भजन: गणपति वंदना

गीत: ब्रज लोक गीत

दोहा: श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धर माथ
गणपति वंदना मैं करू सुमिर के भोले नाथ

मु: तेरी महिमा जग विख्यात -२
गजानन गौरी के लाला -४

अ १: शंकर सुवन पारवती नंदन (भवानी नंदन )
सदानन भरत सब करते वंदन
मि : सब गणों के तुम नाथ
तेरी महिमा जग विख्यात -२

अ २: देवों में प्रथम पूज्य कहलाओ
बिगड़े सब तुम काज बनाओ
मि: वरदान दिया भोले नाथ
तेरी महिमा जग विख्यात -२

अ ३: विग्न हरण मंगल के दाता
रिद्धि सीधी जग तुमसे पाता
मि : देते भक्तों का सदा साथ
तेरी महिमा जग विख्यात -२

अ ४: जिसपर तुम प्रसन हो जाओ
सब देवों के संग तुम आओ
मि : रहे महा लक्ष्मी का वास
(मंगलमय हो दिन रात )
तेरी महिमा जग विख्यात -२

अ ५: नन्दो भैया नित तुम्हे मनावें
राकेश तेरे गुणगान गावें
सारे साधक शीश नवावैं
मि: कर दो कृपा की बरसात

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नन्द किशोर पौरुष
मेरा नाम नन्द किशोर पौरुष नन्दो भैया हाथरसी हैं| मेरे पिता का नाम स्व ठाकुर भगवन सिंह विमल हैं| मेरा जन्म दादन पुर हाथरस में हुआ हैं| मेरे पिता जी कवि और लेख़क थे| मैंने वणिज्य में स्नात्कोत्तर किया हैं | प्राइवेट कंपनी में लेखा विभाग में कार्यरत रहा हु| मैं भूषण स्टील में काम किया हैं| मेरा भजन और कविता में बचपन से रूचि रही हैं|Email: nalineshpaurush@gmail.com Phone: 7678611008 Address: शाहदरा दिल्ली

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