चतुरी चाची और पगला राजकुमार

आर्यावर्त नामक एक लोकतांत्रिक चरागाह थी I वहाँ खूब हरी- हरी घास उगती थी I इस चरागाह में अभिव्यक्ति की आज़ादी थी जिसका उपयोग करते हुए कोई भी पागल, दिवालिया अथवा बौद्धिक कब्ज का मरीज किसी को गाली दे सकता था, बिना साक्ष्य के किसी पर भी कोई आरोप लगाया सकता था, कींचड़ उछालकर किसी के सफ़ेद कुर्ते को काला किया जा सकता था I यह चरागाह सेकुलर थी, इसलिए हर संप्रदाय के जानवर बिना किसी भेदभाव के यहाँ घास चरने आते थे I इस चरागाह में सभी जानवर घास चरकर अपनी भूख मिटाते थे I एक बार चमचा सिह को उस चरागाह का प्रधानमंत्री बना दिया गया I चमचा सिह दब्बू किस्म का इंसान था लेकिन दब्बूपन ही उसकी योग्यता बन गई I आर्यावर्त की चतुर चाची को ऐसे दब्बू, डरपोक, बेजुबान व्यक्ति की तलाश थी जो तन, मन, धन से चाची की चापलूसी करे, प्रतिदिन मनोयोगपूर्वक चाची चालीसा का पाठ करे और ‘नैतिकता’ नामक फालतू वस्तु को अपनी बीवी के पास छोड़कर दफ्तर आए I चमचा सिह एक विद्वान व्यक्ति था I अतः तेल लगाने में भी अपनी विद्वता का भरपूर उपयोग करता था I वह चतुरी चाची की विद्वतापूर्ण चरण वंदना करता और किसी को पता भी नहीं चलता कि चापलूस पुराण का पाठ किया जा रहा है I वह खानदानी चमचा था I इसलिए उसके शरीर में रक्त की जगह खुशामदी कीड़े दौड़ते थे, चापलूसी के तेल में उसके घर का खाना बनता था एवं सुबह- शाम निष्ठापूर्वक मैडम चरितमानस का पारायण किया जाता था I वह प्रधानमंत्री बन तो गया लेकिन मैडम के सामने वह ठीक से खड़ा नही हो पाता था I जो चमचा सिह को पहली बार देखता उसे लगता कि वह लंगड़ा घोड़ा है I वह लंगड़ा तो था परन्तु शरीर से नहीं, मन से और घोड़ा नही, विलायती गधा था I भींगी बिल्ली भी चमचा सिह से ईर्ष्या करती थी I मैडम कहती उठ तो उठता, कहती बैठ तो बैठ जाता I चमचा सिंह की बीवी को यह सब पसंद नहीं था I बीवी ने कई बार चमचा सिह से कहा कि मर्द बन लेकिन उसकी मर्दानगी तो मैडम के पास गिरवी पड़ी थी I भला वह मर्द कैसे बनता ? मैडम को आर्यावर्त की जनता चतुरी चाची कहकर बुलाती थी I सम्पूर्ण आर्यावर्त की जनता को पता था कि चमचा सिंह तो चतुरी चाची का रबड़ स्टाम्प है I वह हमेशा “क्या हुक्म है मेरे आका” की मुद्रा में हाथ जोड़े नतमस्तक खड़ा रहता I जो सम्मान और अधिकार किसी रानी को प्राप्त नहीं हो सकता था वह चतुरी चाची को प्राप्त था I गाली खाता चमचा सिंह, भ्रष्ट कहलाता चमचा सिंह, लेकिन परदे के पीछे सारा खेल चतुरी चाची खेलती थी I चाची सभी प्रकार के खेल खेलने में माहिर थी लेकिन शतरंज उनका प्रिय खेल था I

चतुरी चाची ने आर्यावर्त नामक चरागाह को खूब चरा I वैसे अधिकांश नेता- मंत्री इस चरागाह को चरते ही रहते थे लेकिन चतुरी चाची की तो बात ही निराली थी I उनका मकसद अपने पुत्र को इस चरागाह का प्रधानमंत्री तथा दामाद को रियल स्टेट मंत्री बनाना था परन्तु चतुरी चाची का दुर्भाग्य था कि उनके पुत्र में कोई ऐसी योग्यता नहीं थी जिसके बल पर वह आर्यावर्त का प्रधानमंत्री बनता I उनके पुत्र को प्यार से लोग पगला राजकुमार कहते थे लेकिन उसका असली नाम बावला कैंडी था I बावला कैंडी महीने में एक बार विदेश अवश्य जाता था I उसके विदेश भ्रमण को पार्टी के नेता चिंतन यात्रा का नाम देते थे लेकिन जब वह यात्रा से वापस लौटता तो उसके पागलपन का स्तर बढ़ा हुआ मिलता था I विरोधी दल के नेता कहते कि बावला कैंडी विदेश में मालिश कराने जाता है I लाख कोशिश करने के बाद भी बावला कैंडी कुछ ऐसा बयान दे देता जिसके कारण चाची का खेल बिगड़ जाता, लेकिन चाची की जिद्द थी कि इस बैल बुद्धि को आर्यावर्त नामक चरागाह का प्रधानमंत्री बनाना है I वैसे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बनने के लिए बुद्धि की कोई आवश्यकता नहीं है I उदाहरण सबके सामने है कि श्रीमान खरगौडा इतनी बड़ी चरागाह के प्रधानमंत्री बन गए थे जिनके बारे में सबको मालूम था कि उन्होंने संसद भवन को शयन कक्ष में तब्दील कर दिया था, दिन भर सोते – झेंपते रहना ही उनकी उपलब्धि थी I

