तर्ज: फूलों में सज रहे हैं
मु: अवध में है निकली, राजा राम की सवारी।
और साथ में हैं इनके, राजा जनक की दुलारी।।
अवध में है निकली __
अंत १: भारत लक्ष्मण शस्त्रुधन, तीनों ही प्यारे भैया।
चल रहे हैं निज अष्वों पर, साथ साथ तीनों मैया ।।
मि: और नृत्य कर रहे हैं बजरंग गदा धारी।
अवध में है निकली __
अंत २: अपने अपने रथों पर, विराजित हैं दोनों गुरुवर।
राजा जनक जी का रथ है, और लंका पति विभीषण।।
मि: सुग्रीव अंगद रथ पर, संग वानर सेना भरी।
अवध में है निकली __
अंत ३:हर्षित हो अवध की जनता, अब नृत्य कर रहीं है।
देवी देवताओं की अम्बर में, दुधुम्बी बज रहीं है।।
मि: पुष्प बरसाती हैं, अप्सराएँ सारी।।
अवध में है निकली __
अंत ४: तीनों लोकों में अब भारी आनंद छा रहा है।
ब्रह्मा जी संग अब भोला भी डमरू बजा रहा है।
इस छवि पर नन्दो मोहित, राकेश है बलिहारी।।
अवध में है निकली __