गर्व के ग्यारह साल: मोदी सरकार की स्वर्णिम यात्रा

विष्णु दयाल राम

मोदी सरकार के उपलब्धियों से भरे 11 साल पूरे होने पर मुझे इस बात का गर्व है कि मैं भी बतौर सिपाही इस स्वर्णिम यात्रा में शुरू से शामिल रहा हूं। ये सरकार लगातार गरीबों, किसानों, लोअर मिडिल क्लास और आम लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने की कोशिश में लगी है और उस रास्ते पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रही है। देेश आत्मनिर्भर बनने के साथ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यस्था बन चुका है और विकसित भारत की राह पर अग्रसर है।

गरीबों और हाशिए पर रहने वालों के लिए तो सरकार की दर्जनों योजनाओं से क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है।
मैं बतौर जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र के लोगों से उनकी समस्याओं पर जब बात करता हूं तो वो भी उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में आ रहे बदलावों की चर्चा करते हैं। कुछ योजनाओं का मैं खास तौर से यहां जिक्र करना चाहता हूं जिसने ना सिर्फ लोगों की जिंदगी बदल दी बल्की इतिहास रच दिया।

सबसे पहले मैं पीएम जनधन योजना की बात करता हूं। इस योजना ने 55 करोड़ उन लोगों को देश के बैंकिंग सिस्टम से जोड़ दिया जिन्होंने 21वीं सदी आने के बावजूद बैंक का मुंह नहीं देखा था। मोदी सरकार जब सत्ता में आई तो महसूस किया कि योजनाओं का लाभ और उसके तहत मिलने वाली राशि आखिर कैसे दूर दराज के उन लोगों तक बिना लीकेज के सुरक्षित पहुंचाया जाए। लाखों लोग इस योजना से वित्तीय तौर पर सशक्त हुए हैं। अब उनसे कोई सिग्नेचर करवा कर योजना की राशि का कुछ हिस्सा नहीं हड़प सकता। आज देश में 80 प्रतिशत व्यस्कों के पास बैंक खाते हैं। आज करीब 6 लाख गांवों को 5 किलोमीटर के भीतर बैंकिंग सेवाओं का फायदा मिल रहा है। इसी तरह डिजिटल लेनदेन का दायरा अब व्यापक हो गया है। गांव-देहात में भी लोग आपको बेहिचक धड़ल्ले से मोबाइल से पेमेंट करते दिख जाते हैं। मोदी सरकार ने करोड़ों लोगों को मुद्रा लोन के जरिए व्यवसाय करने और उसे बढ़ाने में मदद की। आंकड़ों की बात करें तो वित्त वर्ष 2025 में मुद्रा लोन का औसत आकार 1 लाख रुपए से ज्यादा हो गया है जो 2016 में 38 हजार था।

अब मैं आयुष्मान भारत- राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना की चर्चा करता हूं। ये भी अपने आप में क्रांतिकारी योजना है, जो 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को मेडिकल कवरेज देती है। अस्पतालों में इलाज के लिए प्रति वर्ष 5 लाख तक का इंश्योरेंस कवर है। यानि बीमार पड़ने पर अगर भर्ती की नौबत आ गयी तो पैसे के जुगाड़ करने की टेंशन नहीं होगी। इस योजना में अब 70 साल से ज्यादा के बुजुर्गों को भी जोड़ा गया है, जिन्हें आय के साधन की परवाह किए बिना स्वास्थ्य कवरेज मिलता है। आयुष्मान भारत के अंतर्गत 1 लाख 76 हजार से अधिक आरोग्य मंदिर बने हैं।
इसी तरह जन औषधि केंद्रों पर मिलने वाली सस्ती दवाओं से लोगों को काफी राहत मिल रही है। सरकार के जेनरिक दवा के उत्पादन पर जोर देने से लोगों के पैसे बच रहे हैं।

ऐसे ही पीएम आवास योजना गरीब लोगों के अपने घर का सपना पूरा करने में मददगार साबित हो रही है। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े वैसे लोग जोकि मान बैठे थे कि वो कभी भी पक्के मकान में नहीं रह पाएंगे उनके लिए ये चमत्कार से कम नहीं है। 4 करोड़ से ज्यादा लोग इस योजना का लाभ ले चुके हैं। आने वाले समय में ये आंकड़ा बढ़ता चला जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आते ही जब स्वच्छ भारत का नारा दिया था तो विपक्षी दलों ने खिल्ली उड़ाई थी। लेकिन ध्यान से स्वच्छ भारत मिशन की समीक्षा की जाए तो वो कालजयी फैसला था। प्रधानमंत्री के दृढ़संकल्प से पीढ़ियों से खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर माताओ-बहनों को घर में शौचालय मिल गया। 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक इस योजना के तहत 11 करोड़ से ज्यादा टॉयलेट बनाए जा चुके थे।
इसी तरह पीएम उज्ज्वला योजना से अब तक 10 करोड़ परिवारों को एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। जिससे लकड़ी के चूल्हे में धुआं झेलती महिलाओं के खराब स्वास्थ्य की चिंता तो दूर हुई ही, घरेलू प्रदूषण भी कम हुआ। देश के कई इलाकों में लोग मीलों दूर से पानी लाने को मजबूर थे। ग्रामीण इलाकों में पीने को साफ पानी नहीं मिलता था। आज जल जीवन मिशन से पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है।

