
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का वास्तु सम्मत ना होना, घर को वास्तु दोष से युक्त करता है। घर में रहने वाले सभी व्यक्तियों को वास्तु दोष प्रभावित कर उनके जीवन में असुंतलन का कारण बनता है। इसलिए यह आवश्यक है कि घर को वास्तु अनुरुप बनाया जाए अथवा घर की साज सज्जा को वास्तु के अनुसार रखा जाए। जीवन में वास्तु का बहुत अधिक महत्व है। परन्तु कई बार हम ना चाहते हुए हुए, वास्तु के नियमों का पालन नहीं कर पाते हैं और इससे हमारा जीवन सुगम बनने की जगह कष्टकारी हो जाता है। वातावरण में व्याप्त ऊर्जा को संतुलित रुप में प्राप्त कर, उपयोग करना वास्तु शास्त्र के अन्तर्गत आता है।
ऊर्जा सकारात्मक हो तो सकारात्मक प्रभाव और नकारात्मक ऊर्जाएं नकारात्मक प्रभाव डालती है। दोनों प्रकार की ऊर्जाएं अपने निकट के व्यक्तियों पर अपना प्रभाव अवश्य डालती है। इसलिए सकारात्मक ऊर्जाओं को अधिक से अधिक बढ़ाया जाता है और नकारात्मक ऊर्जाओं को उपायों के द्वारा कम करने या समाप्त करने के प्रयास किया जाता है। घर का वातावरण हमारे जीवन की लगभग सभी घट्नाओं को प्रभावित करता है। यही कारण है कि एक अच्छे वातावरण में रहने वाले सदस्यों के आपसी संबंध मधुर, आर्थिक स्थिति बेहतर और समाजिक रिश्ते मजबूत होते है। अन्यथा परिणाम इसके विपरीत आते है।
वास्तु उपायों का महत्व
वास्तु दोषों के अशुभ प्रभावों को कम करने के अनेक उपाय विद्वान वास्तुविदों द्वारा बताये जाते हैं। कोई वास्तु शान्ति करने के लिए कहता है तो कोई नव ग्रह शान्ति के लिए। कोई तंत्र-मंत्र के उपाय बताता है, तो कोई रूद्राक्ष धारण करने के लिए कहता है। कोई यंत्र पूजा के द्वारा, कोई पिरामिड प्रयोग द्वारा, कोई फेंग शुई के उपायों द्वारा व कोई घर के सामानों को दिशा परिवर्तन द्वारा ही उपाय करता है।
कई वास्तु शास्त्री तो मकान को तोड़ कर दुबारा बनाने की सलाह देते हैं व कई अन्य मकान को बेच देने की सलाह देते हैं। जातक को किस उपाय का लाभ सबसे अधिक व सबसे जल्दी होगा,इस विषय पर विद्वानों में मतभेद हो सकता है। सभी उपाय कारगार हो सकते हैं, आवश्यकता सिर्फ वास्तु अनुरूप व समयानुकूल निर्णय लेने की है। सभी उपायों को लिखना तो सम्भव नहीं है, सरल उपायों को ही लिखने की कोशिश की गई है, जिनको आम आदमी आराम से कर सकें।
वास्तु दोषों के प्रकार
वास्तुजनित कष्टों को हम तीन भागों में बाँट सकते हैं।
1। शारीरिक कष्ट 2। मानसिक कष्ट 3। भौतिक कष्ट
यदि व्यक्ति के तन, मन व धन की स्थिति ठीक है तो छोटे-मोटे वास्तु दोष उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते। तन के लिए जरूरी है भोजन, मन के लिए जरूरी है भजन अर्थात पूजा पाठ व धन के लिए जरूरी है बचत। भोजन के लिए रसोई घर, पूजा के लिए पूजा घर व धन के लिए कोषागार की सही स्थिति का होना बहुत जरूरी है।