बातचीत और आपसी संवाद ही एकमात्र विकल्प: भारत-बांग्लादेश वर्तमान संबंध

सुनील कुमार महला


पिछले कुछ दिनों से भारत और बांग्लादेश में एक-दूसरे के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किए जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच हाल के दिनों में विवाद देखा जा रहा है और इस आशय की खबरें लगातार मीडिया की सुर्खियों में आ रहीं हैं। पाठक जानते होंगे कि बांग्लादेश में शेख़ हसीना सरकार के जाने और वहां अंतरिम सरकार के आने के बाद से ही भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध तनाव के दौर से गुज़र रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कट्टरपंथी लोग हिंदुओं को लगातार अपना निशाना बना रहे हैं और उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 

बांग्लादेश की 17 करोड़ की आबादी में हिन्दू आठ प्रतिशत हैं, लेकिन यहां हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यहां तक कि कई मामलों में हत्याएं भी हो रही हैं, ऐसा मीडिया के हवाले से पता चला है।

हाल ही में ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भारत के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर चेतावनी दी थी कि बांग्लादेश में भारत के मंसूबे सफल नहीं होंगे। इधर,त्रिपुरा में बांग्लादेश के उप उच्चायोग में भारतीय प्रदर्शकारियों के घुसने की भी खबरें मीडिया की सुर्खियों में पढ़ने सुनने को मिलीं। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार, हिंसा के रवैए को देखते हुए आज भारत में जगह जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। बांग्लादेश भारत के खिलाफ तो भारत बांग्लादेश के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। हाल ही में बांग्लादेश अंतरिम सरकार के क़ानूनी सलाहकार आसिफ़ नज़रुल ने कहा कि ‘बांग्लादेश भारत के ‘प्रोपेगेंडा’ का मिलकर सामना करेगा। देश सारे मतभेदों से ऊपर है। बांग्लादेश में इस सोच की कोई जगह नहीं है कि ये कमजोर, लाचार और झुका हुआ देश है‌।’ उल्लेखनीय है कि हाल ही में 

बांग्लादेश में चार दिसंबर को अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस और प्रमुख राजनीतिक दलों की बैठक में देश की संप्रभुता, अस्तित्व, आज़ादी और गरिमा बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई गई है। बहरहाल, यहां यह कहना ग़लत नहीं होगा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जो बर्ताव हो रहा है, वह बहुत ही चिंताजनक है। हमारे देश में अन्य देशों के साथ बांग्लादेश के लोग भी सुरक्षित तरीके से रहते हैं। भारत सभी की सुरक्षा के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है और शांति, संयम, सद्भाव, सौहार्द में विश्वास करता है। बांग्लादेश में कुछ दिन पहले एक इस्कॉन मंदिर को बंद कराया गया और इसके एक दिन बाद ही इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को भी गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश ने चिन्मय कृष्ण दास समेत कई लोगों के एकाउंट को भी फ्रीज कर दिया। बांग्लादेश द्वारा संतों को भी गिरफ्तार किए जाने की खबरें आईं हैं। जिन संतों को बांग्लादेश द्वारा गिरफ्तार किया गया है, वे भी इस्कॉन मंदिर से जुड़े हुए ही बताए जा रहे हैं।

इस संबंध में इस्कॉन कोलकाता के एक प्रवक्ता ने कहा है कि इस्कॉन के खिलाफ बांग्लादेश में लगातार घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा है कि वहां दो और हिंदू ब्रह्मचारियों को भी गिरफ्तार किया गया है। इतना ही नहीं,चिन्मय प्रभु के सचिव भी लापता बताए गए हैं। हाल फिलहाल, भारत-बांगलादेश के बीच जो तनावपूर्ण स्थिति चल रही है,उसे ठीक नहीं ठहराया जा सकता है।भारत और बांग्लादेश दक्षिण एशियाई पड़ोसी देश हैं और आमतौर पर दोनों देशों के बीच संबंध मैत्रीपूर्ण रहे हैं। भारत ऐसा देश रहा है जिसने हमेशा हमेशा से पड़ोसी देशों से मित्रता और सहयोग बढ़ाने को प्राथमिकता दी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और शेख़ हसीना के बीच अनेक द्विपक्षीय मुलाक़ातें हुईं हैं और इससे भारत-बांग्लादेश के संबंधों का ग्राफ़ हमेशा ऊपर चढ़ता रहा है।

 उल्लेखनीय है कि जनवरी में शेख़ हसीना पांचवीं बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं थी, और भारतीय पीएम मोदी के शपथ ग्रहण के कुछ दिन बाद शेख़ हसीना भारत आईं थीं। भारत की अपनी द्विपक्षीय यात्रा के दौरान बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने यह बात कही थी कि, “भारत हमारा प्रमुख पड़ोसी, भरोसेमंद दोस्त और क्षेत्रीय साझेदार है और बांग्लादेश-भारत संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं। मैं पीएम मोदी को बांग्लादेश आने के लिए आमंत्रित करती हूं।’ बहरहाल कहना ग़लत नहीं होगा कि शेख हसीना के दौर में भारत-बांग्लादेश संबंध बहुत ही अच्छे रहे हैं। आसिफ नसरूल का फेसबुक पोस्ट के माध्यम से यह कहना कि ‘ भारत को ये समझना होगा कि ये शेख़ हसीना का बांग्लादेश नहीं है।’, कहीं न कहीं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर सवाल खड़े करता है। बांग्लादेश को यह समझना होगा कि दोनों देश चार हज़ार किलोमीटर से ज़्यादा लंबी सीमा आपस में साझा करते हैं और दोनों के बीच गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्ते रहें हैं। बांग्लादेश की 94 फ़ीसदी सीमा भारत से लगती है।

उल्लेखनीय है कि बीते कुछ सालों में बांग्लादेश, भारत के लिए एक बड़ा बाज़ार बनकर उभरा है। दक्षिण एशिया में बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। दोनों देशों के बीच कई अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार भी है।पिछले साल ही दोनों देशों के बीच पहली सीमा पार भारत-बांग्लादेश ऊर्जा पाइपलाइन भी शुरू हुई थी। पिछले कुछ समय में दोनों देशों के बीच रेल कनेक्टविटी से लेकर बिजली की सप्लाई भी बढ़ी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 में ही अखौरा-अगरतला रेल लिंक का उद्घाटन किया गया था, जो बांग्लादेश तथा पूर्वोत्तर को त्रिपुरा के माध्यम से जोड़ता है। दोनों देशों के बीच संबंध बहुत ही महत्वपूर्ण है। हाल फिलहाल जो दोनों देशों के बीच हो रहा है वह ठीक नहीं है। दोनों देशों को पड़ौस की भूमिका को समझना चाहिए। आपसी सौहार्द, सद्भावना, संयम, शान्ति से ही दुनिया में सबकुछ संभव हो सकता है। झगड़ों, आपसी विवाद-फसाद, हिंसा, अत्याचार, एक दूसरे के खिलाफ आक्रोशित बयानबाजी,वैर-भाव से किसी को कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है। किसी भी समस्या को सुलझाने के लिए बातचीत और आपसी संवाद ही एकमात्र विकल्प है।

सुनील कुमार महला

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here