भजन : प्रभु शरणम

तर्ज : बच्चे मन के सच्चे

दोहा: ईश कृपा बिन गुरु न मिले, गुरु बिन मिले न ज्ञान
ज्ञान बिना आत्मा न मिले, सुन ले चतुर सुजान।।
दुःख रूप संसार यह,जन्म मरण की खान।।
हमे निकालो दया कर, मेरे गुरुवार जल्दी आन।।

बिन हरी भजन न होगा जीव तेरा कल्याण |
गुरु कृपा बिन है नहीं यह इतना आसान ||

मु: जा रे मनवा जा रे , तज लोभ मोह हरिद्वारे |
अवगुण हो जाएं माफ़, प्रेम से जो प्रभु नाम पुकारे।।
जा रे मनवा जा रे , तज लोभ मोह हरिद्वारे ||

अ १: प्रभु कीर्तन में जायेगा, प्रेम से उससे रिझायेगा।
हरी प्रसन्न हो कर तुझे सद्गुरु से मिलवाएगा।।
सतगुरु से तुझे ज्ञान मिले, आत्म तत्व का कमल खिले।।
मि: समता का सद्गुरु भाव जगा कर, कर देंगे निस्तारे ||
जा रे मनवा जा रे , तज लोभ मोह हरिद्वारे ||

अ २ : राग द्वेष सब छूट जायेगा, ममता मोह भी हट जायेगा।।
सतगुरु की दीक्षा पा कर के, जीवन तेरा बदल जायेगा।।
मिथ्या ये संसार लगे, राम में सच्चा प्रेम जगे ||
मि: राम कृपा से हर पल हर क्षण, राम ही राम उचारे।
जा रे मनवा जा रे , तज लोभ मोह हरिद्वारे ||

अ ३: आत्म मस्ती में मगन रहे, नित दिन प्रभु का ध्यान धरे।
छोड़ के जग के जंजालों क़ो सत्संग का रास पान करे।।
ऐसा सुख तू पायेगा, दुःख दरिद्र मिट जायेगा।
दीन हीन न कहला कर मौज में समाये गुजारे।।
जा रे मनवा जा रे , तज लोभ मोह हरिद्वारे ||

अ ४: नन्दो मन निर्मल कर ले, सुबह शाम हरी क़ो भेज ले।
अहंकार अपना तज कर, गुरु की आज्ञा में चल ले।।
गुरु ही भाव से पार करे, सारे संकट आप हरे।
राकेश गुरु (बापू) की शरण में आजा, भव से पार उतारे।
जा रे मनवा जा रे , तज लोभ मोह हरिद्वारे ||

नन्दो भैया हाथरसी

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