
नेता आज सत्ता के खातिर,
अपना उल्लू सीधा कर रहे।
वोटो के खातिर वे सब अब,
मुफ्त चीजे खूब है बांट रहे।।
कोई लैपटॉप फ्री में बांट रहा,
कोई फ्री में राशन है बांट रहा।
बिजली पानी की बात न करो,
वह तो धर्म जाति में बांट रहा।।
अपनी जेबों से देते नही कुछ,
टैक्स कर्ता का धन है बांट रहे।
वोट बटोरने के खातिर ये सब,
जनता को जातियों में है बांट रहे।।
रैलियां ये सब खूब करते है,
खूब भीड़ इकट्ठी ये करते है।
अपनी लोकप्रियता के लिए ये
जनता का धन बर्बाद करते है।।
जनता पर सब अंकुश लगाते है,
अपने पर न कोई अंकुश लगाते हैं।
सब नियम भोली जनता के लिए है,
इस तरह नियमो की धज्जियां उड़ाते हैं।।
चुनावो का सारा व्यय भी,
जनता ही वहन करती है।
टैक्स देकर ही सारी जनता,
इन खर्चों को पूरा करती है।।
इनको शर्म नही है बिलकुल भी,
ये वे बेसूंड के पागल हाथी है।
दिखावा करने के लिए कहते है,
वे जनता के हितेषी साथी है।।
ये नेता सत्ता के खातिर तो,
कुछ भी कभी कर सकते है।
ये वोटो के खातिर अब तो,
हुक्का चिलम भी भर सकते हैं।।
इनका आज कोई भरोसा नहीं,
सत्ता के लिए देश बेच सकते हैं।
दिखाई दे रहे जो प्रदर्शनों में,
सत्ता के दरबारो में जाकर बिकते है।।
जीत जायेंगे जब ये सब नेता,
हाल तुम्हारा न पूछने आयेंगे।
सत्ता की सुनहरी गद्दी पर बैठ,
ये खूब मौज मस्ती मनाएंगे।।
आर के रस्तोगी