राजनीति

केजरीवाल जी, दुनिया में फकीर ही सबसे ज्‍यादा अमीर होते हैं ?

kejriwalडॉ. मयंक चतुर्वेदी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किसी न किसी बहाने से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते रहते हैं। उनकी शैली शानदार है, जब वे अपनी बात कह रहे होते हैं तो इतने सामान्‍य आदमी की भाषा में और इस तरह से कहते हैं कि उन्‍हें सुनते वक्‍त कोई ईमानदार आदमी हो तो वह भी लजा जाए। इस बार केजरीवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फकीर वाली टिप्पणी पसंद नहीं आई है। जिसका जिक्र उन्‍होंने अपने मुरादाबाद में दिए गए भाषण के दौरान किया था। केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा कि ‘मोदीजी आप फकीर हैं ? हर दिन आप कपड़ों की चार नयी जोड़ी पहनते हैं, आप 10 लाख रुपए का सूट पहनते हैं और दुनिया भर में घूमते हैं। लोगों का आपके शब्दों में भरोसा खत्म हो गया है।’ कहकर यह जताने की कोशिश की है कि आप मिथ्‍या बोलते हैं। काश ! ऐसा होता कि अरविन्‍द केजरीवाल यह वाक्‍य ट्वीट करने के पहले थोड़ा अपना भी दिमाग लगा लेते।
इतिहास और वर्तमान का सच यही है, जिसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ कि जो जितना बड़ा फकीर है वह उतना ही बड़ा एश्‍वर्य का स्‍वामी है, धन की तरफ वह देखे भी नहीं, तब भी लक्ष्‍मी ऐसे आदमी के चारों ओर कुलाचे भरती है। बात हम विदेशी धरती से शुरू करते हैं। वैटिकन सिटी ईसाईयों के लिए किसी पवित्र स्‍थान से कम नहीं है। वैटिकन शहर पृथ्वी पर सबसे छोटा, स्वतंत्र राज्य तथा ईसाई धर्म के प्रमुख साम्प्रदाय रोमन कैथोलिक चर्च का केन्द्र होने के साथ इस सम्प्रदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप का निवास है। अभी बीते 3 सितम्‍बर को स्‍वयं अरविन्‍द केजरीवाल इस शहर में अपनी दो दिवसीय यात्रा के लिए कुमार विश्‍वास, विधायक जरनैल सिंह और मुंबई से नेता प्रीति शर्मा मेनन के साथ पहुँचे थे।
अब वे स्‍वयं बताएं कि जिनके शहर में वे गए थे, उनके पास क्‍या है ? कौनसी माया है? न शादी न बच्‍चे, पोप ईसाई धर्म प्रचारक एक सन्‍त हैं। उनका सम्‍मान भारतीय दृष्‍ट‍ि से देखें तो ईसाईयों में एवं अन्‍य धर्मांब‍लम्‍बियों के बीच आज किसी रूप में है तो वह एक फकीर के रूप में ही तो है। केजरीवाल इतिहास में जाकर या वर्तमान में जितने भी फकीर हैं, उनके जीवन को देख लें, क्‍या है उनका, उनके पास ।
रामदेव बाबा जिनके नाम कुछ नहीं, न धन दौलत न परिवारिक जिम्‍मेदारी, लेकिन उन्‍होंने तमाम विदेशी कंपनियों को इन दिनों दातों तले उंगली दबाने को विवश कर रखा है। विदेशी कंपनियाँ परेशान हैं कि हम इस बाबा का क्‍या करे, यह तो फक्‍कड़ है, जैसा कि वे स्‍वयं इस बात को कई बार मंचों से कहते भी हैं। रोजमर्रा के छोटे-छोटे कार्यों से जुड़े व्‍यापार जिनमें ज्‍यादातर विदेशी कंपनियों का ही प्रभाव था, उसे बाबा रामदेव ने एक झटके में योग से रोग मुक्‍त भारत बनाने के संकल्‍प को लेकर शुरू करते हुए विभिन्‍न चरणों में लिए गए अपने निर्णयों से दूर कर दिया। अब तो पेय कंपनियां भी बाबा से घबराने लगी हैं। आर्ट ऑफ लिविंग संस्‍था के श्रीश्री रविशंकर उनका भी अपना कुछ नहीं, फक्‍कड़ हैं, लेकिन वे इसके बाद भी अमीर संतों में गिने जाते हैं, उनके भक्‍त ज्‍यादातर धनवान ही होते हैं। अब, आप इस पर क्‍या कर सकते हैं, क्‍या लोगों को किसी पर श्रद्धा रखने से भी रोकेंगे ?