लोकतंत्र में नेता – मंत्री के लिए जागते रहना जरुरी भी नहीं है I नेता की न्यूनतम योग्यता है गैंडे जैसी खाल, गाली प्रूफ जिगर और पत्थर जैसा फौलादी दिल I एक बड़े सूबे की मुख्यमंत्री तो रसगुल्ला देवी बन गई जो कबीरदास की परम्परा में विश्वास करती थीं- मसि कागद छुओ नहीं, कलम गहो नहीं हाथ I रसगुल्ला खाना और बच्चे पैदा करना उन्हें सबसे प्रिय था I इसलिए उनके माता- पिता ने उनका नाम रसगुल्ला देवी रख दिया I उन्होंने एक दर्जन बच्चे पैदा कर अपनी उर्वरा शक्ति का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था I वे जब बोलती थीं तो उनके श्रीमुख से अज्ञान का कचरा, अन्धविश्वास का गोबर और मानसिक दिवालियेपन का मल – जल निकलता था I रसगुल्ला देवी का मुख्यमंत्री बनना लोकतंत्र का प्रहसन कांड था I जब चालू प्रसाद भ्रष्टाचार के अपराध में जेल गए तो उन्होंने अपनी पत्नी रसगुल्ला देवी को मुख्यमंत्री बना दिया I इसीलिए सोमरस का अधिक मात्रा में सेवन करने के बाद मेरे मित्र घोंचूमल इस चरागाह के लोकतंत्र पर टिप्पणी करते हैं – यह लोकतंत्र है, वोटतंत्र है, भीड़तंत्र है, भेड़तंत्र है, बकलोलतंत्र है I आर्यावर्त में कुछ भी हो सकता है I लोकतंत्र पारस पत्थर है, जो कोई इसे स्पर्श करता है उसकी दरिद्रता दूर हो जाती है, अज्ञान मिट जाता है I हमारे क्षेत्र के सांसद चमनलाल जी का ही उदाहरण ले लीजिए I अपने जीवन- यापन के लिए उन्होंने कितने पापर बेले, बकरी चराई, कोयले की दलाली की, गाँव-गाँव घूमकर दूध बेंचा लेकिन उनके “देशनुमा परिवार” का पेट नहीं भर सका I सभी उनके परिवार को देशनुमा इसलिए कहते कि उनका परिवार एक छोटे- मोटे देश के समान था I एक परिवार में कुल अस्सी आदमी I चमनलाल चार भाई थे और चारों के दस – दस बच्चे I चारों भाइयों में जैसे प्रतियोगिता हो – हम दो, हमारे दस I अनेक वैध- अवैध धंधे में हाथ आजमाने के बावजूद जब चमनलाल के लिए परिवार का पालन- पोषण करना मुश्किल हो गया तो उन्होंने राजनीति की शरण ली I राजनीति देवी हर प्रकार के अपराधियों, ठगों, गिरहकटों और तस्करों को अभय दान देती हैं तथा उनका पल्लवन, पोषण व संरक्षण करती हैं I चमनलाल के परिवार के पास अस्सी वोट थे, इसलिए कोई भी पार्टी उनके परिवार की उपेक्षा नहीं कर सकती थी I ‘झंडू बाम पार्टी’ ने उन्हें टिकट दे दिया और दुर्भाग्यवश वे जीत भी गए I अब वे सांसद हैं और संसद को अशोभनीय बना रहे हैं I सत्र के दौरान कभी- कभी वे गोबर भी उगलते हैं, अधिकांश समय तो चुप ही रहते हैं I अब वे सुखी हैं और उनका परिवार घी के लड्डू खा रहा है I