मोदी सरकार शहरी और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर शुरू से सजग है, जिससे आम लोग भी लाभान्वित हुए हैं। एक्सप्रेस वे का फैलता जाल, सुंंदर सुंदर नेशनल हाईवे से लेकर शहरों के अंदर की सड़कें और ग्रामीण सड़कों का स्वरूप बदल चुका है। हिचकोले खाते हुए सफर अब इतिहास की बात हो चुकी है। गांवों का भ्रमण करके देखिए तो बदलाव साफ दिखता है। उदाहरण के तौर पर अगर मैं अपनी पलामू लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र की बात करूं, तो यह निर्वाचन क्षेत्र को देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक माना जाता है लेकिन वहां भी केंद्र की योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया गया। पलामू जैसे अति पिछड़े जिले के विकास के लिए तकरीबन 50,000 करोड़ की राशि केंद्र सरकार से आवंटित हुआ, जिनमें प्रमुख रूप से रोड इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य, जल के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य हुए।

मोदी सरकार ने पिछले 11 वर्षों में औपनिवेशिक काल के कानूनों को हटाकर और नए कानूनों को लागू करके भारतीय न्याय प्रणाली को आधुनिक, पारदर्शी, और नागरिक-केंद्रित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारतीय न्याय संहिता और संबंधित कानूनों ने समयबद्ध न्याय, डिजिटल सुविधाओं, और आधुनिक अपराधों से निपटने की क्षमता को बढ़ाया है। यह निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो भारत को औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त करने और स्वदेशी कानूनी ढांचे की दिशा में एक बड़ा कदम है।
लंबे अंतराल तक पुलिस सेवा में कार्य करने के अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं, खास तौर पर, भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलकर तीन नए कानून—भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)—जो 1 जुलाई 2024 से लागू किए गए, इन बदलावों का उद्देश्य औपनिवेशिक मानसिकता को खत्म करना, कानून को सरल और नागरिक-केंद्रित बनाना, और समकालीन चुनौतियों जैसे साइबर अपराध, आतंकवाद, और संगठित अपराध से निपटना है। भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 अब IPC की जगह लेता है। इसमें 533 धाराओं को संशोधित किया गया, 133 नई धाराएं जोड़ी गईं, 9 धाराओं को बदला गया, और 9 को हटाया गया। औपनिवेशिक राजद्रोह कानून (IPC धारा 124A) को समाप्त कर धारा 150 के तहत देश की संप्रभुता, एकता, और अखंडता के खिलाफ कृत्यों को दंडित करने का प्रावधान किया गया। इसमें मौखिक, लिखित, या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से देश के खिलाफ टिप्पणी करने पर 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। मॉब लिंचिंग को घृणित अपराध माना गया, जिसमें फांसी की सजा का प्रावधान है। नाबालिगों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान जोड़ा गया। इतना ही नही, पहली बार कानून में आतंकवाद को परिभाषित किया गया, जिससे आतंकवादी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई संभव होगी। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए अलग अध्याय जोड़ा गया। दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज होगा, और मेडिकल रिपोर्ट 7 दिनों में देनी होगी।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 CrPC की जगह लाया गया, जिसमें समयबद्ध न्याय सुनिश्चित करने के लिए कई प्रावधान जोड़े गए। अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में या ऑनलाइन FIR दर्ज करा सकता है, जिससे शिकायत दर्ज करना आसान और तेज हुआ। अन्य प्रमुख कानूनी सुधार की बात करूं तो तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को गैर-कानूनी घोषित किया गया। इसका उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाना और इस प्रथा पर रोक लगाना था। मोदी सरकार ने ब्रिटिश काल के लगभग 1500 औपनिवेशिक कानून, जो अब अप्रासंगिक थे, उनको निरस्त किया। दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास 7 रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग किया गया, जो औपनिवेशिक प्रतीकों को हटाने का हिस्सा था।

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाया गया, और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में विभाजित किया गया। इससे केंद्रीय कानून वहां लागू हुए, और गैर-निवासी जमीन खरीद सकते हैं।

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