विनोद सिल्ला
बचपन में
मेरे मित्र
थोड़ी सी
अनबन होने पर
दुखाने के लिए
मेरा दिल
मेरे मिट्टी के
खेल-खिलौने
तोड़ देते थे
लेकिन

आजकल के मित्र
थोड़ी सी अनबन में
दिल ही तोड़ते हैं
शायद आजकल
यही सबसे अच्छा
खिलौना है
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।