विविधा

भ्रष्टाचार से कलुषित भारत और गुजरात का उदाहरण

लालकृष्ण आडवाणी

प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस पर, राजपथ की परेड को देखने के बाद मैं अपने निवास पर भी झण्डावादन का छोटा कार्यक्रम आयोजित करता हूं। इसमें अधिकांश वे सुरक्षाकर्मी भाग लेते हैं जो वहां पर तैनात हैं: इस वर्ष मेरी सुपुत्री प्रतिभा ने उनके लिए एक घंटे के वृत चित्र ‘वंदेमातरम‘ का शो प्रदर्शित किया।

उस अवसर पर उपस्थित मीडियाकर्मियों को मैंने कहा कि गणतंत्र दिवस एक ऐसा दिन है जब प्रत्येक भारतीय को इस पर गर्व होना चाहिए कि वह एक ऐसे महान देश से जुड़ा है जिसका सम्मान दुनिया भर में होता है।

इससे शायद ही कोई इंकार कर सकता है कि हाल ही में समाप्त हुए वर्ष ने हमारे देश के नागरिकों को न केवल अत्यंत निराशा और ठेस पहुचांई न केवल इसलिए खाद्य स्फीति और पेट्रोल, डीजल इत्यादि की कीमतों से आम आदमी के परिवार का बजट गड़बड़ा गया अपितु इसलिए भी कि पूरी दुनिया में हमारा देश दुनिया के सर्वाधिक भ्रष्ट देशों में जाना जाने लगा है।

इस अवसर पर, मैं कुछ महीने पहले दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों का स्मरण कराना चाहूंगा। विदेश सहित दुनियाभर के अपने मित्रों तथा परिचितों से बातचीत में खेलों का मुद्दा अवश्य आता था और उसमें हमें पता चला कि विदेशी टीवी चैनलों पर नई दिल्ली के खेलों के नाम पर केवल घोटालों और घपलों सम्बन्धी समाचार ही दिखाए जाते थे। इसलिए मुझे ‘आउटलुक‘ वेबसाइट पर इस शीर्षक के अंर्तगत प्रकाशित ताजा रिपोर्ट देखकर कोई आश्चर्य नहीं हुआ : ”ट्रांसपरेंसी करप्शन इंडेक्स में भारत 87वें क्रम पर लुढ़का।”

रिपोर्ट कहती है :

भ्रष्टाचार के स्तर के कारण ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल के ‘कॅरप्शन प्रीसेप्शन इंडेक्स‘ के नवीनतम रैंकिंग में भारत 87वें क्रम पर लुढ़क गया, क्योंकि ग्लोबल वॉच डॉग वैश्विक प्रहरी की अवधारणा के अनुसार घपलों से भरे राष्ट्रमंडल खेलों के परिप्रेक्ष्य में देश में भ्रष्टाचार बढ़ा है।

ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल के ‘ट्रांसपरेंसी करप्शन इंडेक्स‘ की रिपोर्ट जो 178 देशों के सार्वजनिक उपक्रमों को जांचती है, दर्शाती है कि सन् 2009 में भारत 84वें से तीन दर्जा नीचे गिरा है।

3.3 ईमानदारी प्राप्तांक (Integrity score) के साथ भ्रष्टाचार के संदर्भ में भारत अब दुनिया में 87वें क्रम पर है। पड़ोसी चीन 3.5 ईमानदारी स्कोर लेकर 78वें क्रम के साथ भारत से उपर है। सन् 2009 में वह 79वें क्रम पर था।

ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल इण्डिया के चेयरमैन पी.एस.बाबा ने कहा कि ”रैंकिंग और ईमानदारी स्कोर के साथ भारत का नीचे जाना चिंता और खेद का विषय है। ऐसा लगता है कि कुशल प्रशासकों के बावजूद भारत में शासन का स्तर सुधर नहीं रहा है।”

0 से 10 के पैमाने पर रैंकिंग अन्य कसौटियों के साथ-साथ भ्रष्टाचार की व्यापकता और प्रत्येक सरकार द्वारा भ्रष्ट गतिविधियों को रोकने और दण्डित करने की योग्यता पर आधारित होती है।शून्य का स्कोर सर्वाधिक भ्रष्ट जबकि 10 स्कोर भ्रष्टाचार के न्यूनतम स्तर को दर्शाता है।

