शिवानन्द मिश्रा
“आकाशतीर” नाम का यह स्वदेशी ड्रोन हाल ही में भारत-पाक संघर्ष के दौरान इस्तेमाल हुआ और इसकी ताकत देखकर पाकिस्तान ही नहीं, चीन और अमेरिका तक हैरान रह गए।
ये ड्रोन पाकिस्तान की सीमा में बिना किसी शोर और रडार सिग्नल के गया, अपना टारगेट पूरा किया और सही-सलामत लौट भी आया।
किसी को भनक तक नहीं लगी। भारत के इस “निर्जीव जाबांज-योद्धा” को अमेरिकी एक्सपर्ट्स ने भी मान लिया कि भारत की ये तकनीक स्टील्थ टेक्नोलॉजी में अब दुनिया के सबसे आगे वाले देशों की बराबरी कर रही है।
“आकाशतीर” की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे चलाने के लिए इंसान की सीधी जरूरत नहीं पड़ती। ये खुद फैसला करता है – कहां जाना है, किसे निशाना बनाना है, और कैसे निकलना है। केवल एक बार फीड कर दिया, निश्चिंत जबकि दुनिया के बाकी देश अभी भी इंसानी कंट्रोल पर निर्भर हैं. भारत ने ऐसा सिस्टम तैयार कर लिया है जो बिना देरी के खुद ही निर्णय ले सकता है।
यही वजह रही कि पाकिस्तान की एयर डिफेंस पूरी तरह फेल हो गई। न रडार में आया, न अमेरिका से मिले AWACS सिस्टम ने कोई अलर्ट दिया। इस ड्रोन को DRDO, BEL और ISRO ने मिलकर बनाया है। इसे सिर्फ ड्रोन कहना ठीक नहीं होगा क्योंकि यह एक पूरा सिस्टम है – ‘सिस्टम ऑफ सिस्टम्स’।
इसमें ग्राउंड रडार, मोबाइल कंट्रोल सेंटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और सैटेलाइट सब जुड़े हुए हैं।
ISRO के Cartosat और RISAT जैसे उपग्रह इसे रियलटाइम तस्वीरें और डेटा भेजते हैं। इसके साथ ही भारत का अपना NAVIC GPS सिस्टम इसे ज़बरदस्त सटीकता देता है जो पहाड़ी और दूर-दराज इलाकों में अमेरिका या चीन के GPS सिस्टम से भी बेहतर साबित हुआ है। आकाशतीर की काम करने की रफ्तार भी लाजवाब है। सेकंडों में ये नया रूट बना लेता है, अपने मिशन को एडजस्ट कर लेता है और टारगेट की पहचान बदल भी सकता है।
यह सब बिना किसी इंसानी आदेश के होता है। इसकी वजह से पाकिस्तान को पता ही नहीं चला कि कब हमला हुआ और कब मिशन खत्म हो गया।
ये रणनीतिक चुप्पी अब चीन के सैन्य गलियारों में भी चिंता का कारण बन गई है, क्योंकि उन्हें लगने लगा है कि भारत अब सिर्फ रक्षात्मक नहीं, आक्रामक टेक्नोलॉजी में भी आगे बढ़ रहा है। तुर्की ने भी माना है कि भारत का ये ड्रोन अब एक नया बेंचमार्क बन गया है। तुर्की के बायरकटर ड्रोन, जिन पर वो गर्व करता था, अब पीछे छूटते दिख रहे हैं।
आकाशतीर का एआई-संचालित ड्रोन झुंड (swarm) एक साथ कई टारगेट पर अटैक कर सकता है और खुद तय कर सकता है कि कौन सा टारगेट पहले खत्म करना है।
इसे चलाना भी इतना आसान है कि एक जवान जीप में बैठकर लैपटॉप से भी इसे ऑपरेट कर सकता है।
आखिर में बात साफ है –
भारत अब सिर्फ रक्षा उपकरण खरीदने वाला देश नहीं है। अब हम खुद बना रहे हैं, और वो भी ऐसी टेक्नोलॉजी जो दुनिया को चौंका रही है। आकाशतीर सिर्फ एक ड्रोन नहीं है, ये भारत की आत्मनिर्भरता, तकनीकी ताकत और नए सामरिक युग की शुरुआत है।
अब भारत मैदान में है – तकनीक के साथ, आत्मबल के साथ और विजन के साथ।
सीजफायर हुआ। मजा नहीं आया।
पर युद्ध क्या मजा देता है? नहीं… भारत मजे के लिए युद्ध नहीं करता। तो हम निराश क्यों हुए? केवल इसलिए कि
1. पीओके हमारे साथ नहीं मिलाया गया।
2. बलूचिस्तान अलग देश नहीं बना।
3. KP के रूप में नया देश सामने नहीं आया।
पर हमें लाभ क्या हुए?
1. शिमला समझौते से मुक्ति मिली।
2. सिंधु जल समझौते से मुक्ति मिली।
3. भारत की सैन्य श्रेष्ठता स्थापित हुई।
4. तुर्की और अज़रबैजान जैसे देशों की दोस्ती साफ हुई, इन का उम्मत के लिए प्रेम शायद योजनाकार स्पष्ट रूप से समझें, हमारे देशवासी अगर समझेंगे तो इन देशों के पर्यटन को झटका लगेगा।
5. पाकिस्तान के परमाणु शक्ति संपन्न होने के ढ़ोल की पोल खुल गई। काठ की हांडी अब अगली बार नहीं चढ़ेगी।
6.भारत को ब्रह्मोस मिसाइल के कई देशों से हजारों करोड़ के ऑर्डर मिले। और भी फायदे हुए होंगे जो वक्त के साथ सामने आएंगे।
भारत का क्षमाशील होना कमजोर की क्षमा नहीं, वीर की क्षमा है। संसार अब इस बात को समझ चुका होगा।
दो पार्टियां ऐसी हैं जिनके समर्थक सबसे बड़े जाहिल हैं ,एक तो समाजवादी पार्टी और एक राष्ट्रीय जनता दल। उनको कुछ नहीं पता होता कि सरकार कैसे चलती है, कैसे नीतियां बनती है, कैसे क़ानून बनते हैं । वे बस जाति आधारित नेता के चेहरे पे वोट दे देते हैं। उनके हर वक्तव्य में जाहिलियत झलकती है। उन्हें लगता है कि POK छोले भटूरे की प्लेट है जो ऑर्डर किया और आ गया। ऐसे कदम उठाने से पहले पूरे विश्व को साथ लाना पड़ता है जिसमें कूटनीति काम आती है जो नरेंद्र मोदी जी कर रहे है। इनके इंडी अलायन्स के पार्टनर की जब सरकार थी, तब ये जम्मू कश्मीर की बात करते थे। आज बीजेपी की सरकार है तो POK पर बात होती है। इनको ये अंतर नहीं समझ में आता। इनके नेताओ ने इनका जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए कुछ किया ही नहीं क्योकि उनको पता है कि ये पढ़ लिख गए तो हमें वोट ही नहीं देंगे।
शिवानन्द मिश्रा