आर्यावर्त के लोकतंत्र की यही विशेषता है I यह लोकतंत्र अपढ़, गंवार और अपराधी लोगों के पुनर्वास और रोजगार का प्रमुख साधन बन गया है I प्रातःस्मरणीया राजनीति देवी सभी बिगड़े, गिरहकट, गुंडे, मवाली, मंदबुद्धि और बकलोल लोगों की नैया पार लगा देती हैं I अतः अब सरकार को सभी चौक- चौराहों पर राजनीति देवी का मंदिर स्थापित करना चाहिए क्योंकि इस देवी ने लोगों को सबसे अधिक रोजगार दिए हैं I आर्यावर्त नामक चरागाह के स्वर्णिम इतिहास में वनांचल के अभूतपूर्व मुख्यमंत्री प्रातःस्मरणीय साधु बोरा का नाम सम्मान से लिया जाता है I उन्होंने घपले- घोटाले को इतना गरिमापूर्ण बना दिया कि अब कोई व्यक्ति घोटाला करने में शर्म महसूस नहीं करता I जिस प्रकार फ़िल्मी दुनिया में अंगप्रदर्शन एक फैशन है, देह प्रदर्शन सफलता की गारंटी है और अंगों का अधिकतम प्रदर्शन अधिकतम सफलता का मूल मंत्र है उसी प्रकार साधु बोरा ने घोटाले को अलंकर, भ्रष्टाचार को शिष्टाचार और अधिकतम भ्रष्टाचार को अधिकतम सफलता का मंत्र बना दिया I उन्होंने घपले को अलंकार तथा चोरी और अशिक्षा को व्यक्तित्व का आभूषण बना दिया I कोई नेता बोरा की हिमालयी ऊँचाई को स्पर्श नहीं कर सकता I अब तो वे अन्य नेताओं के लिए प्रेरणा पुरुष बन गए हैं I साधु बोरा ने बचपन में एक विद्वान की महत्वपूर्ण पुस्तक पढ़ी थी जिसमें लिखा था कि गरीबी में जन्म लेना तो मनुष्य का भाग्य है परन्तु गरीबी में मरना भाग्य नहीं, कर्म है I उन्होंने इस सूत्र वाक्य को गाँठ बांध लिया I अब उनके सामने जीवन का लक्ष्य स्पष्ट था – अधिकतम मुद्रा मोचन I उन्होंने राजनीति देवी की उपासना की I राजनीति देवी प्रकट हुई I देवी ने कहा कि वर मांगो I उन्होंने वनांचल का मुख्यमंत्री बनने का वरदान मांग लिया I राजनीति देवी और लक्ष्मी माता की असीम कृपा से वे एम.एल.ए. बन गए I वे अपनी पार्टी “खाओ और खिलाओ पार्टी” के एकमात्र विधायक थे लेकिन लक्ष्मी जी की माया और सेकुलरवाद की डोर पकड़कर वे मुख्यमंत्री बन गए I बाद में लोगों ने कहा कि वे तो धन उगाही की मशीन बन गए हैं I बोरा ने वनांचल की सम्पूर्ण संपदा बेंचकर दुबई में बुर्ज खलीफा के बगल में बोरा हाउस का निर्माण कराकर आर्यावर्त के गौरव में चार चाँद लगा दिए, लेकिन आर्यावर्त की जांच एजेंसियां उनके पीछे पड गईं और उन्हें जेल में डाल दिया I आजकल वे केन्द्रीय कारागार की शोभा बढ़ा रहे हैं I

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वीरेन्द्र परमार
एम.ए. (हिंदी),बी.एड.,नेट(यूजीसी),पीएच.डी., पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक,सांस्कृतिक, भाषिक,साहित्यिक पक्षों,राजभाषा,राष्ट्रभाषा,लोकसाहित्य आदि विषयों पर गंभीर लेखन I प्रकाशित पुस्तकें :- 1. अरुणाचल का लोकजीवन(2003) 2.अरुणाचल के आदिवासी और उनका लोकसाहित्य(2009) 3.हिंदी सेवी संस्था कोश(2009) 4.राजभाषा विमर्श(2009) 5.कथाकार आचार्य शिवपूजन सहाय (2010) 6.डॉ मुचकुंद शर्मा:शेषकथा (संपादन-2010) 7.हिंदी:राजभाषा,जनभाषा, विश्वभाषा (संपादन- 2013) प्रकाशनाधीन पुस्तकें • पूर्वोत्तर के आदिवासी, लोकसाहित्य और संस्कृति • मैं जब भ्रष्ट हुआ (व्यंग्य संग्रह) • हिंदी कार्यशाला: स्वरूप और मानक पाठ • अरुणाचल प्रदेश : अतीत से वर्तमान तक (संपादन ) सम्प्रति:- उपनिदेशक(राजभाषा),केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड, जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय(भारत सरकार),भूजल भवन, फरीदाबाद- 121001, संपर्क न.: 9868200085

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