रिपोर्ट के मुताबिक ”भारत में भ्रष्ट्राचार के बारे में धारणा लगता है, हाल ही में सम्पन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में कथित भ्रष्टाचार के चलते मुख्य रुप से बढ़ी है।”

कम से कम चार जांच एजेंसियां – केन्द्रीय सर्तकता आयोग(सी.वी.सी), प्रर्वतन निदेशालय(एर्न्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट), आयकर विभाग (इन्कम टैक्स डिर्पाटमेंट) और नियंत्रक एवं महालेखाकार(सी ए जी) – गत् वर्ष समाप्त हुए राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजकों के विरुध्द भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है।

ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल द्वारा दुनिया में सर्वाधिक न्यूनतम भ्रष्टाचार वाले देशों में डेनमार्क, न्यूजीलैंड और सिंगापुर को शामिल किया गया है।

9.3 स्कोर के चलते डेनमार्क रिपोर्ट में पहले क्रम पर है जबकि न्यूजीलैण्ड और सिंगापुर समान स्कोर के साथ क्रमश: दूसरे और तीसरे क्रम पर है।

5.7 ईमानदारी स्कोर के साथ दक्षिण एशिया में भूटान सर्वोतम कार्यनिष्पादनता के चलते 37वें क्रम पर है।

यह रिपोर्ट विश्व बैंक, यूरोपीय यूनियन, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और फ्रीडम हाऊस फाऊण्डेशन सहित विभिन्न अतंरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा वर्षभर में किए गए 13 सर्वेक्षणों पर आधारित है।

राष्ट्रीय स्तर पर दृश्य वास्तव में निराशाजनक है। इसकी तुलना में हाल ही में गुजरात से मिलने वाले समाचारों पर कोई भी गर्व कर सकता है।

सन् 2003 से प्रत्येक दो वर्ष पर गुजरात Vibrant Gujarat कार्यक्रम आयोजित करता है। अब तक चार कार्यक्रम – 2003, 2005, 2007 एवं 2009 – हो चुके हैं। इस वर्ष के कार्यक्रम में 101 देशों और लगभग 1400 विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मोटे तौर पर 462 बिलियन अमेरिकी डॉलर राशि जोकि भारत के जी डी पी का एक तिहाई है, के समझौता पत्रों (एम ओ यू) पर मात्र दो दिन में हस्ताक्षर किए गए।

मई 2010 में मैंने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आयोजित अद्वितीय स्वर्णिम गुजरात समारोह (गुजरात के स्थापना की स्वर्ण जयंती) के बारे में लिखा था। उस अवसर पर राजधानी गांधीनगर में एक नए प्रकल्प महात्मा मंदिर की घोषणा की गई थी। यह भी घोषित किया गया था कि 2011 में आयोजित Vibrant Gujarat कार्यक्रम महात्मा मंदिर में ही किया जाएगा। प्रकल्प इतना महत्वाकांक्षी था अनेकों को आशंका थी कि क्या यह इतनी जल्दी यह पूरा हो पाएगा। लेकिन इसका श्रेय नरेन्द्रभाई को देना पड़ेगा कि 34 एकड़ भूमि में इस ऐतिहासिक आश्चर्य का निर्माण 182 दिनों में पूरा कर दिखाया।

बगैर स्तम्भों वाले इस बहुउद्देश्यीय वातानुकूलित मुख्य कन्वेंशन हॉल जहां Vibrant Gujarat कार्यक्रम सम्पन्न हुआ में 500 लोग बैठ सकते हैं और आवश्यकतानुसार स्थान बढ़ाने-घटाने की काफी संभावना है। इसके अलावा निर्मित बिज़नेस सेंटर में एक ही समय पर 1500 लोग बैठ सकते हैं।

गुजरात में इन उपलब्धियों के पीछे नरेन्द्रभाई द्वारा राज्य प्रशासन से प्रभावी ढंग से लेटलतीफी और भ्रष्टाचार को समाप्त करने में उनकी विस्मयकारी सफलता है। और यही सफलता भारत तथा विदेशों से उद्योगपतियों को स्वाभाविक रूप से गुजरात की ओर आकर्षित करती है।