गीत: ब्रज लोक गीत
दोहा: श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धर माथ
गणपति वंदना मैं करू सुमिर के भोले नाथ
मु: तेरी महिमा जग विख्यात -२
गजानन गौरी के लाला -४
अ १: शंकर सुवन पारवती नंदन (भवानी नंदन )
सदानन भरत सब करते वंदन
मि : सब गणों के तुम नाथ
तेरी महिमा जग विख्यात -२
अ २: देवों में प्रथम पूज्य कहलाओ
बिगड़े सब तुम काज बनाओ
मि: वरदान दिया भोले नाथ
तेरी महिमा जग विख्यात -२
अ ३: विग्न हरण मंगल के दाता
रिद्धि सीधी जग तुमसे पाता
मि : देते भक्तों का सदा साथ
तेरी महिमा जग विख्यात -२
अ ४: जिसपर तुम प्रसन हो जाओ
सब देवों के संग तुम आओ
मि : रहे महा लक्ष्मी का वास
(मंगलमय हो दिन रात )
तेरी महिमा जग विख्यात -२
अ ५: नन्दो भैया नित तुम्हे मनावें
राकेश तेरे गुणगान गावें
सारे साधक शीश नवावैं
मि: कर दो कृपा की बरसात