। असुरारी निवासी खिरण सिंह बताते हैं कि अब 100 फीट पाइप डलवाने पर पानी निकलता है। जब से पेप्सी आया है, तब से यही हाल है। इसका तो सिर्फ पानी का ही कारोबार है। 100 गाड़ी पानी रोज बाहर भेजा जाता है। पानी कहां से मिलेगा। पहले 40 फीट पर बोरिंग में काम चल जाता था, अब 100 फीट करवाना पड़ता है, तब पानी मिलता है।

पपरौर निवासी रेखा देवी ने बताया कि पानी की बहुत समस्या है। पहले वैशाख में भी पानी की समस्या नहीं होती थी। अब चापाकल पानी ही नहीं देता है, जब से पेप्सी प्लांट खुला, यह हाल हो गया है। 10-20 हैंडल में थोड़ा सा पानी निकलता है, पानी बहुत बदबू देता है।उषा देवी ने बताया कि जब से पेप्सी प्लांट खुला है, काफी परेशानी है। पहले 10 बार चापाकल का हैंडल चलाने पर बाल्टी भर जाती थी, अब 25-30 हैंडल में भी बाल्टी नहीं भरती है। वह शुगर पेशेंट हैं लिहाजा चापाकल चलाने में बड़ी परेशानी होती है, स्नान करना मुश्किल हो जाता है। हम गरीब लोग किसको क्या कहें। मनोज कुमार पाठक का कहना है कि चापाकल का स्तर दिनों-दिन नीचे गिरता जा रहा है। पेप्सी खुलने के कुछ दिन बाद ही परेशानी शुरू हो गई। दिनों दिन जलस्तर नीचे ही जा रहा है, आने वाले समय में हम लोगों पर बहुत प्रभाव पड़ने वाला है। पानी खरीदना पड़ेगा । राजकुमार राय ने बताया कि पेप्सी का प्लांट लगने से पानी का लेयर काफी नीचे चला गया है। कभी-कभी स्नान करने के लिए सोचना पड़ता है। कई बार बगैर स्नान किए ही ऑफिस जाना पड़ता है। पानी की बहुत गंभीर समस्या है, समस्या को लेकर लगातार पेप्सी और अधिकारियों को आवेदन दे रहे हैं, लेकिन इस पर किसी प्रकार का कोई संज्ञान लिया जाता है।

पानी की स्थिति यही रही तो मरना पड़ेगा. और कोई विकल्प नहीं है। वातावरण दूषित हो गया है, जलस्तर नीचे जा रहा है, लोग करें भी तो क्या करें, मरने के सिवा कोई विकल्प नहीं है। हवासपुर, पपरौर, असुरारी, बीहट, बथौली सहित पूरे क्षेत्र में पानी की जटिल समस्या है।

चापाकल बोरिंग मिस्त्री सुधीर पासवान का कहना है कि पहले 15 से 20 फीट पर पानी मिल जाता था। अभी 35 से 40 फीट पर पानी मिलता है, गर्मी के समय में तो अब काफी तेजी से जलस्तर भाग रहा है। पूरे इलाके में यह समस्या हो रही है। पेप्सी प्लांट खुलने के बाद से और जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है।

लोगों ने जब आवाज उठाई तो पेप्सी ने कहा कि हमने वाटर रिसाइक्लिंग के लिए दो तालाब बनाकर रखे हैं, 27000 पौधे लगाएं हैं। सवाल उठता है कि बियाडा ने केवल 55 एकड़ जमीन दी है, जिसमें प्लांट है, तालाब है। 27000 पेड़ लगाने के लिए कम से कम 263 एकड़ भूमि चाहिए।

पेप्सी वाले कहते हैं कि हम वाटर रिसाइक्लिंग करते हैं तो जलस्तर ऊपर आ रहा है। पेप्सी झूठा आंकड़ा पेश कर रहा है। 

भूगर्भ शास्त्री और जीडी कॉलेज में भूगोल के विभागाध्यक्ष डॉ. रविकांत आनंद कहते हैं कि बिहार मैदानी क्षेत्र में आता है। नदियों के मामले में बिहार बहुत समृद्ध है। भारत की सबसे बड़ी नदी गंगा बिहार के बीचो-बीच से गुजरती है और गंगा के बगल में बेगूसराय है। यहां बहुत सारे उद्योग लग रहे हैं और उसके लिए पानी की आवश्यकता होती है।

हमारा बिहार मानसून पर निर्भर करता है। तीन- चार महीना मानसून होता है, उसी में हमारा भूगर्भ जल रिचार्ज होता है, लेकिन 3-4 महीने में जितना भूगर्भ जल रिचार्ज नहीं होता है। उससे अधिक भूगर्भ जल निकाला जा रहा है।

इसके कारण वाटर लेवल धीरे-धीरे नीचे की ओर जा रहा है। यदि ऐसा चलता रहा तो आगे भविष्य में सरकार, हमें और सब को यह सोचना होगा कि भूगर्भ जल को कैसे बचाया जा सके। इसका एक ही उपाय है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग करें, लेकिन सिर्फ रेनवाटर हार्वेस्टिंग से नहीं होगा।