ओशो जब तक जिंदा रहे उनका अपना कुछ नहीं था लेकिन दुनिया के कई देशों में उनकी बादशाहद कायम थी। उनके जाने के बाद भी उनके भक्‍तों में कोई कमी आ गई है, ऐसा बिल्‍कुल नहीं कहा जा सकता । महर्षि महेश योगी का नाम भारत सहित दुनिया के तमाम देश आज भी आदर के साथ लेते हैं, जिन्‍होंने भावातीत ध्‍यान के माध्‍यम से पता नहीं कितने लाख लोगों के जीवन को संवारा, दूसरे देशों में श्रीराम मुद्रा तक प्रचलन में चलवा दी, जैसा कि सुनने में आता है। उनके पास भी अपना कुछ नहीं था, लेकिन वे फक्‍कड़ होकर भी अमीर थे, उनके तो मन में विचार करने मात्र से धन स्‍वत: चलकर सामने उपस्‍थ‍ित हो जाता था और स्‍वयं कहता कि महर्षि बताएं कि वेद विस्‍तार और नवाचार के लिए कहां मुझे अपना समर्पण करना है।
इतिहास में थोड़ा ओर पीछे जाएं तो तुलसी, कबीर जैसे कई गृहस्‍थ संत एवं अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देने वाले ऐसे अनेकों उदाहरण मिल जाएंगे, जिनके जीवन से यह सीधे स्‍पष्‍ट होता है कि जो जितना बड़ा त्‍याग करने का सामर्थ्‍य रखता है, उसका सम्‍मान दुनिया उतना ही अधिक करती है, और इस त्‍याग के लिए जो सबसे ज्‍यादा जरूरी है, वह है निर्भीकता एवं अपना सर्वस्‍व दाव पर लगा देने की प्रवृत्ति का होना, जोकि हमें अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में इस समय दिखाई देती है।
केजरीवाल को यह ठीक ढंग से समझना चाहिए कि मुरादाबाद में एक रैली में जनता को संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जो कहा कि मेरे विरोधी मेरा क्या कर सकते हैं? मैं एक फकीर हूं…झोला लेकर चले जाएंगे।’ उसके असल में मायने क्‍या हैं?  प्रधानमंत्री की इन बातों से जो सीधे समझ आता है वह यही है‍ कि न उनका कोई आगे है, न पीछे जिसके लिए वे धन की लिप्‍सा से ग्रसित होकर उसका संचय करें। उन्‍हें जो करना है वह किसी भय से भयभीत होकर तो करना नहीं है। इसलिए वे जो निर्णय लेंगे वह देशहित में ही होगा। प्रधानमंत्री के पद पर और उस कुर्सी पर उनके पहले भी कई लोग आए और बैठकर चले गए, एक दिन उन्‍हें भी चले जाना है, यही यथार्थ है।
इसके साथ ही केजरीवाल नोट बंदी को लेकर जो आरोप मोदी पर संस्थानों को खत्म करने का लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि ‘ये प्रधानमंत्री एक-एक कर आरबीआई, सीबीआई, विश्वविद्यालय और अब न्यायपालिका को खत्म कर रहे हैं। भारत ने 65 साल में जो हासिल किया उसे पांच साल में आप बर्बाद कर देंगे।’ उनकी इन बातों में भी कोई दम नहीं, क्‍योंकि इतिहास इस बात का भी गवाह है कि जिसे अपने लिए कमाने तक की लालसा नहीं रहती, वही सबसे अधिक त्‍याग करने में सफल रहता है। जिसका विश्‍वास सिर्फ कर्मफल पर है, वही अपने सभी कर्म पूर्ण समर्पण के साथ करने में आगे रहता है। इसलिए केजरीवाल प्रधानमंत्री मोदी की चिंता छोड़ें और अपनी चिंता करें । जहां अब उनके ही कार्यकर्ता जैसा कि पंजाब में हुआ कि उन्‍हीं के लिए मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे, वे उसे कैसे रोक सकते हैं इस पर विचार करें।
आज देशहित में प्रधानमंत्री की इस बात पर सभी को गंभीरता से सोचना ही होगा कि भारत अधिकतम नकद लेनदेन से मुक्त कैसे हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी की इस बात में भी दम है कि ‘आपने वो सरकारें अब तक देखी हैं जो अपने लिए काम करती हैं। अपनों के लिए करने वाली सरकारें बहुत आयीं। आपके लिए करने वाली सरकार भाजपा ही हो सकती है।’ हां, यह बात बहुत हद तक सच भी है, पहले भी देश की जनता ने देखा कि जब केंद्र में अटलबिहारी वाजपेयी की भाजपा सरकार केंद्र में आई थी तब खजाना खाली था विकास की गति धिमी थी किंतु वाजपेयी सरकार के आते ही खजाना भी भरा और विकास भी तेजी से शुरू हुआ, जिसे आगे 10 वर्षों तक चलाए रखने का कार्य कांग्रेस करती रही। इसके बाद जब देश की गति कमजोर पड़ी और खजाना खाली हुआ तो देश में फिर जनता ने भाजपा पर भरोसा जताया। इस बार घर की गंदगी साफ करते हुए केंद्र को खजाना भी मिला और अब आगे इस खजाने से आशा बंधी है कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रहते विकास की रफ्तार भी तेजी से आगे बढ़ेगी।
मोदी कहते हैं कि इस देश को भ्रष्टाचार ने बर्बाद किया है। इस देश को भ्रष्टाचार ने लूटा है। गरीब का सबसे ज्यादा नुकसान किया है। गरीब का हक छीना है। हमारी सभी मुसीबतों की जड़ में भ्रष्टाचार है। कानून का उपयोग करके बेईमान को ठीक करना होगा। भ्रष्टाचार को ठिकाने लगाना होगा। विकास अपने आप हो जाएगा। सच कहते हैं। वस्‍तुत: हकीकत आज की यही है कि देश सुधार की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसे केजरीवाल जैसे नेता जो खुद स्‍वच्‍छता के वायदे के साथ सत्‍ता में आए हैं, बिल्‍कुल नहीं पचा पा रहे। इसलिए उन्‍हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उठाया गया हर कदम गलत लगता है, फिर वह पाकिस्‍तान में घुसकर की गई भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर 1000 एवं 500 रुपयों की नोटबंदी।