इंडस्ट्री जो बड़े पैमाने में पानी निकाल रही है, उसको नीति बनानी होगी जिससे कि वहां के आसपास के लोगों को दिक्कत नहीं हो, खेती करने में दिक्कत नहीं हो और उनका भी काम हो। हम लोग चाहते हैं कि अंडरग्राउंड वाटर को लेकर जल्द से जल्द ऐसी नीति बने की भूगर्भ जल कैसे बचे।

विधायक रहे राजेन्द्र राजन का कहना है कि बेगूसराय इंडस्ट्रियल ग्रोथ सेंटर  में पेप्सी का प्लांट लगा और अब लगेगा कैम्पा कोला प्लांट। बेगूसराय जिला का जलस्तर  पाताल मुखी है। यानी यहां की धरती पानी देने की क्षमता तेजी से खो रही है। साधारण बोरिंग कराने पर वर्षों से पानी नहीं निकलता है ।अब समरसेबल बोरिंग भी फेल होने लगी हैं। भयानक खतरा सुरसा की तरह विकराल मुंह खोले लीलने को तैयार है। कारखाने विकास के लिए जरूरी हैं ,रोजगार और तरक्की के रास्ते यहां से खुलते हैं । यही कारण है कि कारखाने की जरूरत पर बल देना जरूरी है लेकिन जो आम जन की जिंदगी के लिए संकट लेकर आए , उसका विरोध जरूरी है। ये दो कारखाने जीवन नहीं, मौत के पैगाम लेकर आए  हैं।

रोजगार नहीं मिले , उत्पादित माल उपयोगी नहीं हो  तो फिर इसका स्वागत क्यों ? सिर्फ और सिर्फ पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए खोले जाने वाले कारखानों की हमें जरूरत नहीं है।

तीव्रतम विरोध, जन प्रतिरोध खड़ा कर हमें चट्टानी एकता के बलपर इसे भगाना ही होगा।

पहले से जलसंकट की समस्या यहां है। इन दोनों प्लांट के कारण खतरा सन्निकट है कि निकट भविष्य में बेगूसराय पानी विहीन क्षेत्र हो जाएगा।गंगा का पेट गाद से भरता चला जा रहा है। खतरा है ,सरस्वती की तरह  संभव है , कहीं यह भी सूख न जाय,विलुप्त न हो जाय।  यह सच है , इन दोनों प्लांटों के आधुनिकतम संयत्रों  द्वारा बेहिसाब पानी दोहन होगा ।

जलदोहन के लिए अत्याधुनिक संयत्र यहां लग रहे हैं। वे कहते हैं कि 1990 से 2005  तक,  जब वे मटिहानी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहा था , ग्रोथ सेंटर की साढे चार सौ एकड़ जमीन अवैध कब्जे में थी। बिहार सरकार और प्रशासन को जानकारी भी नहीं थी कि यहां कितनी जमीन रोजगारपरक उद्योगों के लिए वर्षों  पहले से  अर्जित है।

तब देवना स्थित लघु औद्योगिक क्षेत्र मुर्दा बना हुआ था। बिजली आपूर्ति शून्य थी।

ये सभी औद्योगिक भूमि मटिहानी क्षेत्र के अंतर्गत ही थे।काफी जद्दोजहद के बाद देवना विद्युत सब स्टेशन को जिन्दा कराया और अपने हाथों स्वीच ऑन कर उद्घाटन किया। फलस्वरूप यहां के अधिकांश कारखाने चालू हुए। रोजगार के अवसर मिले।

फिर बरौनी ग्रोथ सेंटर के जमीन की खोज शुरू कराने में द्रविड प्राणायाम शुरू किया। अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाना आसान न था लेकिन हुआ। सरकार मजबूर हुई और प्रशासन मुस्तैद हुआ।

लेकिन खुशी जरूर थी कि मेहनत के फल अब सभी चखेंगे । रोजगार के अवसर मिलेंगे और समुन्नत विकास संभव होगा।

यह नहीं सोचा था कि इसके चलते ऐसा समय आ जाएगा कि ऐसे खतरनाक उद्योग यहां लगेंगे कि संपूर्ण जिला ही पलायन केलिए विवश हो जाएगा। उन्होंने 

इस विशेष परिस्थिति में सभी सामाजिक और राजनीतिक संगठनों से अपील है ,एक साथ मिल -बैठ  इस पेचीदे और खतरनाक सवाल पर  विचार कर  एक राय  बनाएं । पानी नहीं तो जीवन नहीं , इसलिए जीवन बचाने की लड़ाई शुरू हो और इन अमानवीय पूंजीपतियों को यहां  गिद्ध का पड़ाव  डालने से रोक दें । जनता जगेगी, तभी निदान मिलेगा।

कुमार कृष्णन

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